गुजरात में BJP की टेंशन बढ़ा रही है कांग्रेस, विधानसभा चुनाव पर कितना पड़ेगा असर; 9 पॉइंट में समझिए सबकुछ

Gujarat Politics: गुजरात में कांग्रेस पार्टी लगातार खुद को मजबूत करने की कोशिश में जुटी हुई है। जिसके चलते भारतीय जनता पार्टी का सिरदर्द बढ़ता जा रहा है। राहुल गांधी तो ये तक दावा कर चुके हैं कि 2027 में कांग्रेस की सरकार बननी तय है। आपको 9 अहम बिंदुओं से सूबे की सियासत समझनी चाहिए।

Congress is increasing BJP's tension in Gujarat

गुजरात में कांग्रेस ने बनाया भाजपा से 'भिड़ने' का प्लान।

Congress vs BJP in Gujarat: लोकसभा चुनाव के नतीजों का पूरे देश के लोगों के मन पर असर दिखा है, जो गुजरात में भी साफ नजर आ रहा है। अगर भाजपा को अपने सबसे सुरक्षित किले पर अपना दबदबा बरकरार रखना है, तो गुजरात में तीन साल के वक्त रहते संगठन समेत सरकार में कड़े फैसले लेने पड़ेंगे, नहीं तो गुजरात में भी भाजपा की मुश्किलें वक्त के साथ-साथ बढ़ता जाएगा।

भाजपा के गढ़ में कांग्रेस ने बढ़ाई उसकी टेंशन

गुजरात को भाजपा की पॉलिटिकल लैबोरेट्री कहा जाता है, नरेंद्र मोदी और अमित शाह के युग का भाजपा का सबसे सुरक्षित गढ़ है। 2017 में तक भाजपा ने अपने इस किले को काफी कम अंतर से सुरक्षित किया था, लेकिन पिछले कुछ महीनों से कांग्रेस ने गुजरात में फिर अपना चरित्र बदला है और गुजरात में भी लोग विपक्ष से इसी भूमिका की अपेक्षा कर रही थी। कांग्रेस अब उसी रूप में आगे बढ़ रही है और यही वजह है की राजकोट जहां से नरेंद्र मोदी ने अपने पहली चुनावी राजनीति की शुरुआत की थी, जिसके बाद राजकोट भाजपा का सबसे बड़ा गढ़ बन चुका था, जहां कांग्रेस चार दुकानें तक बंद नहीं करवा पाती थी, वहां पूरा का पूरा शहर बंद कराने में कांग्रेस सफल रही, जिसके बाद माना जा रहा है कि कांग्रेस गुजरात में मुद्दो की राजनीति लौट रही है। जैसा राहुल ने बयान दिया था कि गुजरात में उनकी पार्टी, शादी की जगह रेस वाले घोड़े मैदान में उतारेगी। कुछ इसी तरह कांग्रेस अब रेस में उतर रही है।

राहुल ने 2027 में भाजपा को हराने की दी है चुनौती

गुजरात में लंबे अरसे से सरकार और संगठन में फेरबदल लंबित है, ऐसे में माना जा रहा है कि जुलाई में बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री परिषद की बैठक के बाद भाजपा राज्य में कई बड़े बदलाव कर सकती है, ताकि राज्य में कांग्रेस के मजबूत होने की चुनौती का सही से मुकाबला किया जा सके। इसी बीच गुजरात कांग्रेस तक राज्य में 1 अगस्त से 15 अगस्त तक न्याय यात्रा निकालने जा रही है, जिसमें राहुल गांधी समेत कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता जुड़ेंगे। साथ ही गठबंधन के बड़े नेताओं को भी न्योता भेजा जा सकता है। मोरबी से सूरत तक की इस न्याय यात्रा से कांग्रेस, भाजपा को और ज्यादा बैकफुट पर भेजने की तैयारी में है, क्योंकि लोकसभा में विपक्ष नेता राहुल गांधी ने 2027 में गुजरात में भाजपा को हराने की चुनौती तक दी है।
हालांकि गुजरात विधानसभा में इस वक्त भाजपा का संख्याबल 180 सीटों में से 161 का है और दो सीट अभी भी खाली पड़ी हुई है। जिसे देखते हुआ केंद्रीय नेतृत्व संगठन के साथ साथ सरकार में कई जरूरी बदलाव कर सकता है। गुजरात बीजेपी के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सी आर पाटिल अब केंद्र में मंत्री है और कुछ दिन पहले प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में बोल चुके हैं कि एक पद पर एक व्यक्ति के सिद्धांत के अनुसार उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के जिम्मेवारी से मुक्त किया जाए, इसी के साथ ही संगठन में कई बड़े पद तक खाली पड़े हैं जो भरे जाएंगे।

