केजरीवाल गिरफ्तार हुए, मंत्रियों ने दिया इस्तीफा, बदल गई सरकार; दिल्ली सरकार के लिए कैसा रहा 2024?
Delhi: आम आदमी पार्टी के इतिहास में साल 2024 का वक्त कभी भूला नहीं जा सकेगा। भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि कोई मुख्यमंत्री जेल गया और उनसे कुर्सी नहीं छोड़ी। पार्टी के सभी दिग्गज नेता अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह, मनीष सिसोदिया सभी एक साथ सलाखों के पीछे थे। दिल्ली सरकार 2024 में गिरफ्तारियों, इस्तीफों और सत्ता परिवर्तन के लिये सुर्खियों में रही।
दिल्ली सरकार के लिए कैसा रहा साल 2024
2024 for Delhi Government: जब कभी आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेताओं को साल 2024 की याद आएगी, तो वो बहुत चुभेगी। पार्टी के मुखिया और तत्कालीन सीएम जेल गए, कई बड़े नेता और मंत्रियों ने पार्टी बदल ली। केजरीवाल की सबसे करीबी सहयोगी स्वाति मालीवाल के साथ सीएम के घर में बदसलूकी हुई। मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने वाली शख्सियत भी बदल गई। अब भला इतने उथल पुथल को कोई कैसे भुला पाएगा। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार एक दशक के शासन के दौरान इस साल सबसे अधिक सुर्खियों में रही और इसके विभिन्न कारणों में पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी, सत्ता परिवर्तन और दो मंत्रियों के त्यागपत्र के साथ-साथ उपराज्यपाल के साथ टकराव शामिल है।
केजरीवाल और ED में टकवार के बीच हुई गिरफ्तारी
सकारात्मक बात यह रही कि सरकार ने 2024-25 के लिए 76,000 करोड़ रुपये का अपना सबसे बड़ा वार्षिक बजट पेश किया और महिलाओं के लिए मासिक मानदेय योजना, इलेक्ट्रिक बसें शुरू करने सहित कई कल्याणकारी पहल कीं, साथ ही शहर में स्वच्छ हवा वाले दिनों की संख्या में वृद्धि भी उसके लिए उल्लेखनीय उपलब्धि रही। साल की शुरुआत केजरीवाल और प्रवर्तन निदेशालय के बीच टकराव से हुई, जिसने आबकारी नीति से जुड़े कथित धन शोधन मामले में उनसे पूछताछ के लिए कई समन जारी किए। केजरीवाल ने उनके समन का अनुपालन करने से बार बार इनकार किया। अंततः 21 मार्च को एजेंसी ने उन्हें गिरफ़्तार कर लिया।
जेल में रहते हुई सीएम बने रहे अरविंद केजरीवाल
जनवरी की शुरू में ही, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के नोटिस से बचते हुए, केजरीवाल ने चिंता व्यक्त की थी कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार उन्हें इस साल होने वाले लोकसभा चुनावों में आप के वास्ते प्रचार करने से रोकने के लिए गिरफ्तार कर सकती है। अपनी गिरफ्तारी और कारावास के बावजूद, केजरीवाल ने जोर देकर कहा कि वह जेल से सरकार चलाना जारी रखेंगे, और अपने मंत्रियों को जल आपूर्ति, सीवेज, अस्पतालों और अन्य मामलों से संबंधित निर्देश जारी करेंगे। उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने तर्क दिया कि जेल से दिल्ली सरकार चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके बाद सत्तारूढ़ व्यवस्था के साथ तनाव का एक और दौर शुरू हो गया।
इस बीच, दिल्ली कैबिनेट की सबसे ताकतवर सदस्य के रूप में उभरीं आतिशी ने राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की आशंका जताते हुए इसे ‘‘राजनीतिक प्रतिशोध’’ का स्पष्ट मामला बताया। मुख्यमंत्री के रूप में केजरीवाल को एक और चुनौती का सामना करना पड़ा, जब दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने उनके इस दावे के संबंध में उन्हें नोटिस जारी किया कि भाजपा उनकी सरकार को गिराने के लिए आप विधायकों को अपने पाले में लाने का प्रयास कर रही है। तीन फरवरी को उनके आधिकारिक आवास पर पांच घंटे तक चले गतिरोध के बाद उन्हें यह नोटिस दिया गया। पूरे साल आप के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल कार्यालय के बीच विभिन्न मुद्दों पर चल रही खींचतान की चर्चा खूब हुई।
फर्जी मरीजों की सीबीआई जांच की सिफारिश
