Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड को लेकर दो अहम याचिकाओं पर सुनवाई, 10 प्वाइंट में जानिए अब तक क्या-क्या हुआ
चीफ जस्टिस के अलावा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले में ऐतिहासिक फैसला दिया था।
चुनावी बॉन्ड मामले में अब तक क्या क्या हुआ
Electoral Bonds: सुप्रीम कोर्ट आज भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा दायर आवेदन पर सुनवाई करेगा, जिसमें योजना से पहले राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक चुनावी बांड के विवरण का खुलासा करने के लिए 30 जून तक की मोहलत मांगी गई है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ एक अलग याचिका पर भी सुनवाई करेगी, जिसमें एसबीआई के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू करने की मांग की गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उसने जानबूझकर राजनीतिक योगदान का विवरण पेश करने के शीर्ष अदालत के निर्देश की अवहेलना की है जिसमें कहा गया था कि चुनावी बांड के माध्यम से पार्टियों को मिले योगदान का विवरण चुनाव आयोग को 6 मार्च तक भेजा जाए।
10 प्वाइंट में जानिए हर डिटेल
- 15 फरवरी को पांच-जजों की संविधान पीठ ने केंद्र की चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक मानते हुए इसे अमान्य कर दिया और भारत के चुनाव आयोग को 13 मार्च तक दानदाताओं की जानकारी, दान राशि और प्राप्तकर्ताओं का खुलासा करने का आदेश दिया था।
- अदालत ने योजना के लिए नामित वित्तीय संस्थान एसबीआई को 12 अप्रैल, 2019 से खरीदे गए चुनावी बांड का विवरण 6 मार्च तक ईसीआई को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
- चुनाव आयोग को 13 मार्च तक अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर यह जानकारी प्रकाशित करने का काम सौंपा गया था।
- 4 मार्च को एसबीआई ने विभिन्न स्रोतों से डेटा दोबारा प्राप्त करने और क्रॉस-रेफरेंसिंग की समय लेने वाली प्रक्रिया का हवाला देते हुए भुनाए गए चुनावी बांड के विवरण देने के लिए 30 जून तक की मोहलत के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की।
- इसके अलावा एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और कॉमन कॉज ने एक अलग याचिका दायर की, जिसमें अदालत से शीर्ष अदालत के आदेश की अवज्ञा के लिए बैंक के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का आग्रह किया गया।
- याचिका में तर्क दिया गया कि एसबीआई ने आवेदन का समय जानबूझकर चुना है, जिसका उद्देश्य आगामी लोकसभा चुनाव से पहले जनता से दानदाता और दान राशि का विवरण छिपाना है।
- याचिका में दावा किया गया है कि चुनावी बांड पूरी तरह से पता लगाने योग्य हैं, जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि एसबीआई उन दानदाताओं का एक गुप्त संख्या-आधारित रिकॉर्ड रखता है जो बांड खरीदते हैं और जिन राजनीतिक दलों को वे दान देते हैं।
- अवमानना याचिका में यह भी कहा गया है कि राजनीतिक दलों का वित्तीय लेखाजोखा को गुमनाम रखना लोकतंत्र के सार और संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत निहित लोगों के जानने के अधिकार के खिलाफ है।
- याचिका में इस बात पर जोर दिया गया है कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता के महत्व को देखते हुए, मतदाताओं को अपने विवेक से कार्य करने देने के लिए चुनावी बांड के बारे में जानकारी उपलब्धत कराना महत्वपूर्ण है।
- चुनावी बांड योजना के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से बहस का नेतृत्व कर रहे राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने रविवार को विस्तार की मांग के लिए एसबीआई के आधार को निराधार बताया। उन्होंने सुझाव दिया कि बैंक की याचिका स्वीकार करने से संवैधानिक पीठ का फैसला कमजोर हो जाएगा।
दो याचिकाओं पर सुनवाई
चीफ जस्टिस के अलावा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, बीआर गवई, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ दो याचिकाओं पर सुनवाई करने जा रही है। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ एक अलग याचिका पर भी सुनवाई करेगी, जिसमें एसबीआई के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया गया है। फैसले पर सभी की नजरें हैं।
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