अब शॉपिंग का नया बटुआ क्रेडिट कार्ड , ATM-कैश पर कम फोकस

औसत क्रेडिट कार्ड खर्च, औसत डेबिट कार्ड एटीएम विदड्रॉल की तुलना में बढ़ गया है। जब भुगतान की बात की जाती है, तो ग्राहक को सबसे पहले सुविधा की अपेक्षा रहती है। कैशबैक और रिवॉर्ड उपयोगी साबित होते हैं। जानिए क्रेडिट कार्ड से खर्च क्यों बढ़ता जा रहा है।

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बढ़ रहा है क्रेडिट कार्ड से खर्च (तस्वीर-Pixabay)

इस वर्ष दीवाली पर अक्टूबर के महीने में औसत क्रेडिट कार्ड खर्च, औसत डेबिट कार्ड एटीएम विदड्रॉल की तुलना में अधिक था। यह कोई असामान्य बात नहीं है। लेकिन एटीएम से कैश विदड्रॉल करने में स्थिरता और उसी के अनुसार बाकी सभी चीजों की बढ़ोतरी के पीछे मजबूत फैक्टर्स हैं। जब भुगतान की बात की जाती है, तो ग्राहक को सबसे पहले सुविधा की अपेक्षा रहती है। कैशबैक और रिवॉर्ड उपयोगी साबित होते हैं। लेकिन सुविधा को अधिक महत्व दिया जा रहा है।

2021 की दीवाली के महीने, औसत डेबिट कार्ड एटीएम विदड्रॉल 4788/- रुपए था। 2022 में यह 4763/- रुपए है। इसमें निरन्तर बढ़ोतरी से पहले यह 2020 से इन्हीं स्तरों पर बना हुआ था। अब, रोजमर्रा की जरूरतों के साथ, नकदी में परेशानी होती है। यूपीआई का प्रयोग अब हर जगह किया जाने लगा है। सुपरमार्केट्स से लेकर सड़क पर खड़े होकर सामान बेचने वाले इसे स्वीकार करते हैं। अब हर महीने एटीएम में जाने की इतनी आवश्यकता नहीं पड़ती है। हालांकि अनेक बैंकों ने 20,000/- रुपए की विदड्रॉल की उच्चतम सीमा तय की हुई है, और इसमें परिवर्तन करने का अनुरोध अब नहीं किया जाता है।

क्रेडिट कार्ड संबंधी ट्रेंड्स अब और भी अधिक रूचिकर हो चुके हैं- जो भारत की क्रेडिट मैच्योरिटी में तेजी का संकेत है। अक्तबूर, 2021 में, कुल 6.63 करोड़ क्रेडिट कार्ड सर्कुलेशन में थे। एक वर्ष के बाद, यह संख्या बहुत तेजी से बढ़ कर 7.93 करोड़ हो गई है। 2021 की दीवाली के महीने में औसत क्रेडिट कार्ड का लेनदेन 4436/- रुपए का रहा। अगली दीवाली, यह तेजी से बढ़कर 5049/- रुपए हो गया। डिजिटल खर्च में इन ट्रेंड्स में तेजी किसकी वजह से आ रही है?

यूपीआई ट्रेंड्स

यूपीआई अब भारतीय फिनटेक सफलता की कहानी बन चुका है। अक्तूबर 2021 में, 1828/- रुपए प्रति लेनदेन के हिसाब से 4.2 बिलियन लेनदेनों के साथ इसके द्वारा 7.71 ट्रिलियन की मूवमेंट की गई। एक वर्ष के बाद, इनकी संख्या बढ़ कर 12.1 ट्रिलियन तथा 7.3 बिलियन लेनदेन हो गई, हालांकि औसत कम होकर 1658/- रुपए हो गया है। महामारी के दौरान यूपीआई के जरिए छोटे लेनदेन जैसे ग्रोसरी की खरीद में बहुत अधिक तेजी देखी गई है।

सुविधा की जरूरत पर भी ध्यान दिया जाता है। अनेक पेमेंट ऐप्स को लॉन्च किया गया तथा उन्होंने खुद कुछ वर्ष पहले कैशबैक के साथ खुद को प्रमोट किया। अब, कोई कैशबैक नहीं है। लेकिन यूपीआई का इस्तेमाल और भी अधिक मजबूत होता जा रहा है। उपभोक्ताओं के लिए अपने साथ चेंज ले जाने की तुलना में अपने फोन के जरिए भुगतान करना सुविधाजनक होता है।

यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि उपभोक्ताओं की आदत बदल रही है। ज्यादा से ज्यादा खर्च डिजिटल तरीके से किया जा रहा है- यहां तक कि छोटी-छोटी चीजों के लिए भी इसका प्रयोग किया जा रहा है जिसके लिए हम महामारी से पहले समीपवर्ती स्टोर में पैदल जा कर ले आया करते थे। कैश विदड्रॉल, मौटे तौर पर उसी स्तर पर बने हुए हैं। अक्टूबर से अक्टूबर तक की अवधि के दौरान डेबिट कार्ड एटीएम विदड्रॉल करीब 600 मिलियन पर बने हुए हैं।

