बृजभूषण शरण सिंह का क्या होगा? BJP से टिकट मिलने पर असमंजस बरकरार; जानें कैसरगंज सीट का इतिहास

Kaiserganj Election: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए भाजपा आखिर कैसरगंज से किसे टिकट देने पर विचार कर रही है, क्या बृजभूषण शरण सिंह का टिकट कटने वाला है? सवाल उठने लाजमी हैं, इस बीच बृजभूषण के मामले में अदालत की सुनवाई टल गई है। आपको कैसरगंज सीट का इतिहास बताते हैं।

Brij Bhushan Sharan Singh in Tension

कटने वाला है बृजभूषण शरण सिंह का टिकट?

Lok Sabha Election: क्या बृजभूषण शरण सिंह का पत्ता कटने वाला है? ये बात लगभग तय मानी जा रही है कि कैसरगंज लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी से सांसद बृजभूषण को इस बार निराशा हाथ लग सकती है। बीते लंबे समय से भाजपा सांसद विवादों से घिरे हैं, अदालत में उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न का मामला चल रहा है। इस बीच लोकसभा चुनाव में बृजभूषण का क्या होता है, इस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। आपको इस बार इस लोकसभा सीट का समीकरण समझाते हैं और यहां के चुनावी इतिहास से रूबरू कराते हैं।

कटने वाला है बृजभूषण शरण सिंह का टिकट?

उत्तर प्रदेश के कैसरगंज लोकसभा सीट के लिए भारतीय जनता पार्टी ने अब तक अपने उम्मीदवार के नाम पर मुहर नहीं लगाई है। माना जा रहा है कि इस बार भाजपा ने बृजभूषण शरण सिंह को टिकट नहीं देने का मन बना लिया है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 77 सीटों पर भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। हालांकि रायबरेली, राबर्ट्सगंज और कैसरगंज सीट ही शेष हैं, जहां अब तक उम्मीदवारों के नाम का ऐलान नहीं हो सका है।

एक बात गौर करने वाली है, यूपी की जिन सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों के नाम की घोषणा करने में देरी कर रही है, वहां के मौजूदा सांसद या पूर्व प्रत्याशी का टिकट कट ही रहा है। उदाहरण के तौर पर देवरिया लोकसभा सीट को लेकर काफी गहमा-गहमी थी। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी का टिकट काटकर भाजपा ने शशांक मणि त्रिपाठी को टिकट दिया है। इसके अलावा बलिया लोकसभा सीट पर भी ऐसा ही देखने को मिला। यहां से सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का टिकट कट गया और नीरज शेखर को भाजपा ने अपना उम्मीदवार बनाया। तो क्या माना जाए कि अगला नंबर कैसरगंज का है और बृजभूषण का टिकट कटना तय है?

क्या कहता है कैसरगंज सीट का इतिहास?

कैसरगंज लोकसभा सीट पर अब तक कांग्रेस पार्टी को मजह तीन बार जीत नसीब हो सकी है। जबकि भाजपा ने चार बार इस सीट पर जीत का परचम फहाराया है। यहां से सबसे अधिक 5 बार समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल किया है, जबकि सबसे अधिक 4 बार सांसद भी सपा के बेनी प्रसाद वर्मा ही रहे। कैसरगंज सीट से हिंदू महासभा की शकुंतला नायर पहली सांसद चुनी गई थीं। उन्होंने इसके बाद 1967 और 71 में भारतीय जनसंघ के टिकट से जीत हासिल की थी। 1977 में जनता पार्टी के रूद्र सेन चौधरी ने जीत हासिल की। हालांकि कांग्रेस के राणा वीर सिंह ने 1980 और 84 के चुनाव में जीत का डंका बजाया। 1989 के चुनाव में भाजपा के टिकट से रूद्र सेन चौधरी फिर से सांसद चुने गए। फिर 1991 में भाजपा के लक्ष्मीनारायण मणि त्रिपाठी और फिर इस सीट पर लगातार 5 बार सपा का डंका बजा।

कैसरगंज सीट से कब कौन बना सांसद?