जनवरी में, सक्सेना ने मोहल्ला क्लीनिकों में कथित फर्जी लैब टेस्ट और फर्जी मरीजों की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी, जिससे स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज के साथ वाकयुद्ध छिड़ गया था। सत्तारूढ़ सरकार और उपराज्यपाल कार्यालय के बीच 24 फरवरी को टकराव उस वक्त शुरू हो गया, जब उपराज्यपाल ने केजरीवाल से बजट पेश करने की रुकी हुई प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह किया। विधानसभा के बजट सत्र को निर्धारित समय से आगे बढ़ाए जाने के कारण यह मुद्दा और लंबा खिंच गया। सक्सेना ने आप सरकार को नियमित रूप से पत्र लिखकर मुख्यमंत्री से लंबित कैग रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने के लिए कहा। हालांकि यह संवैधानिक आवश्यकता अब तक पूरी नहीं हो पाई है।
बिजली विभाग का कार्यभार संभालने वाली आतिशी ने उपराज्यपाल पर मई में दिल्ली में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले सरकार की सौर नीति में बाधा डालने का प्रयास करने का आरोप लगाया। अगस्त में एक और टकराव तब शुरू हुआ जब जेल में बंद तत्कालीन मुख्यमंत्री केजरीवाल ने जोर देकर कहा कि आतिशी राज्य के स्वतंत्रता दिवस समारोह में झंडा फहराएं। हालांकि, उपराज्यपाल ने सुनिश्चित किया कि तत्कालीन गृह मंत्री कैलाश गहलोत ही समारोह में झंडा फहराएं।
राज कुमार आनंद, कैलाश गहलोत का इस्तीफा
केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद सरकार को तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री राज कुमार आनंद के इस्तीफे से फिर झटका लगा। नवंबर में, गहलोत ने भी अपने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और आम आदमी पार्टी छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गए। दिल्ली सरकार द्वारा प्रस्तावित जल बिल माफी योजना को लेकर सक्सेना और केजरीवाल के बीच तीखी नोकझोंक हुई, जिसमें दोनों ने एक-दूसरे पर हमला करने के लिए ‘खुले पत्र’ लिखे। आप सरकार सार्वजनिक परिवहन बसों से मार्शलों को हटाने को लेकर उपराज्यपाल से भी भिड़ गई।
केजरीवाल की गिरफ्तारी के कारण ठप्प हो चुके दिल्ली सरकार के कामकाज सितंबर में उनके जेल से रिहा होने और मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद फिर से पटरी पर आने लगे। इसके बाद आतिशी ने मुख्यमंत्री की भूमिका संभाली और अपना मंत्रिमंडल बनाया, जिसने 21 सितंबर को शपथ ली। तमाम चुनौतियों के बावजूद, दिल्ली सरकार कई उपलब्धियां हासिल करने में सफल रही, जिसमें मार्च में विधानसभा में 76,000 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट पेश करना भी शामिल है।
महिलाओं को 1,000 रुपये देने का किया ऐलान
सरकार ने दिल्ली की सभी पात्र महिलाओं को 1,000 रुपये मासिक मानदेय देने के लिए 'मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना' की भी घोषणा की और इस योजना को लागू करने के लिए 2,000 करोड़ रुपये अलग रखे। हालांकि, केजरीवाल की गिरफ्तारी के कारण इसमें देरी हुई। आप सरकार ने राजधानी में सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में भी उल्लेखनीय सुधार किया है। 2023-24 में बसों में प्रतिदिन औसतन 41 लाख यात्रियों की यात्रा के साथ शहर में बसों की संख्या बढ़कर 7,200 हो गई है, जिसमें 1,300 इलेक्ट्रिक बसें शामिल हैं।
परिवहन बुनियादी ढांचे को और मजबूती देने के लिए, फरवरी में 350 ई-बसों को हरी झंडी दिखाई गई, जिससे ऐसी बसों की संख्या 1,650 हो गई। शिक्षा क्षेत्र में, सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में से एक, छात्रों और अभिभावकों से प्रतिक्रिया एकत्र करने के लिए 'शिक्षा पर बात' और प्रतिभाशाली छात्रों की पहचान करने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए "अभिशिक्त" परियोजना जैसी पहल शुरू की गई।
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