मामला अदालत में पहुंचा, सियासत भी शुरू, विशेषज्ञ बोले- 10 लाख में से सिर्फ 7 को हो सकता है Covishield साइड इफेक्ट...जानें पूरा विवाद
हाल ही में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी में वैक्सीन विकसित करने वाली फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने यूके में अदालती दस्तावेजों में स्वीकार किया था कि उसकी COVID-19 वैक्सीन से एक दुर्लभ दुष्प्रभाव हो सकता है।
कोविशील्ड विवाद
Covishield vaccine side effects: कोरोना वायरस की दवा कोविशील्ड वैक्सीन के साइड इफेक्ट को लेकर मूल कंपनी एस्ट्रेजेनेका की स्वीकारोक्ति के बाद बड़ा विवाद छिड़ गया है। अब कई मौतों को इससे जोड़कर देखा जा रहा है। भारत में भी इसे लेकर सवाल उठाए जाने लगे हैं। मामला सियासी भी हो गया साथ ही पीड़ित लोग अदालतों का रुख भी करने लगे हैं। इस विवाद के बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. रमन गंगाखेड़कर ने कहा है कि बहुत कम लोगों को ही कोविड-19 वैक्सीन कोविशील्ड से खतरा हो सकता है।
10 लाख में से केवल सात से आठ लोगों पर साइड इफेक्ट
गंगाखेडकर ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि कोविशील्ड वैक्सीन लेने वाले 10 लाख में से केवल सात से आठ लोगों को थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (TTS) के दुर्लभ दुष्प्रभाव का जोखिम होता है। महामारी विशेषज्ञ ने कहा कि जब आपको पहली खुराक मिलती है तो जोखिम सबसे अधिक होता है। यह दूसरी खुराक के साथ कम हो जाता है और तीसरी के साथ सबसे कम होता है। उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी दुष्प्रभाव शुरुआती दो से तीन महीनों के भीतर दिखाई देने की संभावना होती है। उन्होंने कहा कि लाखों प्राप्तकर्ताओं पर इस टीके के सकारात्मक असर को देखते हुए, इससे जुड़ा जोखिम न्यूनतम है।
एस्ट्राजेनेका ने माना, हो सकते हैं साइड इफेक्ट
हाल ही में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ साझेदारी में वैक्सीन विकसित करने वाली फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने यूके में अदालती दस्तावेजों में स्वीकार किया था कि उसकी COVID-19 वैक्सीन से एक दुर्लभ दुष्प्रभाव हो सकता है। इसे थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (TTS) कहा जाता है। इसमें रक्त में थक्का जम जाता है जिससे शरीर को गंभीर नुकसान या मौत भी हो सकती है।
भारत में SII ने बनाई वैक्सीन
भारत में AZ वैक्सजेवरिया (AZ Vaxzevria) के नाम से पहचानी जाने वाली वैक्सीन का उत्पादन दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा किया गया था। एस्ट्राजेनेका के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, हमारी सहानुभूति उन लोगों के प्रति है जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है या स्वास्थ्य दिक्कतें बताई हैं। मरीज सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है और नियामक अधिकारियों के पास टीकों सहित सभी दवाओं के सुरक्षित उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए स्पष्ट और कड़े मानक हैं।
देश में अदालत में पहुंचा मामलाकंपनी की स्वीकारोक्ति के बाद अब भारत में भी मामला अदालतों में पहुंचने लगा है। देश में कोविशील्ड टीका लेने के बाद जिस महिला मौत हो गई थी, उसके माता-पिता ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) पर मुकदमा करने का फैसला किया है। एस्ट्राजेनेका की स्वीकारोक्ति के बाद पीड़िता के माता-पिता न्याय की आस में हैं। करुण्या के पिता वेणुगोपालन गोविंदन ने कहा कि एस्ट्राजेनेका की स्वीकारोक्ति बहुत देर से आई है, जब इतने सारे लोगों की जान चली गई। एस्ट्राजेनेका और एसआईआई को इन टीकों का निर्माण और आपूर्ति तभी बंद कर देनी चाहिए थी, जब मार्च 2021 में टीके लगने के बाद कुछ महीनों के भीतर ही रक्त के थक्कों से होने वाली मौतें होनी लगी थीं। इसके कारण 15 यूरोपीय देशों ने इन्हें या तो निलंबित कर दिया था या आयु सीमा तक सीमित कर दिया था। अपनी रिट याचिका में माता-पिता मुआवजे, बेटी की मौत की जल्द से जल्द जांच करने के लिए एक निष्पक्ष मेडिकल बोर्ड की नियुक्ति और जांच के निष्कर्षों तक पहुंच का अनुरोध कर रहे हैं।
सियासत हुई शुरू
उधर, इसे लेकर देश में सियासी नूराकुश्ती शुरू हो गई है। समाजवादी पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा ने COVID-19 वैक्सीन के निर्माता से कमीशन लिया है। वहीं, राजद ने केंद्र पर देश के लोगों को गलत टीका लगाने का भी आरोप लगाया। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी कहा कि केंद्र को कथित दुष्प्रभावों को दूर करने के लिए तुरंत काम करना चाहिए।
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