वर्षनामपार्टी
1952शकुंतला नायरहिंदू महासभा
1957भगवानदीन मिश्रकांग्रेस
1962बसंत कुंवरिस्वतंत्र पार्टी
1967शकुंतला नायरभारतीय जनसंघ
1971शकुंतला नायरभारतीय जनसंघ
1977रूद्र सेन चौधरीजनता पार्टी
1980राणा वीर सिंहकांग्रेस
1984राणा वीर सिंहकांग्रेस
1989रूद्र सेन चौधरीभारतीय जनता पार्टी
1991लक्ष्मीनारायण मणि त्रिपाठीभारतीय जनता पार्टी
1996बेनी प्रसाद वर्मासमाजवादी पार्टी
1998बेनी प्रसाद वर्मासमाजवादी पार्टी
1999बेनी प्रसाद वर्मासमाजवादी पार्टी
2004बेनी प्रसाद वर्मासमाजवादी पार्टी
2009बृजभूषण शरण सिंहसमाजवादी पार्टी
2014बृजभूषण शरण सिंहभारतीय जनता पार्टी
2019बृजभूषण शरण सिंहभारतीय जनता पार्टी
बृजभूषण शरण सिंह ने सपा में रहते हुए 2009 में इस सीट पर पहली बार लोकसभा चुनाव जीता था। जिसके बाद 2014 में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया और वो इस सीट से तीसरी बार सांसद हैं। हालांकि बृजभूषण पहली बार 1991 में गोंडा लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर सांसद चुने गए थे। 1991 के बाद 1999 में वो दोबारा इस सीट से सांसद बने। 2004 में भाजपा के टिकट पर ही वो बलरामपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए।

जब भाजपा से निष्कासित हो गए थे बृजभूषण

ये बात साल 2008 की है, जब लोकसभा में विश्वास मत के दौरान सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने संसद क्रॉस वोटिंग कर दी थी। इसके चलते भाजपा ने उन्हें निष्कासित कर दिया था। इसी के बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी का रुख किया और मुलायम सिंह यादव की साइकिल पर सवार हो गए। सपा ने 2009 में उन्हें कैसरगंज सीट से उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत हासिल की।

बृजभूषण के खिलाफ अदालत ने स्थगित की सुनवाई

दिल्ली की एक अदालत भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ छह महिला पहलवानों द्वारा दर्ज कराए गए यौन उत्पीड़न के मामले में उनके खिलाफ आरोप तय करने को लेकर 26 अप्रैल को अपना फैसला सुना सकती है।

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) प्रियंका राजपूत ने मामले पर सुनवाई स्थगित कर दी है। सिंह ने मामले में जांच का अनुरोध करते हुए अदालत में एक याचिका दायर की है। अदालत को आज इस मामले में आदेश पारित करना था।

अदालत में बृजभूषण शरण ने पेश की है ये दलील

बृजभूषण शरण सिंह ने अपनी याचिका में आरोपों पर जवाब देने के लिए वक्त दिए जाने तथा और जांच करने का अनुरोध करते हुए कहा कि वे उस घटना की तारीख पर भारत में नहीं थे जिसे लेकर एक शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि उस दिन उसका डब्ल्यूएफआई के कार्यालय में यौन उत्पीड़न किया गया था।

वकील ने अदालत के सामने पेश किया है ये दावा

बृजभूषण शरण सिंह के वकील ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस ने शिकायतकर्ता के साथ आए कोच के कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) पर भरोसा किया था और कहा था कि वे सात सितंबर 2022 को डब्ल्यूएफआई गए थे जहां लड़की का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया। वकील ने दावा किया कि हालांकि, पुलिस ने सीडीआर को रिकॉर्ड में नहीं रखा। उन्होंने यह भी दावा किया कि सिंह इस कथित अपराध के दिन देश में नहीं थे।

उन्होंने दलील दी, 'मैं (सिंह) दिल्ली पुलिस को मामले की जांच करने का निर्देश देने का अनुरोध कर रहा हूं। जिस तारीख को कथित अपराध हुआ, वह स्पष्ट नहीं है। अगर जिस अपराध का आरोप लगाया है, उस वक्त मैं वहां मौजूद ही नहीं था तो मेरे अन्यत्र होने की दलील दी जाएगी।'

IPC की इन धाराओं के तहत बृजभूषण पर केस

लोक अभियोजक ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह बचाव पक्ष द्वारा मुकदमे में विलंब करने का हथकंडा है। न्यायाधीश ने आदेश सुरक्षित रख लिया और मामले पर अगली सुनवाई के लिए 26 अप्रैल की तारीख तय की। दिल्ली पुलिस ने छह बार के सांसद सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (किसी महिला का शील भंग करने के इरादे से उस पर हमला या आपराधिक बल प्रयोग), 354ए (यौन उत्पीड़न), 354डी (पीछा करना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत 15 जून को मामले में आरोपपत्र दाखिल किया था। पुलिस ने इस मामले में डब्ल्यूएफआई के निलंबित सहायक सचिव विनोद तोमर पर भी आरोप लगाए थे।

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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