इसी अवधि के दौरान, डिजिटल रिटेल पेमेंट की संख्या 6.6 बिलियन से बढ़कर 9.8 बिलियन लेनदेन तक पहुंच गयी। कल्पना के किसी भी स्तर के अनुसार यह विशाल बढ़ोतरी है। 9.8 बिलियन में से 73% यूपीआई ही थे। क्रेडिट कार्ड का हिस्सा 2.5% था और डेबिट कार्ड का हिस्सा 2.9% था।

क्रेडिट कार्ड रूझान

क्रेडिट कार्ड्स में इनोवेशन के कारण यह उपभोक्ताओं के लिए अधिक आकर्षित बन गए हैं। नो-कॉस्ट ईएमआई पर विचार करते हैं। इनसे उपभोक्ताओं को छोटे, मासिक भुगतानों के आधार पर तुरंत इलेक्ट्रॉनिक खरीददारी करने की सुविधा मिल जाती है। प्रभावी रूप से देखा जाए तो यह बिना किसी अतिरिक्त लागत के आपके क्रेडिट कार्ड पर बीएनपीएल की सुविधा प्रदान करना है। यह रूझान भारत के लिए खास है। यह क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल का ड्राइवर बनता जा रहा है।

शॉपिंग के लिए ऑनलाइन खर्च के अलावा, क्रेडिट कार्ड से उपभोक्ता अपना किराया या अपने बच्चों की स्कूल की फीस भी देने में सक्षम हुए हैं। उपभोक्ताओं को इन भुगतानों के संबंध में फ्लेक्सिबिलिटी की जरूरत थी। बैंकों ने यह बात स्वीकार कर ली है। अनेक स्कूलों में, एकमुश्त वार्षिक फीस के भुगतान से काफी अधिक छूट मिल जाती है। उस भुगतान को, जिसे 12 ईएमआई में विभाजित कर दिया जाता है, से उपभोक्ताओं को अपने फाइनेंस को संतुलित बनाए रखने में मदद मिलती है।

इसलिए, अब लोगों के पास अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने के लिए अनेक इंसेटिव्स हैं। हालांकि यूपीआई से छोटी-मोटी खरीददारी करने में मदद मिलती है, लेकिन क्रेडिट कार्ड से मिड –साइज लेनदेनों, यात्रा, इलेक्ट्रॉनिक खरीददारी आदि में सहायता मिलती है। इसलिए, इन कार्ड्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। वे अब वॉलेट में बिना मतलब से नहीं बैठते हैं। अक्टूबर से अक्टूबर के बीच में क्रेडिट कार्ड लेनदेनों की संख्या 215 मिलियन से बढ़कर 256 मिलियन हो गई है, जिसमें पैसे की मूवमेंट 1 ट्रिलियन रुपए से बढ़कर 1.29 ट्रिलियन हो गई है।

हमें रिटेल क्रेडिट में एक रूचिकर अवधि देखने को मिल रही है। हमने लगातार छह महीनों से पॉलिसी दरों में बढ़ोतरी देखी है। मई के बाद से रेपो रेट 4.00 से बढ़कर 6.25 हो गई है। फंड्स की लागत बढ़ गई है। लेकिन इसकी वजह से रिटेल क्रेडिट का धीमा होना अभी बाकी है। अक्टूबर से अक्टूबर के दौरान रिटेल पर्सनल लोन की मांग 20.2% से बढ़कर 37.7 ट्रिलियन हो गई है।

इस श्रेणी में होम लोन करीब आधा हिस्सा यानी 18.2 ट्रिलियन का हिस्सा रखते हैं। और दरों में बहुत अधिक बढ़ोतरी के बावजूद, इस श्रेणी में 16.2% की बढ़ोतरी देखने को मिली, जिसमें मार्च के बाद इस विकास का अधिकांश हिस्सा देखने को मिला है। क्रेडिट कार्ड बकाया में 28% की वृद्धि हुई है तथा सबसे विकासशील श्रेणी उपभोक्ता ड्यूरेबल्स लोन रहे जो 57% थे। पर्सनल और व्हीकल लोन में भी 20+ प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वस्तुत:, अधिकांश अल्पकालिक असुरक्षित डेट को अब बेचा जा रहा है, प्राप्त किया जा रहा है, और डिजिटली उसकी चुकौती की जा रही है। हालांकि कैश अब इतिहास बन गया है, यह कहना जल्दबाजी होगा, लेकिन संख्याएं अपनी कहानी खुद बता रही हैं।

(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)

(डिस्क्लेमर: ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)

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