'India in Ring of Fire...' कौन लगा रहा पड़ोसी देशों में आग? जहां हो रहा तख्तापलट वहां बन रही भारत विरोधी सरकार

Bangladesh Political Crisis: बांग्लादेश के साथ-साथ भारत के पड़ोसी मुल्कों में हुए हालिया घटनाक्रमों से एक तस्वीर बनती है। वह है, चीनी साजिश और भारत विरोधी सरकारों के गठन की। सिर्फ बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और श्रीलंका में राजनीतिक उथल-पुथल और तख्तापलट के बाद अस्तित्व में आई सरकार ने भारत के लिए चुनौतीपूर्ण हालात पैदा कर दिए हैं।

Bangladesh Political Crisis

Bangladesh Political Crisis

Bangladesh Political Crisis: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना बीते महीने चीन दौरे पर गई थीं। हालांकि, वह तय समय से पहले ही लौट आईं। इसके बाद उन्होंने बड़ा बयान दिया। शेख हसीना ने कहा, 'भारत और चीन दोनों ही देशों की तीस्ता परियोजना में दिलचस्पी थी, लेकिन वह चाहती हैं कि भारत इस परियोजना का पूरा करे।' शेख हसीना के इस बयान को एक महीने भी नहीं बीते थे कि देश हिंसा की आग में जल उठा और हालात ऐसे हो गए शेख हसीना को इस्तीफा देकर मुल्क छोड़ना पड़ा।
नाजुक दौर से गुजर रहे बांग्लादेश में अब अंतरिम सरकार का गठन किया जा रहा है। यह सरकार कैसी होगी? भारत को लेकर उसका क्या नजरिया होगा? इन सवालों के जवाब आने वाला वक्त ही देगा, लेकिन एक बात जाहिर है कि शेख हसीना के दौरे में बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्ते मजबूत और काफी गहरे रिश्ते थे। हालांकि, अब हालात बदल चुके हैं।
सिर्फ बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और श्रीलंका में राजनीतिक उथल-पुथल और तख्तापलट के बाद अस्तित्व में आई सरकारों ने भारत के लिए चुनौतीपूर्ण हालात पैदा कर दिए हैं। भारत के पड़ोसी मुल्कों में हुए हालिया घटनाक्रमों से एक तस्वीर बनती है। वह है, चीनी साजिश और भारत विरोधी सरकारों के गठन की.. हालिया उदाहरण मालदीव और नेपाल जैसे देश का है। एक ओर जहां मालदीव में चीन समर्थक 'इंडिया आउट' का नारा देने वाले मोहम्मद मुइज्जू सत्ता में आए तो राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहे नेपाल में चीन समर्थक केपी शर्मा 'ओली' की सरकार बनी।
अब सवाल यह उठते हैं कि भारत के पड़ोसी देशों में हो रही इस अराजकता का कारण क्या है? यह सिर्फ एक संयोग है या फिर साजिश? क्या इसके पीछे चीन का हाथ है? पड़ोसी देशों में पनप रही इस अस्थिरता का भारत पर क्या असर होगा? और पाकिस्तान, मालदीव, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल में ऐसा क्या-क्या हुआ? आइए जानते हैं...

बांग्लादेश

शेख हसीना 15 साल से बांग्लादेश की सत्ता पर काबिज थीं। उनकी आवामी लीग पार्टी को भारत समर्थक माना जाता है। जब से शेख हसीना ने बांग्लादेश की कमान संभाली, भारत के साथ इस देश के रिश्ते मधुर ही रहे हैं। हालांकि, चीन भारत के इस पड़ोसी देश में अपना प्रभुत्व जमाने के लिए काफी लंबे समय से प्रयासरत रहा है। माना जाता है कि शेख हसीना काफी समय से चीन और भारत के बीच संतुलन बनाने की कोशिश में रहीं, लेकिन ऐसा हो न सका। अब शेख हसीना की रवानगी चीन के लिए फायदेमंद हो सकती है।

पाकिस्तान

पाकिस्तान और चीन की दोस्ती जगजाहिर है। चीन ने पाकिस्तान को अपने कर्ज के जाल में ऐसा फंसाया है कि पाकिस्तान पूरी तरह से चीन का मोहताज हो चुका है। चीन ने पाकिस्तान के इंफ्रास्ट्रक्चर पर अरबों डॉलर खर्च किया है, जिस कारण आर्थिक तंगी से जूझ रहा पाकिस्तान चीन पर निर्भर हो चुका है। इमरान खान जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने भारत के साथ रिश्ते बेहतर करने की काफी कोशिश की। कई बार उन्हें भारत की तारीफ करते हुए सुना गया। हालांकि, अविश्वास प्रस्ताव के बाद इमरान खान सत्ता से बेदखल कर दिए गए और शहबाज शरीफ प्रधानमंत्री बने, जिसके बाद हालात जस के तस हैं।

श्रीलंका

बांग्लादेश की तरह श्रीलंका में भी बड़ा राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिला था। यहां भी बड़ा जनआंदोलन हुआ और जनता ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया, जिस कारण राष्ट्रपति गोटाबाया को देश छोड़कर भागना पड़ा था। आर्थिक दिवालियेपन का शिकार यह देश चीन के कर्ज के जाल में फंसा हुआ है। श्रीलंका के कर्ज का एक बड़ा हिस्सा चीन का था, जिस कारण चीन ने यहां के हंबनटोटा बंदरगाह पर कब्जा कर लिया था। हालात यह हो गए थे कि श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो गया था।

मालदीव

मालदीव की अर्थव्यवस्था चीन और भारत पर निर्भर है। हालांकि, मालदीव की भारत से नजदीकी हमेशा चीन को खटकती थी, जिस कारण उसने इस देश को अपने कर्ज के जाल में फंसाया। धीरे-धीरे इस देश की माली हालत बुरी होने लगी, जिसके बाद यहां चीन समर्थक और इंडिया आउट का नारा देने वाले मोहम्मद मुइज्जू की सरकार बनी। मुइज्जू ने राष्ट्रपति बनने के बाद सबसे पहले चीन का ही दौरा किया था और इसके बाद उन्होंने कई भारत विरोधी फैसले किए, जिसमें मालदीव से भारतीय सैनिकों की वापसी भी शामिल थी।

नेपाल

नेपाल बीते कई सालों से राजनीतिक अस्थिरता के दौरे से गुजर रहा है। हाल ही में यहां एक बार फिर से सत्ता परिवर्तन हुआ और प्रो-भारत माने जाने वाली प्रचंड सरकार सत्ता से बाहर हो गई। अब यहां चीन समर्थक केपी शर्मा ओली की सरकार है। ओली इससे पहले 2015-16 में नेपाल के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। उस समय भारत और नेपाल के संबंध काफी तनावपूर्ण रहे थे।

अफगानिस्तान

भारत के एक और पड़ोसी देश अफगानिस्तान में भी ऐसा ही हुआ था। यहां तालिबान शासन से पहले अशरफ गनी की सरकार थी। अशरफ गनी के कार्यकाल में अफगानिस्तान और भारत के बीच मधुर संबंध थे। हालांकि, तालिबान ने यहां कब्जा कर लिया, जिस कारण अशरफ गनी को देश छोड़कर भागना पड़ा। इसके बाद तालिबान शासन में भारत और अफगानिस्तान के रिश्ते लगभग खत्म हो चुके हैं।
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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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