Independence Day 2024: स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री नहीं फहराते थे राष्ट्रध्वज, जानें कब और किस वजह से बदला यह रिवाज

भारत को आजाद हुए इस साल 78 साल हो रहे हैं और देश अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। क्या आप जानते हैं कि पहले मुख्यमंत्री राष्ट्रध्वज नहीं फहराते थे, बल्कि प्रोटोकॉल के तहत राज्यपाल झंडा फहराते थे। लेकिन एक मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर इस प्रोटोकॉल को ही बदलवा दिया।

Independence Day Flag Hoisting.

राज्यों में राज्यपाल फहराते थे राष्ट्रध्वज

Independence Day 2024: देश अपने 78वें स्वतंत्रता दिवस की तैयारी कर रहा है। इस दिन प्रधानमंत्री दिल्ली में लाल किले की प्राचीर पर ध्वजारोहण करके देश को संबोधित करते हैं। अलग-अलग राज्यों की राजधानियों में वहां के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित प्रदेशों में शासन प्रमुख भी राष्ट्रध्वज फहराते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहले स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री राष्ट्रध्वज नहीं फहराते थे। इसके लिए बकायदा एक मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर इसके लिए मांग की थी। उनकी इस चिट्ठी के अगले ही साल से प्रोटोकॉल बदलकर स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्रियों को झंडा फहराने की अनुमति मिल गई। चलिए जानते हैं क्या था वह नियम, कब बदला गया और वह मुख्यमंत्री कौन थे, जिन्होंने इसके लिए पहली की थी।

कहानी इंदिरा गांधी के समय की है

यह कहानी उस समय की है, जब इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं। साल 1974 का था। उस समय के प्रोटोकॉल के हिसाब से मुख्यमंत्रियों को स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रध्वज फहराने का अवसर नहीं मिलता था। आजादी के बाद से ही यह प्रोटोकॉल लगातार चला आ रहा था। उस समय इन दोनों ही राष्ट्रीय पर्वों के अवसर पर राज्य में केंद्र का प्रतिनिधि होने के नाते राष्ट्रध्वज फहराने का अधिकार राज्यपाल के पास होता था।

किसकी पहल से बदला प्रोटोकॉल

उस समय तक सभी मुख्यमंत्री इस प्रोटोकॉल को बिना शिकायत के मान रहे थे। साल 1969 में एम करुणानिधि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने। फिर 1971 में डीएमके यानी द्रविड़ मुनेत्र कषगम के एक बार फिर से चुनाव जीतने पर करुणानिधि ने लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इसी दौरान साल साल 1974 में करुणानिधि ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को चिट्ठी लिखी। इस चिट्ठी में उन्होंने इसे मुख्यमंत्रियों और देश के संघीय ढांचे के खिलाफ भेदभाव करार दिया। उन्होंने चिट्ठी में पीएम इंदिरा गांधी से मांग की कि प्रोटोकॉल को बदलकर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री को राष्ट्रध्वज फहराने की अनुमति दी जाए।
यह मांग डीएमके और स्वयं करुणानिधि के पूर्व के राजनीतिक दृष्टिकोण से बिल्कुल उलट थी। क्योंकि पहले वह अलग द्रविड़नाडु की मांग के समर्थक थे। लेकिन तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के रूप में करुणानिधि ने राज्यों में संघवाद और मजबूत सत्ता के लिए लड़ाई लड़ी। करुणानिधि के नेतृत्व में डीएमके ने राज्यों को ज्यादा से ज्यादा स्वायत्तता देने के लिए अभियान चलाया था।

मानिलाथिले सुयाची, मथियिले कूटाट्ची

'Maanilathile Suyatchi, Mathiyile Kootatchi' जी हां, करुणानिधि ने ही साल 1970 में त्रीचि कॉन्फ्रेंस में राज्यों को स्वायत्तता और केंद्र संघवाद के विचार को प्रस्तुत किया था। जल्द ही केंद्र और राज्यों के संबंधों पर राजमन्नार समिति की रिपोर्ट आ गई। मुख्यमंत्री करुणानिधि ने 1974 में ही तमिलनाडु विधानसभा में राज्यों को ज्यादा स्वायत्तता देने के प्रस्ताव को पारित करवाया। इसी साल फरवरी में उन्होंने इंदिरा गांधी को वह चिट्ठी लिखी, जिसमे उन्होंने प्रोटोकॉल बदलकर मुख्यमंत्रियों को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झंडा फहराने की इजाजत देने की मांग की थी। केंद्र की इंदिरा गांधी सरकार ने उनकी मांग को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्रियों को स्वतंत्रता दिवस और राज्यपाल को गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराने की मंजूरी दे दी।
इसके बाद 15 अगस्त 1974 को करुणानिधि तमिलनाडु के पहले मुख्यमंत्री थे, जिन्होंने चेन्नई में सेंट जॉर्ज फोर्ट पर राष्ट्रध्वज फहराया।
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Digpal Singh author

खबरों की दुनिया में लगभग 19 साल हो गए। साल 2005-2006 में माखनलाल चतुर्वेदी युनिवर्सिटी से PG डिप्लोमा करने के बाद मीडिया जगत में दस्तक दी। कई अखबार...और देखें

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