लगातार सवालों के घेरे में हैं मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल

गुजरात में भूपेंद्र पटेल भी बतौर मुख्यमंत्री सितंबर में अपना तीसरा साल पूरा करने वाले हैं। पार्टी 2022 के चुनावों में भूपेंद्र पटेल को ही अपना चेहरा बनाकर एक बड़ी और ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। जिसमें भाजपा को 156 सीटें मिली थी। भूपेंद्र पटेल पर उनके तीन साल के कार्यकाल में व्यक्तिगत तौर पर कोई आरोप नहीं लगे हैं, लेकिन पिछले तीन सालों में कई हादसे हुए हैं जिसने भूपेंद्र पटेल की सरकार के लिए कई चुनौती खड़ी की है। जिसमें मोरबी ब्रिज, वडोदरा का हरनी बोटकांड़, राजकोट अग्निकांड, सूरत में अवैध इमारत धराशाई से हुई, कई मौत और मौजूदा समय में फैल रहे चांदीपुरा वायरस से हो रही बच्चों की मौत जैसे मामलों के बाद आने वाले दिनों में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव को देखते हुए सरकार के नेतृत्व पर कई सवाल खड़े हो गए हैं।
साथ ही इन मामलों में सरकार की कार्यवाही पर गुजरात हाईकोर्ट की फटकार और टिप्पणियों से भाजपा की अगुवाई वाली सरकार की किरकिरी तक हुई है। राज्य में मजबूत सरकार होने के बाद भी लोगों के बीच प्रशासन की चुस्ती नहीं दिख पाई है, जिसकी अपेक्षा लोगों ने की थी, ऐसे में मुमकिन है कि भाजपा संगठन के साथ सरकार में भी बड़े बदलाव करे और कई मंत्रियों की छुट्टी सरकार से कर कई नए विधायकों को मंत्री तक बनाया जाए।

