क्या जातीय जनगणना पर फिर गरमाएगी सियासत? अब चिराग पासवान ने किया समर्थन; समझें 5 बड़ी बातें
Caste Census: सियासी गलियारों में एक बार फिर से जातीय जनगणना के मुद्दे ने तूल पकड़ना शुरू कर दिया है। अब केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने इसका समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि जातीय जनगणना का समर्थन करता हूं, लेकिन आंकड़े सार्वजनिक करने से समाज में विभाजन पैदा होगा।



जातीय जनगणना पर क्या सोचते हैं चिराग पासवान?
Politics on Caste Census: बिहार में हुए जाति आधारित जनगणना के बाद लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। खुद नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड जब विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूजिव अलायंस (INDIA) के साथ थे, तो उन्होंने देशभर में जातीय जनगणना कराए जाने की मांग जोर-शोर से उठाई थी। कई विपक्षी पार्टियों ने तो अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस मुद्दे को शामिल तक किया था। हालांकि अब इस मुद्दे को NDA में शामिल चिराग पासवान भी शर्तों के साथ उठा रहे हैं। आपको इस लेख में 5 अहम बातें समझाते हैं।
1). क्या फिर जातीय जनगणना का मुद्दा पकड़ेगा तूल?
विपक्षी दलों के लिए जातीय जनगणना का मुद्दा काफी अहम रहा है, इस मुद्दे पर सियासत होना आम बात है। अब खुद केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान इस मुद्दे पर टिप्पणी कर रहे हैं, तो ऐसे सवाल उठ रहे हैं कि क्या एक बार फिर विपक्षी गठबंधन INDIA में शामिल दलों इस मुद्दे को तूल दे सकते हैं? संसद के सत्र की शुरुआत होनी है, उससे पहले चिराग पासवान का राष्ट्रव्यापी जातीय जनगणना के मुद्दे पर समर्थन करना विपक्ष के लिए बड़ा मौका साबित हो सकता है।
2). राष्ट्रव्यापी जातीय जनगणना पर क्या है चिराग का विचार?
केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने राष्ट्रव्यापी जातीय जनगणना का समर्थन किया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि अगर इसके आंकड़े सार्वजनिक किए गए तो समाज में विभाजन पैदा होगा। उन्होंने कहा कि एक साथ चुनाव कराने और समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के बारे में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई है। एक साथ चुनाव कराने और यूसीसी लागू करने के मुद्दे भाजपा के घोषणा पत्र में शामिल हैं।
चिराग पासवान, कैबिनेट मंत्री
3). 'आप सभी को एक छतरी के नीचे कैसे ला सकते हैं?'
चिराग पासवान ने यूसीसी को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि जब तक उनके सामने कोई मसौदा नहीं रखा जाता तब तक वह कोई रुख अख्तियार नहीं कर सकते।हालांकि उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी लोजपा (रामविलास) एक साथ चुनाव कराने का पुरजोर समर्थन करती है। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर उनके विचारों के बारे में पूछे जाने पर पासवान ने कहा, 'हमारे पास अभी इसका मसौदा नहीं है। जब तक हम उस मसौदे पर विचार नहीं कर लेते तब तक कुछ कहना ठीक नहीं है, क्योंकि इसमें बहुत सारी चिंताएं हैं...भारत विविधताओं वाला देश है।' उन्होंने कहा कि चाहे भाषा हो, संस्कृति हो या जीवनशैली, देश के विभिन्न क्षेत्रों में सब कुछ अलग-अलग है। उन्होंने सवाल किया कि 'आप सभी को एक छतरी के नीचे कैसे ला सकते हैं।' उन्होंने कहा कि यद्यपि समान नागरिक संहिता पर बहस में अक्सर हिंदू-मुस्लिम मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, लेकिन यह हिंदुओं के लिए भी है, क्योंकि उनकी प्रथाएं और परंपराएं, जिनमें विवाह से संबंधित प्रथाएं भी शामिल हैं, देश भर में भिन्न हैं।
4). जातीय जनगणना सार्वजनिक करने के पक्ष में नहीं हैं चिराग
पासवान ने कहा, 'मुझे लगता है कि छत्तीसगढ़ में आदिवासियों को इससे बाहर रखा जा रहा है। तो आप उन्हें इस छतरी के नीचे कैसे ला सकते हैं? इसलिए जब तक मसौदा नहीं आता, मुझे नहीं लगता कि मैं इस सवाल का जवाब दे पाऊंगा।' उन्होंने कहा, 'यह हिंदू-मुस्लिमों को बांटने की बात नहीं है। यह सभी को एक साथ लाने की बात है।' पासवान ने कहा कि जाति आधारित जनगणना अगली जनगणना का हिस्सा होना चाहिए क्योंकि समुदाय आधारित विकास योजनाओं के लिए पर्याप्त धन आवंटन के लिए अक्सर विशिष्ट आंकड़ों की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि अदालतें भी कई बार विभिन्न जातियों की जनसंख्या के आंकड़े मांगती हैं। तीसरी बार लोकसभा में प्रतिनिधित्व कर रहे पासवान ने कहा कि जातीय जनगणना के आंकड़े सरकार के पास ही रखे जाने चाहिए और सार्वजनिक नहीं किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा, 'मैं इन्हें सार्वजनिक करने के बिल्कुल भी पक्ष में नहीं हूं। इससे समाज में विभाजन ही पैदा होता है।' उन्होंने कहा कि बिहार सरकार द्वारा जाति सर्वेक्षण के आंकड़ों का खुलासा करने के बाद अब राज्य में लोगों को कुल जनसंख्या में उनकी जातियों के प्रतिशत के आधार देखा जा रहा है।
जातीय जनगणना।
5). एक राष्ट्र, एक चुनाव के मुद्दे पर क्या है चिराग की राय?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल कहा था कि नयी सरकार बनते ही जनगणना और परिसीमन किया जाएगा। गत जून माह में नरेंद्र मोदी सरकार लगातार तीसरी बार सत्ता में लौटी। भाजपा ने बिहार में जातीय जनगणना का समर्थन किया था, लेकिन केंद्र सरकार ने अब तक जाति के आधार पर राष्ट्रवार जनगणना की विपक्ष की मांग पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है। यह पूछे जाने पर कि क्या पहले की तुलना में कम बहुमत के साथ सत्ता पर आसीन राजग के लिए देश में एक साथ चुनाव कराने का प्रावधान लागू करना संभव होगा, इस पर पासवान ने कहा, 'हां, बिल्कुल। क्यों नहीं?' उन्होंने कहा, 'एक राष्ट्र, एक चुनाव एक ऐसा मुद्दा है जिसका मैंने और मेरी पार्टी ने बहुत दृढ़ता से समर्थन किया है। हमने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति को अपने सुझाव दिए थे। हम चर्चा के लिए अंतिम मसौदे के आने का इंतजार कर रहे हैं।'
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