अंडमान-निकोबार से सिर्फ 55 किमी दूर कोको आइलैंड पर चीन की नजर, जानें क्यों है चिंता की बात
Coco Island explainer: कोको आइलैंड वैसे तो म्यांमार का हिस्सा है। लेकिन भारत के लिए चिंता का विषय इसलिए है क्योंकि इस आइलैंड पर हो रहे विकास कार्यों में चीन आक्रामक तरीके से मदद कर रहा है। इसके साथ ही इसकी दूरी अंडमान निकोबार से महज 55 किमी है।
अंडमान निकोबार से महज 55 किमी दूर है म्यांमार का कोको आइलैंड
Coco Island explainer: भारत संग चीन अच्छे संबंधों की वकालत जरूर करता है। लेकिन जमीनी स्तर पर उसके कथनी और करनी में अंतर साफ नजर आता है। भारत और चीन करीब 4 हजार किमी सीमा साझा करते हैं और एएलसी पर चीन की चालबाजियों से हर कोई वाकिफ है। हाल ही में हिंद महासागर में एक चीनी शिप देखी गई थी जिसके बारे में कहा जा रहा है कि उसके जरिए जासूसी की जा रही थी, हालांकि औपचारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं है। इन सबके बीच म्यांमार के कोको आइलैंड चर्चा में है। दरअसल कोको आइलैंड पर जो भी विकास के काम किए जा रहे हैं उसे चीन मदद कर रहा है। अब यह भारत के लिए इस मायने में खतरनाक है क्योंकि कोको आईलैंड की दूरी अंडमान निकोबार से 55 किमी है। ऐसी सूरत में अंडमान निकोबार में सैन्य व्यवस्था को और पुख्ता किए जाने पर बल दिया जा रहा है। के साथ साथ जिस तरह से कंबोडिया के रीयम नेशनल पार्क में चीनी मदद से विकास कार्यों पर भारत सरकार की पैनी नजर है। दरअसल यह पार्क सिहानुविले प्रांत में है जो कि नेवल बेस के करीब है जो भारत के लिए चिंता का विषय है। बता दें कि चीन, श्रीलंका के हंबनटोटा, और बलूचिस्तान के ग्वादर में पोर्ट का निर्माण कर रहा है।
कोको आइलैंड के बारे में खुफिया जानकारी के मुताबिक म्यांमार की सैन्य सरकार ने कोको आईलैंड में एयर स्ट्रिप को 1300 मीटर से बढ़ाकर 2300 मीटर किया है। इसके अलावा 2021-22 में शेड्स का निर्माण भी किया था। हालांकि चीन का अभी वहां स्थाई रिहाइश नहीं है।
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