'India That Is Bharat' पर संविधान सभा में हुई थी खूब बहस, देश के लिए सुझाए गए थे ये अन्य नाम
Bharat Vs India Debate : देश किस नाम से जाना जाएगा, इस बारे में संविधान सभा की बैठकों में काफी चर्चा एवं बहस हुई। काफी चर्चा के बाद संविधान निर्माता इस नतीजे पर पहुंचे कि देश का नाम 'भारत और इंडिया' दोनों होगा। देश के नाम पर संविधान का अनुच्छेद 1 कहता है, 'इंडिया जो कि भारत है, राज्यों का संघ होगा।'
संविधान सभा के सदस्यों ने देश के लिए कई नाम सुझाए थे।
Bharat Vs India Debate : जी-20 सम्मेलन के रात्रिभोज के लिए राष्ट्रपति की ओर से भेजे गए निमंत्रण पत्र पर 'द प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की जगह 'द प्रेसिडेंट ऑफ भारत' छपे होने और समिट के पहचान पत्रों पर भारत नजर आने पर इस बात की अटकल ने जोर पकड़ ली है कि संसद के विशेष सत्र के दौरान सरकार देश का नाम 'इंडिया' से बदलकर भारत करने के लिए प्रस्ताव ला सकती है। इसे लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। नाम बदले जाने को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोग तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। दरअसल, देश का नाम क्या होना चाहिए, संविधान में इसका स्पष्ट रूप से जिक्र है।
देश का नाम भारत या इंडिया?
देश किस नाम से जाना जाएगा, इस बारे में संविधान सभा की बैठकों में काफी चर्चा एवं बहस हुई। काफी चर्चा के बाद संविधान निर्माता इस नतीजे पर पहुंचे कि देश का नाम 'भारत और इंडिया' दोनों होगा। देश के नाम पर संविधान का अनुच्छेद 1 कहता है, 'इंडिया जो कि भारत है, राज्यों का संघ होगा।' न्यायिक-राजनीतिक उद्देश्यों के लिए 'भारत और इंडिया' दोनों नाम को आधिकारिक एवं कानूनी बनाया गया। आम तौर पर अंग्रेजी में देश के नाम के लिए 'INDIA' और अन्य भारतीय भाषाओं में 'भारत' नाम का इस्तेमाल होता है। द्रविड़ भाषाओं मसलन तमिल में भारता, मलयालम में भारतम और तेलुगू में भारत देसम नाम का प्रयोग होता है।
पासपोर्ट पर हिंदी-अंग्रेजी दोनों नाम
देश के पासपोर्ट की अगर बात करें तो इस पर दोनों नाम का प्रयोग मिलता है। भारतीय नागरिकों के पासपोर्ट पर हिंदी में भारत गणराज्य और अंग्रेजी में रिपब्लिक ऑफ इंडिया लिखा हुआ है। भारत नाम अत्यंत प्राचीन है, इसका उल्लेख महाभारत एवं मनुस्मृति में भी मिलता है।
देश का नाम तय करने के लिए बनी थी समिति
संविधान सभा ने देश का संविधान तैयार करने के लिए 29 अगस्त, 1947 को बीआर अबेंडकर की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। देश के नाम को लेकर संविधान सभा के सदस्यों में खूब बहस एवं चर्चा हुई। खासकर 18 सितंबर,1949 को हुई चर्चा में 'इंडिया दैट इज भारत' पर सदस्यों ने देश के नाम को लेकर अपने-अपने तर्क दिए एवं भारत नाम करने को लेकर अपने विचार रखे। यहां तक कि कुछ सदस्यों ने इस वाक्य में बदलाव के सुझाव भी दिए।
कामथ ने हिंदी के कई नाम सुझाए
संविधान सभा के सदस्य एवं फॉरवर्ड ब्लाक के नेता हरि विष्णु कामथ देश का नाम 'भारत अथवा, अंग्रेजी भाषा में INDIA, राज्यों का संघ' होगा, करने के पक्ष में थे। कामथ ने देश का नाम हिंदुस्तान, हिंद, भारतभूमि अथवा भारतवर्ष करने का सुझाव दिया। यहां तक कि कांग्रेस नेता हरगोविंद पंत ने भी देश का नाम भारत, भारत वर्ष करने पर जोर लगाया।
भारत नाम के लिए पंत ने संशोधन पेश किया
पंत भी नहीं चाहते थे कि देश के लिए 'इंडिया' शब्द का इस्तेमाल हो। पंत ने 'इंडिया' की जगह देश का नाम भारत अथवा भारतवर्ष करने के लिए संशोधन पेश किया। उन्होंने कहा कि देश का नाम भारत अथवा भारत वर्ष रहा है और इन दोनों नामों का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है। ये नाम लोगों में साहस एवं उत्साह का संचार करते हैं।
'भारत दैट इज इंडिया' चाहते थे कमलापति त्रिपाठी
कांग्रेस के अन्य नेता कमलापति त्रिपाठी ने भी भारत को प्रमुख शब्द बनाए रखने पर जोर दिया। त्रिपाठी चाहते थे कि अनुच्छेद 1 में 'भारत दैट इज इंडिया' रखा जाए।
संविधान सभा ने 'इंडिया दैट इज भारत' पर लगाई मुहर
देश के नाम के बारे में संविधान सभा के सदस्यों की बहस पर गौर करने के बाद राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने संशोधनों पर वोटिंग कराई। वोटिंग में संशोधन प्रस्ताव गिर गए और अनुच्छेद 1 जो कि 'इंडिया दैट इज भारत' का जिक्र करता है, वह बना रहा। देश के विभाजन के बाद हुए दंगों एवं हिंसा की पृष्ठभूमि में संविधान सभा ने दोहरे नाम एवं पहचान 'इंडिया दैट इज भारत' के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया।
ईरानियों का दिया हुआ है हिंदू नाम
दरअसल हिंदू नाम ईरानियों का दिया हुआ है। कारोबार के सिलसिले में जब ईरान के लोग सिंधु घाटी से होकर भारत के करीब पहुंचे तो उन्होंने सिंधु की जगह हिंद बोलना शुरू कर दिया। फारसी में स का उच्चारण ह होता है। सिंधु से हिंदु हुआ और सिंध में रहने वाले लोग हिंदू और फिर इससे हिंदुस्तान बन गया।
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आलोक कुमार राव author
करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने...और देखें
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