Explained: ईरान के साथ चाबहार समझौते से भारत को होंगे क्या-क्या फायदे, क्यों बिफरा अमेरिका?

भारत ने 2003 में ऊर्जा संपन्न ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार बंदरगाह को विकसित करने का प्रस्ताव रखा था। आइए समझते हैं कि भारत को इसके क्या-क्या फायदे होंगे।

चाबहार पोर्ट एग्रीमेंट

Chabahar Agreement: भारत और ईरान ने सोमवार को चाबहार बंदरगाह पर बड़ा समझौता किया है। दोनों देशों ने इसे संयुक्त रूप से विकसित करने और प्रबंधित करने के लिए 10-वर्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह एक ऐसा कदम जो दोनों देशों के रणनीतिक और आर्थिक सहयोग को काफी गहरा करेगा। यह समझौता अपने भू-राजनीतिक पहुंच का विस्तार करने और पश्चिम और मध्य एशियाई क्षेत्रों में व्यापार को बढ़ावा देने के भारत के इरादे को ताकत देगा। समझौते के तहत इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) ने बंदरगाह के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए 370 मिलियन डॉलर का निवेश करने पर सहमति जताई है। यह समझौता भारत की समुद्री क्षमताओं को बढ़ाने और अपने व्यापार गलियारों को यूरेशिया तक विस्तारित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की व्यापक रणनीति का हिस्सा है। भारत ने 2003 में ऊर्जा संपन्न ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में स्थित चाबहार बंदरगाह को विकसित करने का प्रस्ताव रखा था। आइए समझते हैं कि भारत को इसके क्या-क्या फायदे होंगे।

इसके क्या-क्या फायदे होंगे?

  • ईरान के दक्षिण-पूर्वी तट पर पाकिस्तानी सीमा के करीब चाबहार बंदरगाह का खसा रणनीतिक महत्व है। यह भारत की व्यापार महत्वाकांक्षाओं के लिए बेहद अहम है और मध्य एशिया तक सीधी पहुंच को सक्षम बनाएगा।
  • भारत और ईरान ने इस बंदरगाह को 7,200 किलोमीटर लंबे आईएनएसटीसी के एक प्रमुख केंद्र के रूप में पेश किया है। आईएनएसटीसी के जरिए भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के बीच माल ढुलाई की जाएगी।
  • ईरान-पाकिस्तान सीमा के पास ओमान की खाड़ी पर स्थित यह बंदरगाह भारत को पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग मुहैया कराएगा।
  • यह समझौता अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान जैसे मध्य एशियाई देशों के साथ व्यापार के लिए खासा फायदेमंद है।
  • इस समझौते से भारत अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) का लाभ उठाएगा, जो भारत, ईरान, रूस और यूरोप को जोड़ने वाला 7,200 किलोमीटर लंबा नेटवर्क है।
  • पाकिस्तान को दरकिनार करते हुए भारत अपने व्यापार मार्गों में विविधता लाते हुए इस पड़ोसी देश पर निर्भरता कम कर सकेगा।
  • इसके जरिए INSTC का इस्तेमाल कर भारत से सामान अफगानिस्तान और मध्य एशिया आसानी से भेजा जा सकेगा।

समझौते के आर्थिक लाभ
  • इस सौदे से भारत और ईरान दोनों को अहमआर्थिक लाभ मिलने की उम्मीद है। इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड बंदरगाह के बुनियादी ढांचे और उपकरणों के विकास में 370 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी। इसके तहत ये निवेश होंगे-
  • बंदरगाह पर कार्गो प्रबंधन क्षमता बढ़ाना
  • दक्षता में सुधार और परिवहन लागत कम करना
  • भारत, ईरान, अफगानिस्तान और मध्य एशिया के बीच व्यापार को सुगम बनाना
  • क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा करना

अमेरिका क्यों बिफरा?

यह समझौता बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य के बीच भारत और ईरान के बीच संबंधों की गहराई को दर्शाता है। अमेरिका द्वारा अतीत में प्रतिबंध लगाए जाने और उसके कारण बंदरगाह के विकास में रुकावट के साथ यह नया समझौता खासा अहम है। दोनों देशों द्वारा क्षेत्र में अपनी आर्थिक स्वतंत्रता और रणनीतिक हितों पर जोर देने का स्पष्ट कदम माना जा रहा है। लेकिन इसे लेकर अमेरिका ने अपने इरादे भी जता दिए हैं। उसने साफ कहा है कि ईरान के साथ किया गया कोई भी समझौता प्रतिबंध के दायरे में आ सकता है।

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