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बिहार में कांग्रेस का दलित दांव! चुनाव से पहले प्रदेश अध्यक्ष बदलकर आक्रामक रणनीति पर काम कर रही पार्टी

Congress Bihar President : इस बदलाव के पीछे की वजह बिहार कांग्रेस में बीते कुछ समय से चल रही अंदरूनी कलह, गुटबाजी और अखिलेश सिंह के खिलाफ प्रादेशिक नेताओं की नाराजगी बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और पार्टी के प्रदेश प्रभारी के बीच पिछले कुछ महीनों से मतभेद चल रहे थे। कांग्रेस की यात्रा को लेकर भी अखिलेश सिंह ने नाराजगी जाहिर की थी।

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बिहार के नए कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार।

Congress Bihar President : बिहार में जातीय जकड़न और जातीय हदबंदी इतनी तगड़ी है कि इसे नजरंदाज करना किसी भी पार्टी के लिए घाटे का सौदा बन जाता है। बिहार में विधानसभा चुनाव होने में अभी लगभग 7 महीने बाकी हैं। ऐसे में चुनाव का समय नजदीक आता देख सभी दलों ने संगठन में बदलाव करने से लेकर चुनावी अभियान को धार देना शुरू कर दिया है। कांग्रेस भी इसमें पीछे नहीं है। पार्टी ने बड़ा कदम उठाते हुए अपना प्रदेश अध्यक्ष बदल दिया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से अखिलेश प्रसाद सिंह की छुट्टी कर दी गई है। सिंह की जगह प्रदेश अध्यक्ष की कमान राजेश कुमार को सौंपी गई है।

दलित समुदाय से आते हैं राजेश कुमार

राजेश कुमार औरंगाबाद के कुटुंबा से विधायक हैं। वह दलित समुदाय से आते हैं। इनके पिता बालेश्वर राम भी सांसद थे। राजेश अब तक दो बार 2015 और 2020 में विधायक निर्वाचित हो चुके हैं। वह कांग्रेस का युवा चेहरा माने जाते हैं और पार्टी के आयोजनों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते रहे हैं। दलित समाज में इनकी पहचान एक सशक्त नेता के रूप में है। प्रदेश अध्यक्ष पद से अखिलेश सिंह को हटाकर राजेश को कमान सौंपना सामाजिक समीकरणों को साधने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। कांग्रेस ने यह निर्णय ऐसे समय में लिया है जब राज्य में जातीय समीकरण काफी प्रभावी भूमिका निभा रहे हैं। कांग्रेस के इस कदम को दलित मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने की एक पहल के रूप में देखा जा रहा है।

अखिलेश सिंह को लेकर प्रदेश नेताओं में थी नाराजगी

हालांकि, इस बदलाव के पीछे की वजह बिहार कांग्रेस में बीते कुछ समय से चल रही अंदरूनी कलह, गुटबाजी और अखिलेश सिंह के खिलाफ प्रादेशिक नेताओं की नाराजगी बताई जा रही है। कहा जा रहा है कि बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और पार्टी के प्रदेश प्रभारी के बीच पिछले कुछ महीनों से मतभेद चल रहे थे। कांग्रेस की यात्रा को लेकर भी अखिलेश सिंह ने नाराजगी जाहिर की थी। इसके अलावा संगठन में समन्वय की कमी और गुटबाजी की शिकायतें भी सामने आई थीं। अखिलेश सिंह लालू यादव के करीबी माने जाते हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस का प्रदर्शन बिहार में भले ही जो भी रहा हो, लेकिन जिस तरह उन्होंने अपने बेटे को टिकट दिलाया और राजद से सीट हासिल की, यह बात भी पार्टी नेताओं को नागवार गुजरी।

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