सरकार और संगठन में इन कारणों से बदलाव की चर्चा

1. मोरबी ब्रिज हादसे में 100 से ज्यादा मौत, वडोदरा के हरनी बोट हादसे में 12 बच्चों समेत 2 शिक्षक की मौत, राजकोट अग्निकांड में 27 लोगों की मौत इस तीन बड़े हादसों पर लगातार गुजरात हाईकोर्ट की सरकार को फटकार और कठोर टिप्पणियां।
2. राज्य की महानगर पालिका और नगर पालिका में व्याप्त भ्रष्टाचार भाजपा के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रही है, सभी बड़े हादसों में निगमों की लापरवाही और भ्रष्ट अधिकारियों पर जनता की कड़ी कार्यवाही की अपेक्षा जो अब तक नहीं हुई।
3. भूपेंद्र पटेल की सरकार के मंत्री अपने काम से पहचान नहीं बना पाए, जिससे जनता में अधिकारी राज हावी होने का संदेश जाना तो कुछ विधायक तक मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अपना असंतोष व्यक्त कर चुके हैं।
4. पीएम मोदी जब राज्य में सीएम थे, तब कभी भी ऐसा नहीं हुआ कि सरकार और संगठन में समन्वय की कमी हो, लेकिन आनंदीबेन के इस्तीफे के बाद से लगातार राज्य में सरकार और संगठन में समन्वय का अभाव है।
5. लोकसभा चुनाव में भाजपा अपने गढ़ में क्लीन स्वीप नहीं कर पाई, वोट शेयर तक 2% से घटना सिर्फ 2 साल में सबसे कमजोर प्रदर्शन से गुजरात में कांग्रेस का बनासकांठा सीट जीतना और कई सीटों पर करीबी मुकाबले में पहुंचना।
6. पीएम मोदी ने चुनावी राजनीति की शुरुआत राजकोट से की थी, हालांकि गुजरात में कांग्रेस चार दुकानें बंद नहीं कर पाती थी, लेकिन टीआरपी गेम जोन के बाद कांग्रेस ने पूरे राजकोट शहर को बंद करा कर बीजेपी के गढ़ में सेंधमारी करने में सफल रही।
7. विधानसभा चुनाव 2027 में कांग्रेस बीजेपी को हराने की हुंकार भर चुकी है, राज्यभर में 15 दिनों की न्याययात्रा निकालना और कई कांग्रेसी नेता जमीनी स्तर पर जनता को अपने पक्ष में करने के मुद्दों के साथ सक्रिय होना।
8. गुजरात में विधानसभा चुनाव दूर है, लेकिन पंचायत चुनाव से लेकर निकाय चुनाव साल के अंत में होने हैं। ऐसे में कांग्रेस की न्याय यात्रा और ओबीसी वोट बैंक की पॉलिटिक्स जिससे माना जा रहा है, निकाय चुनाव में कांग्रेस का पलड़ा भारी हुआ तो विधानसभा में भी लाभ होगा।
9. भाजपा में संगठन में आंतरिक राजनीति चरम पर होना, ओबीसी, कोली अन्य समुदाय के सीएम चेहरे की मांग, दूसरी पार्टी से आए कार्यकर्ता के चलते पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं का मोराल कम होना।
कुछ यही हाल लॉकडाउन के वक्त था, जिसके बाद सितंबर 2021 में भाजपा ने विजय रुपाणी को हटाकर जनता की नाराजगी को दूर कर लिया था और 2022 विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। जिससे माना जा रहा है कि पार्टी इस बार भी बदलाव का सबसे क्राइटेरिया परफॉर्मेंस बनाकर ही बड़े बदलाव कर सकती है। पार्टी कई ऐसे नेताओं को भी किनारा कर सकती है जो गुजरात से वाराणसी की चुनाव ड्यूटी पर गए थे। इनमें गुजरात सरकार के दो बड़े मंत्री समेत संगठन के कई ओहदेदार तक शामिल थे।

शक्तिसिंह गोहिल ने सूबे में जगाई कांग्रेस की उम्मीदें

कांग्रेस ने राज्यसभा सांसद शक्तिसिंह गोहिल को जबसे गुजरात कांग्रेस की कमान सौंपी है, तब से बीते एक साल में पार्टी को जनता के मुद्दों के बीच ले गए हैं, पार्टी ने उस एक साल में अपने चार विधायक जरूर खोए हैं, लेकिन गोहिल ने उसे अपनी मजबूती मानकर भाजपा पर लालच देकर विधायक खरीदने का आरोप लगाते हुए गुजरात में लोकसभा में कांग्रेस के 0 को खत्म कर दिखाया और गोहिल तक गुजरात में नई कांग्रेस गढ़ते हुए दिख रहे हैं।
ऐसे में राहुल गांधी तक के विश्वासपात्र बने गोहिल गुजरात में भाजपा को हराने के लिए 1 अगस्त से 15 अगस्त तक मोरबी से सूरत तक की न्याय यात्रा निकालने जा रहे हैं। जिसमे राहुल गांधी समेत कांग्रेस के सभी बड़े नेता का जुड़ना और विपक्षी अन्य दलों के बड़े नेताओं को आमंत्रण देना यह सब भाजपा के लिए बड़ी चुनौती रूप देखा जाना, ऐसे में गुजरात में कांग्रेस की न्याय यात्रा से भाजपा कैसे खुद को फिर एक बार जनता में मजबूत कर पाती है यह तो समय ही बताएगा।
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हितेन विठलानी author

2011 में ANI मुंबई ब्यूरो में इंटर्न से शुरू हुआ सफर, 2012 में समय मुंबई में ट्रेनी प्रोड्यूसर तक पहुंचा लेकिन मंत्रालय में लगी आग के बाद से रिपोर्टर ...और देखें

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