क्या भारत को अक्साई चिन का नामकरण नहीं करना चाहिए, चीन की नापाक चाल को जवाब !
India China Relationship: क्या सभी वैश्विक परेशानियों की वजह बन रहा है। कोविड से जूझ रही दुनिया कहीं ना कहीं चीन को जिम्मेदार मानती है। इन सबके बीच ताइवान के साथ तनाव, भारत के साथ तनाव बढ़ाने की कोशिश में जुटा है। हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के 11 जगहों का नामकरण किया तो एक कोने से आवाज उठी कि भारत अक्साई चिन का नामकरण क्यों नहीं कर सकता
हाल ही में अरुणाचल में 11 जगहों के नाम को चीन ने बदला
India China Relationship: क्या चीन पर भरोसा करना चाहिए। दरअसल यह सवाल खुद में उलझा हुआ है। कूटनीति में यह माना जाता है कि पड़ोसी मुल्कों के साथ संबंधों को एक जैसा बनाए रखना संभव नहीं होता। अगर दो पड़ोसी मुल्क ज्यादा ताकतवर हों तो मुश्किल बढ़ जाती है। जानकार कहते हैं कि फर्ज करें कि अगर नेपाल, भारत और चीन(Nepal buffer state) के बीच बफर स्टेट के तौर पर नहीं होता तो क्या होता। यहां पर हम बात करेंगे कि अरुणाचल प्रदेश(Arunachal pradesh) के उन 11 जगहों के बारे में जिसका नामकरण चीन ने किया है। यहीं एक बड़ा सवाल उठ खड़ा होता है कि अगर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर स्थित अक्साई चिन(Aksai chin naming) का नामकरण भारत कर दे तो किस तरह के हालात बनेंगे। इस पूरे विषय को समझने से पहले चीन के प्रवक्ता माओ निंग ने 5 अप्रैल को क्या कहा था समझना जरूरी है।
चीनी प्रवक्ता ने क्या कहा था
माओ निंग ने कहा था कि भारत का अरुणाचल प्रदेश (चीनी लोग इसे Zangnan in Han Chinese कहते हैं)चीन का ही हिस्सा था। चीन ने अगर कुछ जगहों के नामों को बदला है तो वो उसका अधिकार है। बता दें कि 2017 से अब तक चीन ने 32 जगहों का नामकरण किया है। बता दें कि चीन की इस हरकत पर भारत सरकार ने साफ कर दिया कि नाम बदलने से क्या होता है। यहां समझना जरूरी है कि तिब्बत के दक्षिण वाले हिस्से को चीन बृहत्तर तिब्बत का हिस्सा मानता है।
चीन के साथ 3488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर दावों-प्रतिदावों के बीच अभी दोनों पक्षों की स्थिति यह है कि बीजिंग ने 1960 के बाद पश्चिमी और पूर्वी दोनों क्षेत्रों पर अपना दावा ठोक दिया था। पहले चाउ एन-लाई और 1984 में देंग शियाओपिंग ने प्रस्ताव दिया कि यदि भारत पश्चिमी क्षेत्र में मध्य-राज्य के दावों को स्वीकार करता है तो चीन पूर्वी क्षेत्र पर अपना दावा छोड़ने को तैयार है। लेकिन बदलते समय के साथ साथ चीन बदलता रहा। अगर बात भारत की करें तो नजरिए में किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है। 1865 जॉनसन लाइन के आधार पर भारत पूरे अक्साई चिन को और अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है।
कहां है अक्साई चिनअक्साई चिन, चीन द्वारा होटन काउंटी, होतान प्रीफेक्चर, झिंजियांग और रुतोग काउंटी, तिब्बत के हिस्से के रूप में प्रशासित क्षेत्र है। भारत इसे लेह जिले, लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश के हिस्से के रूप में दावा करता है। यह कश्मीर क्षेत्र के पूर्वी हिस्से का इलाका है जिसे लेकर 1950 के दशक के अंत से भारत और चीन के बीच विवाद का विषय रहा है। अक्साई चिन के बारे में पहली बार मुहम्मद अमीन ने दी थी जो यारकंडी गाइड थे। इसका मतलब महान सफेद रेत रेगिस्तान के निकाला। जॉर्ज वैन ड्रिएम नाम के भाषा शास्त्र के जानकार अक्साई चोल मानते हैं जिसका मतलब सफेद खड्ड रेगिस्तान या सफेद कोंब रेगिस्तान हो सकता है।ऐसा माना जाता है कि अंग्रेजी में इसका ट्रासलेशन चिन के रूप में हुआ। कुछ स्रोतों ने अक्साई को उइघुर नाम दिया गया है जिसका अर्थ सफेद पत्थर के रेगिस्तान के रूप में की गई है। कुछ आधुनिक स्रोत इसकी व्याख्या सफेद नदी के रूप में है। कम से कम एक स्रोत अक्साई की व्याख्या यारकंडी उइघुर बोली में पूर्वी के रूप में करता है।
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