नए हाकिम से सीरियाई आवाम को उम्मीद? स्याह अंधेरों में घिरा रहा है क्षेत्र का इतिहास

Syria Civil War: असद की सत्ता के खालीपन को भरने वाले जंगी सिपहसालार शासन परिवर्तन के बाद प्रशासनिक व्यवस्था की आगे की राह को लेकर अपना नज़रिए पूरी तरह साफ नहीं कर पाए हैं, अभी तक राज्य व्यवस्था में उनकी भूमिका केयरटेकर वाली ही है। साथ ही अगर बातचीत की मेज पर वो बैठते हो तो उनका नैरेटिव क्या होगा?

मोहम्मद अल-बशीर

Explained: सीरिया के नए निज़ाम ने मुल्क की बागडोर संभाल ली है, वहां की रियाया में नई सत्ता को लेकर बेहद उम्मीदें है। दमिश्क के मौजूदा हुक्मरान और सिपहसालार दुनिया के सामने मिले जुले संकेत दे रहे हैं। एक ओर वो तख्तापलट के नतीजन सियासी बदलाव से गुजर रही राज्य सत्ता पर एकाधिकार करने की मंशा के इशारे दे रहे है, वहीं दूसरी ओर सूबाई इदारे ये भी भरोसा दे रहे है कि वो सभी किस्म की मजहबी सोच और कौम का एहतराम करेंगे, उन्हें हिफाज़त देंगे। यानी कि सीरिया के मौजूदा हालात अंतर्द्वंद्व और विरोधाभासों से भरे हुए हैं। सीरियाई हाक़िम मुल्क को आगे ले जाने का जो भी रास्ता अख़्तियार करेंगे, उससे काफी हद तक साफ हो जाए कि वो किस मकसद की ओर बढ़ने वाले है। उन्हें इस बात का खासा ख्याल रखना होगा कि वो असद वाली गलतियां ना दोहराएं, क्योंकि उन कथित पैटर्न वाली गलतियां ने बगदाद और बेरूत को बर्बादी के कगार पर धकेल दिया था।

अपनी उदारवादी छवि बनाने चाहते हैं जुलानी

अबू मोहम्मद अल-जुलानी की अगुवाई में हयात तहरीर अल-शाम और उसके मिलिशिया गठबंधन सहयोगियों ने बीते हफ्ते बशर अल असद को मॉस्को का रास्ता दिखा दिया। उन्होनें भरोसा दिलाया कि वो देश की प्रशासनिक जमातों से छेड़छाड़ नहीं करेंगे। इस बात साबित करने के लिए एचटीएस सुप्रीमो के फरमान पर मोहम्मद अल-जलाली दो दिनों तक वजीर ए आज़म के ओहदे पर कायम रहे, ठीक दो दिन बाद ये ओहदा मोहम्मद अल-बशीर को सौंप दिया गया। अब बशीर अगले साल मार्च तक दिखावटी रस्मी तौर पर इस पद पर बने रहेंगे। इससे दो कदम आगे बढ़कर उन्होनें असद की वफादर सीरियाई सेना के लिए आम माफी का ऐलान किया। साफ है कि जुलानी चाहते है कि सीरियाई सेना अब उनकी सरपरस्ती और इशारे पर काम करें। फिलहाल इस दिशा में अंकारा ने उन्हें भरोसा दिया है कि जब तक सीरिया में खींचतान का माहौल बना रहेगा, तब तक तुर्किये की सेना उनकी हर मुमकिन मदद करेगी।

नपेतुले दम रखता एचटीएस

तख्तापलट और सियासी बदलाव काफी उथल-पुथल भरे होते है, ऐसे में फौज की बनावट, उसके लश्करों और उसके नेतृत्व से छेड़छाड़ करना खतरनाक साबित हो सकता है। कुछ इसी किस्म की गलती दो दशक पहले बगदाद के हाकिमों ने की थी, जिसके नतीज़े बेहद भयानक थे। आज भी वो उस कथित गलती का खम़ियाजा भुगत रहे है। एचटीएस के वफादार फिलहाल अभी तक कदम फूंक-फूंककर रख रहे है। वो क्षेत्र में पूर्ववर्ती राजनीतिक बदलावों, तख्तपलटों, अस्थिरताओं और पतन से अच्छी तरह वाकिफ है। इसलिए उनकी मंशा और मकसद से साफ है कि वो किसी भी किस्म जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं है। फिलहाल एचटीएस नेतृत्व ने असद की पार्टी को निशाना नहीं बनाया है, लेकिन 60 के दशक से सीरिया में सत्तानशीं बाथ पार्टी की सियासी कवायदों की रोकने के लिए एचटीएस ने कार्रवाई शुरू कर दी है। साफ है कि असद की गैरमौजूदगी में उनकी पार्टी का तो वजूद बना रहेगा लेकिन उसका दबदबा छीन लिया जायेगा। कयास ये भी लगाए जा रहे है कि अबू मोहम्मद अल-जुलानी अपनी उदावादी छवि सीरियाई आवाम के सामने रखना चाहते है, इसी वजह से बाथ पार्टी के वर्करों, लीडरों और उनके ठिकानों को निशाना नहीं बनाया गया है। इसी राह पर पर पार्टी वेबसाइट की होस्टिंग और डोमेन को बरकरार रखते हुए लाइव रखा गया है।

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