CM Hemant Soren: हेमंत सोरेन के CM बनने का झारखंड चुनाव पर कितना पड़ेगा असर? जानें क्या है जेएमएम की असल रणनीति
CM Hemant Soren Impact on Jharkhand Election 2024 and JMM: इसी साल होने वाले झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए हेमंत सोरेन ने आखिर क्या सोच तैयार रखी है, जिसकी वजह से वो दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराज हो गए। उनके सीएम बनने का असर चुनाव पर कितना पड़ेगा? समझें क्या होगी रणनीति।
अब क्या करेंगे हेमंत सोरेन?
How CM Hemant Soren Impact on Jharkhand Election 2024 and JMM: आखिर हेमंत सोरेन और उनकी सहयोगी पार्टियों का असल प्लान क्या है? ये सवाल इसलिए दिलचस्प हो जाता है, क्योंकि पिछले 6 महीने से झारखंड की सियासत में गजब की उथल-पुथल देखने को मिली है। पहले हेमंत सोरेन लापता हुए, फिर उन्होंने गिरफ्तारी से ठीक पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, इस्तीफे के बाद 31 जनवरी को उनकी गिरफ्तारी हुई और चंपई सोरेन ने 2 फरवरी को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। पांच महीने जेल में रहते हुए हेमंत ने कई बार अदालत में गुहार लगाई, लेकिन उन्हें झारखंड हाईकोर्ट से 28 जून को जमानत मिली। कथित जमीन घोटाला मामले में अभी उन्हें क्लीन चिट नहीं मिली, जो बेल पर जेल से बाहर आए और उन्होंने दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। आपको इसके पीछे की जेएमएम की असल रणनीति समझाते हैं।
झारखंड चुनाव पर कितना पड़ेगा असर?
झारखंड समेत महाराष्ट्र, हरियाणा और जम्मू कश्मीर में इसी साल विधानसभा चुनाव होने हैं। जिसे लेकर तमाम पार्टियों और नेताओं ने अपनी-अपनी कमर कस ली है। इसी कड़ी में झारखंड की सियासत में जमकर उलटफेर देखने को मिल रही है। हेमंत सोरेन ने एक बार भी मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल ली है, लेकिन सवाल यही है कि उनके सीएम बनने से आगामी चुनाव पर कितना असर पड़ेगा?
विधानसभा चुनाव के लिए क्या होगा हेमंत सोरेन का प्लान?
हेमंत इस कोशिश में जुटे हैं कि आगामी चुनाव में ये साफ संदेश दिया जाए कि इस बार का चुनाव भी उन्हीं के चेहरे पर लड़ा जा रहा है, ऐसा न हो कि किसी को इस बार का कन्फ्यूजन रह जाए कि यदि जेएमएम और उसकी सहयोगी पार्टियां इस बार का चुनाव बिना किसी चेहरे या फिर चंपई सोरेन के फेस पर लड़ रही हैं। सबसे बड़ी वजह यही है कि ठीक चुनाव से पहले हेमंत ने कुर्सी संभालने का फैसला किया।
जेएमएम की चुनावी रणनीति समझिए
इस बार के झारखंड विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी का मुद्दा सबसे ज्यादा भुनाने की कोशिश की जाएगी। जिस तरह बीते लोकसभा चुनाव में विपक्ष ने 'मोदी की तानाशाही और संविधान खतरे में है' का आरोप लगाते हुए मुद्दे को जमकर तूल दिया, उसी प्रकार हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी का मुद्दा सबसे अधिक उठाया जाएगा। इसका संदेश विपक्षी दलों ने पहले ही दे दिया है। हेमंत की जमानत के बाद राहुल गांधी, अखिलेश यादव और ममता बनर्जी समेत कई प्रमुख विपक्षी नेताओं ने एक सुर में बधाई दी और उनकी गिरफ्तारी को साजिश करार दिया। अब जेएमएम ने इस बात को समझ लिया है कि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के मुद्दे से उन्हें आगामी चुनावों में लोगों की सहानुभूति मिल सकती है।
जमानत के बाद जेएमएम ने बनाई रणनीति
हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद एक हफ्ते का वक्त बीतने से पहले ही झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) नेताओं ने इस रणनीति पर विचार कर ये फैसला कर लिया कि हेमंत के हाथों में एक बार फिर सूबे की कमान सौंपी जाए। बुधवार को झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, इसके बाद झामुमो नेता हेमंत सोरेन ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया और अगले ही दिन वो मुख्यमंत्री बन गए। इससे पहले, सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं और विधायकों ने यहां चंपई सोरेन के आवास पर एक बैठक में सर्वसम्मति से हेमंत सोरेन को झामुमो विधायक दल का नेता चुना। इस दौरान आगे की रणनीति भी बनाई गई।
हेमंत सोरेन ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
ये देखना अहम होगा कि क्या हेमंत सोरेन की ये रणनीति विधानसभा चुनाव में कारगर साबित होती है या उनकी तमाम कोशिशों की हवा निकल जाती है। जेएमएम ने तो ये संकेत दे दिया है कि वो हेमंत की गिरफ्तारी को सबसे बड़ा चुनावी मुद्दे की तरह इस्तेमाल करेगी। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि भाजपा का क्या प्लान होगा? क्योंकि इस बार के लोकसभा चुनाव में उसे तगड़ा झटका लगा है।
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