Chandrayaan-3 Update: नहीं टूटी 'प्रज्ञान' और 'विक्रम' की नींद तो चांद पर क्या होगा? स्लीप मोड में जाने का क्या है मतलब, यहां जानें सबकुछ
Chandrayaan-3 Latest Update: 22 सितंबर को रोवर और लैंडर स्लीप मोड से बाहर नहीं आए तो क्या होगा? क्या इसरो इनका फिर से इस्तेमाल कर पाएगा? इसरो का अगला प्लान क्या होगा? आइए जानते हैं सभी सवालों के जवाब...
चंद्रयान-3
Chandrayaan-3 Latest Update: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बताया है कि उसके चंद्रमिशन चंद्रयान-3 के रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम ने अपना काम पूरा कर लिया है। अब इसे स्लीप मोड में डाला गया है। रोवर की पार्किंग इस दिशा में की गई है कि जब चंद्रमा पर सूर्योदय हो तब सूरज की किरणें इसके सौर पैनल पर पड़ें और यह फिर से काम कर सके।
इसरो के मुताबिक, चांद के साउथ पोल पर अगला सूर्योदय 22 सितंबर, 2023 को होगा। उम्मीद जताई जा रही है कि सूर्य से ऊर्जा प्राप्त करके रोवर और लैंडर एक बार फिर काम करने के लिए तैयार हो जाएंगे।
अब आप सोच रहे होंगे कि अगर 22 सितंबर को रोवर और लैंडर स्लीप मोड से बाहर नहीं आए तो क्या होगा? क्या इसरो इनका फिर से इस्तेमाल कर पाएगा? इसरो का अगला प्लान क्या होगा? आइए जानते हैं सभी सवालों के जवाब...
इसरो ने रोवर के बारे में क्या बताया?
सोशल मीडिया प्लेटफार्म 'X' पर बताया कि रोवर प्रज्ञान ने अपना काम पूरा कर लिया है। इसके दोनों पेलोड APXS और LIBS बंद हैं। इन पेलोड से डेटा लैंडर के माध्य से पृथ्वी पर भेज दिया गया है। इसे सुरक्षित रूप से पार्क किया गया है और स्लीम मोड में सेट कर दिया गया है। रोव की बैटरी पूरी तरह से चार्ज है।
विक्रम लैंडर भी स्लीप मोड में
रोवर के बारे में जानकारी देने के एक दिन बाद यानी सोमवार को इसरो ने विक्रम लैंडर को भी स्लीप मोड में भेज दिया है। इसरो ने इससे पहले लैंडर का जंप टेस्ट किया था और एक बार फिर से चांद के साउथ पोल पर इसकी सॉफ्ट लैंडिंग कराई थी। इसरो ने बताया कि लैंडर को थोड़ी उड़ान भरवाने के बाद नई लोकेशन पर उतारा गया है, जहां इसके सभी पेलोड्स बंद कर दिए गए हैं। इसका डेटा भी पृथ्वी को भेज दिया गया है। लैंडर के रिसीवर्स को चालू रखा गया है। एजेंसी ने कहा है कि एक बार पूरी सौर ऊर्जा खपा देने और बैट्री खत्म हो जाने के बाद विक्रम लैंडर प्रज्ञान के पास ही रहेगा।
प्रज्ञान और विक्रम नहीं जागे तो क्या होगा?
चंद्रयान-3 मिशन में सबसे बड़ा सवाल यह है कि 22 सितंबर को रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम नहीं जागे तो क्या होगा? दरअसल, चांद पर 14 दिन की रात और 14 दिन का सूर्योदय होता है। विक्रम और प्रज्ञान केवल सूर्य की रोशनी में ही काम कर सकते हैं, अब जब चंद्रमा पर सूर्य अस्त हो चुका है तो दोनों को स्लीम मोड में डाला गया है। उम्मीद जताई गई है कि अगला सूर्योदय होने के बाद दोनों फिर से काम करेंगे। अगर असाइनमेंट के दूसरे दौर में दोनों नहीं जागते हैं तो वे हमेशा के लिए भारत के चंद्र राजदूत के रूप में वहां रहेंगे।
100 मीटर से ज्यादा चला प्रज्ञान
इसरो ने बताया है कि प्रज्ञान ने 2 सितंबर तक चांद पर 100 मीटर से अधिक दूरी की यात्रा पूरी की थी। इसरो ने कहा है कि हम केवल 10 दिनों में रोवर की 100 मीटर से अधिक दूरी तय करने में कामयाब रहे। जबकि कई अन्य मिशनछह महीने तक केवल 100 से 120 मीटर की दूरी ही तय कर पाए हैं। इसरो ने कहा है कि रोवर प्रज्ञान ने असाधारण काम किया है और इसने अपने सभी उद्देश्य सफलता पूर्वक पूरे किए हैं।
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