BJP सांसद बृजभूषण सिंह के खिलाफ आरोप तय, जानिए कानूनी प्रक्रिया में इसका क्या है मतलब
Brij Bhushan Singh : किसी मामले में थाने में शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस इस शिकायत की जांच करती है। इस जांच के दौरान वह कथित घटना से जुड़े लोगों से पूछताछ करती है और इससे जुड़े साक्ष्य एकत्र करती है। इसके बाद वह घटना का ब्योरा देते हुए और अपने द्वारा एकत्र साक्ष्यों के साथ निचली अदालत में चार्जशीट दायर करती है।
कैसरगंज से भाजपा सांसद और डब्ल्यूएफआई के पूर्व अध्यक्ष हैं बृज भूषण शरण सिंह।
Brij Bhushan Singh : महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में शुक्रवार को कैसरगंज से भाजपा सांसद और रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (WFI) के पूर्व चीफ बृजभूषण शरण सिंह पर आरोप तय हो गए। चार्जशीट देखने के बाद राउज एवेन्यू कोर्ट ने माना कि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ मुकदमा शुरू करने के पर्याप्त सबूत हैं। बता दें कि दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ बीते साल 15 जून को चार्जशीट दाखिल की थी। यहां हम आपको बताएंगे कि आरोप तय होने का कानूनी प्रक्रिया में मतलब क्या है-
आरोपी के खिलाफ कोर्ट तय करता है आरोप
किसी मामले में थाने में शिकायत दर्ज होने के बाद पुलिस इस शिकायत की जांच करती है। इस जांच के दौरान वह कथित घटना से जुड़े लोगों से पूछताछ करती है और इससे जुड़े साक्ष्य एकत्र करती है। इसके बाद वह घटना का ब्योरा देते हुए और अपने द्वारा एकत्र साक्ष्यों के साथ निचली अदालत में चार्जशीट दायर करती है। बृजभूषण सिंह मामले में पुलिस ने गत 15 जून को धारा 354, 354 एक और 354 डी के तहत 1,500 पन्नों का चार्जशीट दाखिल किया। इस चार्जशीट को देखने के बाद राउज एवेन्यू कोर्ट ने आईपीसी की धाराओं 354 एवं 354 एक के तहत आरोप तय किए। चार्जशीट देखने के बाद कोर्ट ने बृजभूषण सिंह के खिलाफ आरोप तय करने का पर्याप्त साक्ष्य पाया।
आरोप तय होना मुकदमा शुरू होने का आधार
चार्जशीट को देखते हुए आरोप तय होने का मतलब है कि ट्रायल कोर्ट मानता है कि आरोपी के खिलाफ प्रथम दृष्टया केस बनता है। हालांकि, आरोप तय होने का यह मतलब नहीं है कि आरोपी ने कथित अपराध किया है। आरोप तय होना आरोपी के खिलाफ केवल मुकदमा शुरू करने का आधार बनाता है। ट्रायल जज द्वारा आरोप तय किए जाने के बाद आरोपी खुद को निर्दोष अथवा अपराधी होने की दलील दे सकता है।
गवाहों का होता क्रॉस एग्जामिनेशन
यदि कथित आरोपी खुद को निर्दोष बताता है तो बचाव पक्ष के वकील गवाहों के क्रॉस एग्जामिनेशन के लिए कोर्ट बुलाता है। गवाहों के बयानों की जांच हो जाने के बाद दोनों पक्ष के वकील कोर्ट के सामने अपनी दलीलें पेश करते हैं। दलीलें पूरी हो जाने के बाद जज अपना फैसला सुरक्षित रख सकता है लेकिन कोर्ट यदि आरोपी को दोषी करार देने का फैसला करता है तो वह सजा भी सुना सकता है। आईपीसी की धारा 354 एवं 354 ए के सात धारा 354 बी-डी को महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के रूप में देखा जाता है।
बृजभूषण पर 6 बालिग पहलवानों के यौन शोषण का आरोप
बृजभूषण शरण सिंह पर 6 बालिग पहलवानों के यौन शोषण का आरोप है। महिला पहलवानों के यौन शोषण मामले में पुलिस ने चार्जशीट में भाजपा सांसद के खिलाफ आईपीसी की धारा 354, 354-A और 354D और सह आरोपी विनोद तोमर के खिलाफ आईपीसी की धारा 109, 354, 354 (A), 506 के तहत आरोप लगाए।
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