आंध्र प्रदेश से चंद्रबाबू नायडू और तेलंगाना से KCR की होगी NDA में एंट्री? समझिए कैसे बदल जाएगा साउथ का समीकरण

कुछ बीआरएस नेताओं ने पड़ोसी राज्य कर्नाटक में भाजपा-जद(एस) गठबंधन की तर्ज पर दोनों दलों के बीच गठबंधन की संभावना का संकेत दिया है। कर्नाटक में चुनाव हारने के कुछ महीने बाद, भाजपा ने देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली पार्टी से हाथ मिला लिया।

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टीडीपी और केसीआर के बीजेपी के साथ आने के चर्चे

लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बीजेपी, कांग्रेस को हर उस राज्य और सीट पर घेर रही है, जहां वो बढ़त हासिल कर सकती है। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र में बीजेपी पहले ही इंडिया गठबंधन को तोड़ चुकी है। राज्यों के बड़े नेताओं को अपने पाले में कर चुकी है। कई बीजेपी में शामिल होने के लिए कतार में हैं। अब बीजेपी ऐसी चाल चलने जा रही है, जिससे कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका लगेगा।

साउथ पर कांग्रेस को भरोसा

बीजेपी की लाख मेहनत के बाद भी साउथ के राज्यों में उसे बड़ी कामयाबी हाथ नहीं लगी है। यहां कांग्रेस नॉर्थ के मुकाबले मजबूत दिख रही है। कर्नाटक और तेलंगाना में उसके पास सत्ता है। तमिलनाडु में गठबंधन में सत्ता में है। केरल में वाम दलों से सीधी लड़ाई है और आंध्र प्रदेश में वाई.एस शर्मिला के सहारे अपनी वापसी की कोशिश में है।

तेलंगाना के लिए बीजेपी की रणनीति

लेकिन अब बीजेपी जो करने जा रही है, उससे कांग्रेस का मिशन साउथ फेल हो सकता है। साउथ के अहम राज्य तेलंगाना में कांग्रेस कुछ दिनों पहले ही सत्ता में आई है, यहां उसे लोकसभा चुनावों में बड़ी उम्मीद है। अटकलें हैं कि यहां बीजेपी, बीआरएस के साथ लोकसभा चुनाव में गठबंधन कर सकती है। बीआरएस के बीजेपी के साथ जाने पर कांग्रेस की उम्मीदों को झटका लग सकता है। बीआरएस अभी कुछ महीने पहले सत्ता से बाहर हुई है।

जेडीएस के रास्ते पर बीआरएस

कुछ बीआरएस नेताओं ने पड़ोसी राज्य कर्नाटक में भाजपा-जद(एस) गठबंधन की तर्ज पर दोनों दलों के बीच गठबंधन की संभावना का संकेत दिया है। कर्नाटक में चुनाव हारने के कुछ महीने बाद, भाजपा ने देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली पार्टी से हाथ मिला लिया। बीआरएस की तरह जद(एस) भी भाजपा के साथ किसी भी तरह के गठबंधन का कड़ा विरोध कर रही थी। हालाँकि, अंततः कांग्रेस को रोकने के लिए गठबंधन करने का निर्णय लिया गया। बीआरएस नेताओं का मानना है कि उनकी पार्टी के कांग्रेस के हाथों सत्ता गंवाने के बाद तेलंगाना में भी ऐसी ही स्थिति है। मुख्य विपक्षी दल के कई नेताओं को अपने खेमे में लाकर कांग्रेस पार्टी खुद को मजबूत कर रही है जिससे बीआरएस दबाव में दिख रही है। बीआरएस के नौ लोकसभा सांसदों में से एक कांग्रेस में जा चुके हैं, जबकि कुछ प्रमुख नेता भी लोकसभा टिकटों के लिए दलबदल कर रहे हैं।

आंध्र प्रदेश में बीजेपी की रणनीति

आंध्र प्रदेश में बीजेपी के करीब दोनों क्षेत्रीय पार्टियां आने की कोशिश में है। सत्ताधारी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी और विपक्षी टीडीपी। टीडीपी पर कांग्रेस भी डोरे डाल रही थी, लेकिन अब ऐसा लगता है चंद्रबाबू नायडू बीजेपी के साथ जाने की तैयारी में हैं। टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू बीजेपी के शीर्ष नेताओं से मुलाकात भी कर चुके हैं। चर्चा है कि चंद्रबाबू नायडू कभी भी एनडीए में शामिल हो सकते हैं। नायडू मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में एनडीए में ही थे, तब वो आंध्र प्रदेश की सत्ता में थे। अगर टीडीपी और बीजेपी साथ आ जाती है, आंध्र प्रदेश का समीकऱण बदल जाएगा और एनडीए बढ़त ले सकती है।

साउथ का समीकरण

दक्षिण भारत में लोकसभा की 129 सीटें हैं। यहां सिर्फ कर्नाटक में बीजेपी सीधी लड़ाई में है, बाकि जगह वो संघर्ष कर रही है। कर्नाटक में जेडीएस बीजेपी के साथ आ चुकी है, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अगर एनडीए में बीआरएस और टीडीपी शामिल होती है, तो बीजेपी को सीधे कुछ सीटों का फायदा हो सकता है और नुकसान सीधे कांग्रेस को।
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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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