'कट्टरपंथी साजिश पाकिस्तान से, ट्रेनिंग-फंडिंग चीन से', 'सोनार बांग्ला' को ऐसे सुलगा दिया'

Bangladesh Coup: बांग्लादेश का चरमपंथी संगठन जमात ए इस्लामी की भी इस हिंसा में बड़ी भूमिका सामने आई है। जमात ए इस्लामी वही संगठन है जिसने 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी फौज की मदद की। उसके कहने पर मुक्त बाहिनी के कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों को पाकिस्तानी फौज ने निशाना बनाया।

Bangladesh Violence

बांग्लादेश में भारी हिंसा।

मुख्य बातें
  • बांग्लादेश में पांच अगस्त को भारी हिंसा के बाद पीएम शेख हसीना ने दिया इस्तीफा
  • हसीना अपनी बहन के साथ मिलिट्री हेलिकॉप्टर में सवार होकर भारत पहुंचीं
  • बांग्लादेश में भारी हिंसा का दौर जारी, नई सरकार का गठन होगा
Bangladesh Coup: बांग्लादेश को हिंसा की आग में सुलगाने और वहां तख्तापलट के पीछे साजिश होने की बात सामने आई है। मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि बांग्लादेश में हिंसा को भड़काने एवं उसे अस्थिर करने में चीन और पाकिस्तान का हाथ है। आरक्षण के खिलाफ छात्रों के विरोध-प्रदर्शन को बांग्लदेश के कट्टरपंथी संगठनों ने हाईजैक कर लिया और छात्रों को हिंसा एवं उपद्रव के लिए सरकार के खिलाफ उकसाया। दरअसल, चीन के मंसूबों को प्रधानमंत्री शेख हसीना विफल करती जा रही थीं। वह, बांग्लादेश के जरिए दक्षिण एशिया में अपना प्रभाव एवं दबदबा बढ़ाना चाहता है।

बांग्लादेश में बना है चीन-पाकिस्तान का नेटवर्क

रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि अपने शिक्षण एवं छात्र अदला-बदली कार्यक्रमों के जरिए चीन बांग्लादेश के विश्वविद्यालय में दाखिल हो चुका है और इन कार्यक्रमों के जरिए वह युवाओं का ब्रेनवाश और अपने प्रभाव में लेने की कोशिश करता है। बांग्लादेश में चीन और पाकिस्तान का एक नेटवर्क बन चुका है। यह नेटवर्क पाकिस्तानी छात्रों और आईएसआई के साथ मिलकर काम कर रहा है। एक साजिश के तहत इन छात्रों को हसीना सरकार और उनकी नीतियों के खिलाफ भड़काया गया। खास बात यह है कि बांग्लादेश के छात्र संगठन उइगुर मुस्लिमों के खिलाफ चीन की नीतियों के बारे में कुछ नहीं बोलते। इससे जाहिर होता है कि चीन के साथ इनकी मिलीभगत है और ये किसी खास एजेंडे के तहत काम कर रहे हैं।

चीनी कंपनियों में प्रशिक्षण

बांग्लादेश की हिंसा में भारी मात्रा में चीन की फंडिंग होने की बात कही जा रही है। यही नहीं चीन के समर्थन वाली रैलियों में लोगों को शामिल कराने के लिए बांग्लादेशी कामगारों को चीनी कंपनियों में प्रशिक्षण दिया गया।

हसीना ने चीन को दिया झटका

दरअसल, शेख हसीना से चीन चिढ़ा हुआ है। जुलाई महीने में शेख हसीना चीन की चार दिनों की यात्रा पर गई हुई थीं लेकिन वह अपना दौरा बीच में समाप्त कर वापस लौट आईं। बताया गया कि उनकी बेटी की तबीयत खराब थी लेकिन मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि उनके दौरे से पहले चीन ने बांग्लादेश को 5 अरब डॉलर का कर्ज देने का वादा किया था लेकिन हसीना के चीन पहुंचने पर उसने अपनी इस रकम में कटौती कर दी, उसने कहा केवल 100 मिलियन डॉलर देने की घोषणा की। दूसरा, हसीना को चीन में जिस तरह का प्रोटोकॉल मिलना चाहिए था वैसा प्रोटोकॉल उन्हें नहीं मिला। बताया जाता है कि इससे नाराज होकर हसीना वापस बांग्लादेश आ गईं। यही नहीं, हसीना ने तीस्ता प्रोजेक्ट भारत को देने की अपनी प्राथमिकता बताकर चीन को बड़ा झटका दे दिया।

फौज ने चीनी हथियारों के बारे में शिकायत की

बात इतनी भर नहीं है। दक्षिण एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन वर्षों से बांग्लादेश में अपने फुट चिन्ह बढ़ा रहा है। इसके लिए वह बांग्लादेश को हथियार बेचने से लेकर परियोजनाओं में निवेश करता आया है। बांग्लादेश की सेना में हसीना के कुछ वफादार अधिकारी हैं। उन्होंने चीनी हथियारों एवं उनके उपकरणों के बारे में शिकायत की। उन्होंने कहा कि ये हथियार ठीक से चलते नहीं, इनमें तकनीकी दिक्कतें आती हैं। यह शिकायत भी चीन को बुरी लगी। इन सब बातों से चिन चिढ़ा हुआ था। वह हसीना को सबक सिखाने के लिए मौके की तलाश में था। छात्र आंदोलन के बहाने उसे मौका मिल गया और पाकिस्तान के साथ मिलकर उसने अपना दांव खेल दिया।

भारत के खिलाफ भावनाएं भड़काता है जमात-ए-इस्लामी

बांग्लादेश का चरमपंथी संगठन जमात ए इस्लामी की भी इस हिंसा में बड़ी भूमिका सामने आई है। जमात ए इस्लामी वही संगठन है जिसने 1971 के युद्ध में पाकिस्तानी फौज की मदद की। उसके कहने पर मुक्त बाहिनी के कार्यकर्ताओं एवं समर्थकों को पाकिस्तानी फौज ने निशाना बनाया। इस संगठन का की आईएसआई के साथ गहरे संबंध हैं। यह संगठन बांग्लादेश बनाए जाने के खिलाफ था। इसके लोग बांग्लादेश में प्रगतिशील विचारों को आगे बढ़ने नहीं देते और उदार लोगों एवं हिंदुओं को निशाना बनाते रहते हैं। यह संगठन बांग्लादेश के युवाओं में भारत विरोधी भावनाएं भड़काता है।
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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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