भारत की निगरानी के दायरे में होगा पूरा चीन, मध्य एशिया और दक्षिण चीन सागर, रूस देने जा रहा अचूक रडार
Voronezh Radar, Early Warning System : समुद्र में अपनी ताकत में भारत ने और इजाफा कर दिया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस के दौरे से लोटे हैं। अपनी तीन दिन की इस यात्रा में रक्षा क्षेत्र में सहयोग को लेकर उनकी रूस के साथ काफी बातें हुई होंगी। आपने यह भी देखा है कि इसी यात्रा के दौरान उन्होंने कलिनिनग्राद में INS तुशिल का जलावतरण कराया।
अर्ली वार्निंग सिस्टम है वोरोनेझ रडार।
Voronezh Radar, Early Warning System : भारत लगातार अपनी तीन सेनाओं आर्मी, एयरफोर्स और नेवी को मजबूत बना रहा है। आए दिन हथियारों की डील का बात देखने-सुनने को मिल रही है। एक से बढ़कर एक उन्नत और शानदार हथियार खरीदे जा रहे हैं लेकिन सरकार का फोकस एयरफोर्स और नेवी पर ज्यादा दिख रहा है। क्योंकि जिस तरह से चीन हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में अपना दबदबा और हेकड़ी दिखा रहा है, उसे देखते हुए समुद्र में उसका सामना और उसे उसी की भाषा में जवाब देने के लिए तैयार रहना होगा। इसके लिए जरूरी है कि हमारी वायु सेना और नौसेना दोनों घातक और स्टील्थ फीचर वाले हथियारों से लैस हों। भारत वही कर रहा है। आज की डेट में अगर बात करें तो दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना चीन के पास है। नंबर की जहां तक बात है तो उसके पास अमेरिका से भी ज्यादा वार शिप हो गए हैं। तकनीकी रूप से वे कितने ताकतवर हैं, यह अलग बात है।
तीन दिन की रूस यात्रा से लौटे हैं राजनाथ सिंह
समुद्र में अपनी ताकत में भारत ने और इजाफा कर दिया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस के दौरे से लोटे हैं। अपनी तीन दिन की इस यात्रा में रक्षा क्षेत्र में सहयोग को लेकर उनकी रूस के साथ काफी बातें हुई होंगी। आपने यह भी देखा है कि इसी यात्रा के दौरान उन्होंने कलिनिनग्राद में INS तुशिल का जलावतरण कराया। आईएनएस तुशिल स्टील्थ फ्रिगेट है जिसे रूस ने बनाया है। यह स्टील्थ फीचर वाला है यानी कि इसे इस तरह से बनाया गया है कि यह दुश्मन के रडार की पकड़ में न आए। यह काफी हद तक खुद को छिपा लेगा। दरअसल, रडार पर इसका सिग्नेचर बहुत कम बनेगा जिससे यह पता करना मुश्किल होगा कि यह कोई फ्रिगेट है। इसके वजन की अगर बात करें तो इसका वजन 4000 टन है। लंबाई 124 मीटर और इसकी क्षमता करीब 7000 किलोमीटर की है।
रूसी युद्धपोत में यूक्रेन का इंजन लगा
खास बात यह है कि इस जहाज को बनाया तो है रूस ने लेकिन इसमें इंजन यूक्रेन का लगा है। आप कहेंगे कि यह क्या बात हो गई लेकिन यह सच है। यूक्रेन और रूस में क्या चल रहा है, यह बताने की जरूरत नहीं है।आप सभी को पता है। बात यह भी हो सकती था कि रूस अपने युद्धपोत में यूक्रेन का इंजन लगाने से मना कर देता या यूक्रेन कहता कि वह रूसी पोत के लिए वह अपना इंजन नहीं देगा लेकिन नहीं, भारत की जब बात आई तो दोनों तैयार हो गए। दो जानी दुश्मन देशों को एक प्लेटफॉर्म पर लाने की काबिलियत भारतीय कूटनीति ही दिखा सकती है।
अर्ली वार्निंग सिस्टम है 'वोरोनेझ'
बात रूस से होने जा रहे दूसरे बड़े हथियार डील की। इस हथियार या कहिए रडार का नाम 'वोरोनेझ' है। यह दुनिया के सबसे बेहतरीन रडार सिस्टम में से एक है। इसकी एक्यूरेसी यानी सटीकता और निगरानी क्षमता गजब की है। इसके आ जाने से भारत का सर्विलांस यानी निगरानी क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी। 'वोरोनेझ' रडार की निगरानी क्षमता 8 हजार किलोमीटर है। इस एक रडार की कीमत करीब 4 अरब डॉलर है। भारत इस रडार को खरीदने जा रहा है। डील करीब-करीब पक्की हो गई है। इस रडार सिस्टम को रूस की अल्माज-एंटे कॉरपोरेशन कंपनी बनाती है। इस कंपनी को रडार एवं एंटी एयरक्रॉफ्ट मिसाइल सिस्टम बनाने में महारत हासिल है।
8000 किलोमीटर है दायरा
इस रडार की सबसे बड़ी खूबी है कि यह किसी भी तरह के एरियल यानी हवाई खतरे को यह बहुत दूर से भांप लेगा। दुश्मनों के फाइटर एयरक्राफ्ट, हेलिकॉप्टर, ड्रोन, बैलिस्टिक मिसाइल जैसे खतरों को यह रडार सिस्टम 8,000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर ही डिटेक्ट कर लेगा। यानी भारत में इसके लगने के बाद पूरा चीन, दक्षिण एवं मध्य एशिया और हिंद महासागर का ज्यादातर हिस्सा इसकी निगरानी में आ जाएगा। क्या है न दुश्मन के हथियार के बारे में जितना जल्दी आपको पता चल जाए, उसे रास्ते से हटाने के लिए आपको उतना ज्यादा वक्त मिल जाता है। यह रडार 8000 किलोमीटर के दायरे में आए किसी भी एरियल खतरे को पलक झपकते ही बता देगा कि कोई ड्रोन, हेलिकॉप्टर, एयरक्रॉफ्ट या मिसाइल आप पर हमला करने के लिए निकल चुकी है। अब इस खतरे को कैसे मार गिराना है, यह आपको तय करना है। फिर आप काउंटर मेजर्स तय करते है कि इस खतरे को एयरक्रॉफ्ट से मार गिराना है या मिसाइल छोड़नी है।
आईसीबीएम का पूरा डेटा दे सकता है
इस रडार की एक और बड़ी खासियत है। वह यह है कि यह एक साथ 500 से ज्यादा खतरों को डिटेक्ट कर सकता है। यही नहीं इस रडार सिस्टम में बदलाव कर इसकी निगरानी क्षमता 10,000 किलोमीटर तक की जा सकती है। इसकी लंबवत रेंज 8000 किलोमीटर और क्षैतिज रेंज 6,000 किलोमीटर से ज्यादा है। मास्को का दावा यह भी है कि यह रडार सिस्टम स्टील्थ एयरक्रॉफ्ट को भी ट्रैक कर सकता है। इसकी वर्टिकल यानी कि लंबवत रेंज काफी ज्यादा है तो यह अपनी तरफ आने वाली इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का पूरा डेटा दे सकता है।
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आलोक कुमार राव author
करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने...और देखें
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