ट्रंप पर उन्हीं के 'हथियार' से वार कर सकती हैं कमला हैरिस! डेमोक्रेट उम्मीदवार के पक्ष में जा सकती हैं ये बातें

US Presidential Election 2024 : अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए रिपब्लिकन एवं डेमोक्रेट पार्टी के बीच लड़ाई है। राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी से जो बाइडेन के पीछे हट जाने के बाद मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। बाइडेन की जगह अब कमला हैरिस डेमोक्रेट पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हो सकती हैं।

Donald Trump

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप को चुनौती दे सकती हैं कमला हैरिस।

मुख्य बातें
  • अमेरिका में राष्ट्रपति पद का चुनाव होने में अभी करीब 100 दिन बचे हैं
  • राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाइडेन के हटने के बाद मुकाबला रोचक हो गया है
  • डेमोक्रेट पार्टी की ओर से कमला हैरिस का उम्मीदवार बनना लगभग तय है

US Presidential Election 2024: अमेरिकी चुनावों की रंगत बदलने लगी है। अपने ऊपर हमले के बाद चुनाव में बढ़त कायम करने वाले डोनाल्ड ट्रंप की चुनावी राह अब आसान नहीं रहने वाली है। उनके सामने अब बाइडेन नहीं होंगे। उनका मुकाबला अब उप राष्ट्रपति कमला हैरिस से होना तय माना जा रहा है। राष्ट्रपति पद की रेस से बाइडेन के बाहर हो जाने के बाद कमला डेमोक्रेट पार्टी की आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार हो सकती हैं। बाइडेन ने उन्हें अपना समर्थन दे दिया है, हालांकि, हैरिस की उम्मीदवारी पर अंतिम फैसला अगले महीने शिकागो में होने वाले डेमोक्रेटिक पार्टी के कन्वेशन में होगा।

नवंबर में राष्ट्रपति पद का चुनाव

फिर भी यह मानकर चला जा रहा है कि यह चुनाव ट्रंप बनाम कमला होगा। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव नवंबर में होने हैं और इसमें करीब 100 दिन शेष हैं। चुनाव करीब आता देख डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों ही पार्टियां अपने चुनावी अभियान को धार दे रही हैं। कमला का नाम आ जाने से चुनाव दिलचस्प हो गया है। लोग मान रहे हैं कि अब जाकर मुकाबला बराबरी का हुआ है।

बाइडेन पर भारी पड़ रहे थे ट्रंप

पिछले 27 जून की प्रेसिडेंशियल डिबेट में ट्रंप बाइडेन पर भारी पड़े थे। इसके बाद से ही बाइडेन का एक तरह से बुरा दौर शुरू हो गया। उम्र, फिटनेस और फिर कोविड ने उनकी उम्मीदवारी पर ग्रहण लगा दिया। डिबेट में बढ़त हासिल करने, और 13 जुलाई को अपने ऊपर हमले, रेटिंग एवं सर्वे में आए उछाल के बाद ट्रंप को अपनी जीत पर काफी भरोसा हो गया था लेकिन अब स्थिति दूसरी है क्योंकि उनके सामने अब तेज-तर्रार, ऊर्जावान एक महिला उम्मीदवार हैं।

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कई बातें कमला के पक्ष में जा सकती हैं

इस चुनाव में कई बातें कमला के पक्ष में जा सकती हैं। पहला तो यह कि वह महिला हैं, दूसरी अश्वेत हैं और तीसरी बात उम्र में वह करीब 22 साल ट्रंप से छोटी हैं। यह बाइडेन की उम्र ही थी जो उनकी राह में सबसे बड़ी बाधा बनी। अब कमला अपनी इसी उम्र को हथियार बनाकर ट्रंप पर हमला कर सकती हैं। यही नहीं कमला पेशे से वकील हैं। वह कानून की बारीकियां समझती हैं। ट्रंप पर हश मनी सहित जो मुकदमे चल रहे हैं, उसे उधेड़-उधेड़ कर वह उन्हें कठघरे में खड़ा कर सकती हैं। अमेरिकी चुनाव में उम्र एक बड़े मुद्दे के रूप में हावी है।

अमेरिका में नस्लभेद काफी गहरा है

कमला अश्वेत हैं और अमेरिका में रंग और नस्ल के आधार पर भेदभाव का इतिहास काफी गहरा है और पुराना है। अश्वेत लोगों में ये भावना है कि उनके रंग के आधार पर उनके साथ भेदभाव किया जाता है। अमेरिकी समाज में उन्हें अफ्रीकी-अमरीकी नेता के तौर पर देखा जाता है। 2020 के जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद जो 'ब्लैक लाइव्स मैटर्स' आंदोलन हुआ उसमें भी कमला ने सक्रियता से हिस्सा लिया और अभियान में बड़ी भूमिका निभाई, उनकी यह कोशिश और मुखरता अश्वेत लोगों का समर्थन उन्हें दिला सकती है।

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अबॉर्शन मुद्दे पर खुलकर बोलती हैं कमला

अमेरिका में गर्भपात का अधिकार एक बड़ा मुद्दा है। डेमोक्रेट और रिपब्लिकन पार्टी दोनों की राय इस मुद्दे पर अलग-अलग है। रिपब्लिकन पार्टी का मानना है कि गर्भ में बच्चे की जान लेना पाप है, वहीं डेमोक्रेटे्स का मानना है कि महिलाओं का उनके शरीर पर पूरा अधिकार है। यह मामला चूंकि ईसाई धर्म से जुड़ा है जिसमें अबॉर्शन को गलत माना जाता है। इसलिए कोई भी नेता इस पर खुलकर बोलने से परहेज करता है लेकिन कमला के साथ ऐसा नहीं है। वह अबॉर्शन राइट के पक्ष में खुलकर बोलती आई हैं। ऐसे में महिलाओं में, खासकर नौजवान पीढ़ी में उन्हें इसका लाभ मिल सकता है।

कमला के पति यहूदी हैं

यही नहीं, कमला का भारतीय मूल का होना भी उनके पक्ष में जाएगा। उनकी मां श्यामला गोपालन भारतीय हैं। एशियाई जड़ों से जुड़े रहने की वजह से उन्हें एशियाई वोटर्स का भी साथ मिल सकता है। दूसरा कमला के पति डगलस एमहॉफ यहूदी हैं। कमला भी खुलकर इजरायल का समर्थन करती हैं। चुनाव में पति के यहूदी होने का फायदा भी उन्हें मिल सकता है। कहने का मतलब यह है कि चुनाव में प्रत्याशी के बदल जाने से माहौल बदल जाता है, समीकरण बदल जाते हैं। कमला के पास अपने चुनाव अभियान के लिए ज्यादा समय तो नहीं है लेकिन समय ने उन्हें इतिहास बनाने का मौका जरूर दिया है। वह चुनाव यदि जीत जाती हैं तो वह दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र की पहली महिला अश्वेत राष्ट्रपति होंगी। उनका राष्ट्रपति बनना भारतीयों के लिए भी गौरव की बात होगी।

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आलोक कुमार राव author

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