मौसम का यू-टर्न: अगले कुछ महीने में दिखेगा El-Nino का असर, तापमान तोड़ेगा रिकॉर्ड, यूएन ने चेताया
इस बात की संभावना बढ़ रही है कि आने वाले महीनों में एल नीनो विकसित होगा और बहुत अधिक वैश्विक तापमान के साथ रिकॉर्ड गर्मी पैदा करेगा।
अगले कुछ महीनों में विकसित होगा एल-नीनो
El Nino Effect: भले ही इस वक्त मौसम ने यू-टर्न लेते हुए बरसात और ठंड बढ़ा दी हो, लेकिन अगले कुछ महीनों में हमें प्रचंड गर्मी के लिए तैयार रहना चाहिए। विशेषज्ञों के मुताबिक, आने वाले महीनों में एल-नीनो का असर दिखेगा और लोगों को बेहद गर्मी का सामना करना पड़ेगा। एल-नीनो प्रभाव ही अत्यधिक गर्मी के लिए जिम्मेदारा माना जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने अपनी रिपोर्ट में इसे लेकर चेताया है।
अगले कुछ महीनों में विकसित होगा एल-नीनो
इस बात की संभावना बढ़ रही है कि आने वाले महीनों में एल नीनो (El-Nino) विकसित होगा और बहुत अधिक वैश्विक तापमान के साथ रिकॉर्ड गर्मी पैदा करेगा। बुधवार को संयुक्त राष्ट्र ने भी इस संबंध में चेतावनी दी है। संयुक्त राष्ट्र के विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार, एल-नीनो के अब जुलाई के अंत तक 60 प्रतिशत संभावना और सितंबर के अंत तक 80 प्रतिशत संभावना के साथ उभरने की भविष्यवाणी की गई है।
डब्ल्यूएमओ के क्षेत्रीय जलवायु पूर्वानुमान सेवा प्रभाग के प्रमुख विल्फ्रान मौफौमा ओकिया ने जिनेवा में पत्रकारों से कहा कि यह दुनिया भर में मौसम और जलवायु पैटर्न को बदल देगा। प्राकृतिक रूप से होने वाला जलवायु पैटर्न एल-नीनो आमतौर पर दुनिया भर में गर्मी के साथ-साथ दुनिया के कुछ हिस्सों में सूखे और कहीं भारी बारिश के लिए भी जिम्मेदार होता है। आखिरी बार एल-नीनो का असर 2018-19 में दिखा था।
ला-नीना के बावजूद पिछले 8 साल रहे गर्म
हालांकि 2020 के बाद से दुनिया में एल-नीनो के मुकाबले ला नीना का असर दिखा है जिससे भयंकर ठंड से दो-चार होना पड़ा है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि ला नीना के प्रभाव के बावजूद पिछले आठ साल अब तक के सबसे गर्म साल रिकॉर्ड किए गए थे। अल-नीनो के असर से अब और गर्मी झेलनी पड़ सकती है। डब्ल्यूएमओ के प्रमुख पेटेरी तालास ने एक बयान में कहा कि ला नीना ने वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी में अस्थायी ब्रेक के रूप में काम किया है। अब दुनिया को एल-नीनो के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैश्विक तापन में बढ़ोतरी होगी और गर्मी के रिकॉर्ड तोड़ने की संभावना है।
पिछले वर्ष के एल-नीनो को बहुत कमजोर माना गया था, लेकिन उससे पहले साल 2014 और 2016 के बीच यह सबसे मजबूत रहा। डब्ल्यूएमओ ने बताया कि दुनिया ने 2016 में एक बहुत शक्तिशाली एल-नीनो देखा जिसके कारण। लोगों को दोहरी मार झेलनी पड़ी। पहला ग्रीनहाउस गैसों से पैदा हुई गर्मी और दूसरा एल-नीनो के प्रभाव से तापमान ने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। चूंकि वैश्विक तापमान पर एल नीनो का प्रभाव आम तौर पर इसके उभरने के एक साल बाद होता है, इसलिए इसका प्रभाव 2024 में सबसे अधिक दिख सकता है। ओकिया ने कहा कि हमें आने वाले दो वर्षों में वैश्विक तापमान में अत्यधिक बढ़ोतरी की आशंका है।
मुश्किल मौसम, प्रतिकूल हालात
हालांकि, तालास ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अल नीनो के कुछ सकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं। यह अफ्रीका के हॉर्न और ला नीना के कारण पैदा हुए सूखे में राहत ला सकता है। लेकिन यह बेहद मुश्किल मौसम और जलवायु घटनाओं को भी बढ़ा सकता है। उन्होंने कहा कि लोगों को सुरक्षित रखने के लिए प्रभावी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली का इस्तेमाल करना होगा। साथ ही डब्ल्यूएमओ ने यह भी कहा कि कोई भी दो एल-नीनो घटनाएं एक जैसी नहीं होती हैं और उनका प्रभाव आंशिक रूप से वर्ष के समय पर निर्भर करता है।
जलवायु पैटर्न
जलवायु पैटर्न औसतन हर दो से सात साल में होता है और आमतौर पर नौ से 12 महीने तक रहता है। यह आमतौर पर मध्य और पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान को गर्म करने से जुड़ा है। आमतौर पर दक्षिणी दक्षिण अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, हॉर्न ऑफ अफ्रीका और मध्य एशिया के कुछ हिस्सों में भारी बारिश होती है, जबकि ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और दक्षिणी एशिया के कुछ हिस्सों में गंभीर सूखा पड़ सकता है। डब्ल्यूएमओ ने कहा कि उत्तरी गोलार्ध में गर्मियों के दौरान एल-नीनो का गर्म पानी मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में भी तूफान को बढ़ावा दे सकता है, जबकि अटलांटिक बेसिन में तूफान बनने में बाधा पैदा करता है।
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