क्या है CAA कानून, क्या हैं इसके प्रावधान, किन लोगों को मिलेगा इसका फायदा?
दिसंबर 2019 में संसद द्वारा सीएए पारित होने और बाद में राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद देश के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। क्या है ये कानून, आपको बता रहे हैं।
अमित शाह
ET Now Global Business Summit: ईटी नाउ ग्लोबल बिजनेस समिट 2024 (ET Now Global Business Summit 2024) के मंच पर गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया कि इसी साल लोकसभा चुनाव से पहले ही नागरिकता संशोधन कानून यानि सीएए (CAA) लागू कर दिया जाएगा। अमित शाह ने कहा कि सीएए कानून लोकसभा चुनाव से पहले अमल में आएगा। इसका नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा। इस पर किसी को संशय नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह किसी की नागरिकता छीनने का कानून नहीं है। ईटी नाउ के मंच पर उनका ये ऐलान आज की सबसे बड़ी खबर बन गया।
चुनाव से पहले ही सीएए अमल में आएगा
ईटी नाउ ग्लोबल बिजनेस समिट में अमित शाह ने कहा कि ये देश का कानून है। चुनाव से पहले ही सीएए को अमल में आना है। उन्होंने कहा, जब कांग्रेस ने देश का विभाजन किया, वहां पर (पाकिस्तान) में जो अल्पसंख्यक थे, हिंदू, जैन, ईसाई थे, उनकी प्रताड़ना होती थी, सारे लोग यहां भागकर आते थे। उस वक्त कांग्रेस पार्टी का वादा था कि आप धीरे-धीरे आइए, आप जब भी भारत आएंगे आपको नागरिकता दी जाएगी, लेकिन वह मुकर गई।
क्या है CAA, इसमें कैसे प्रावधान?(What is CAA)
- 2019 में मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए सीएए का उद्देश्य बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में प्रताड़ित हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों सहित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है।
- सीएए भारतीय नागरिकों पर लागू नहीं होता है। इसका उद्देश्य उन विदेशियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है, जिन्हें इन तीन पड़ोसी देशों में उनके धर्म के आधार पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है।
- यह कानून उन लोगों पर लागू होता है जिन्हें धर्म के आधार पर उत्पीड़न के कारण भारत में शरण लेने के लिए मजबूर किया गया है।
- सीएए संविधान की छठी अनुसूची के तहत आने वाले क्षेत्रों और इनर लाइन परमिट प्रणाली के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को छोड़कर उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के आदिवासियों और स्वदेशी लोगों के हितों की रक्षा करता है। इन इलाकों में रहने वाले ऐसे प्रवासी भारतीय नागरिक के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे।
- पिछले छह वर्षों के दौरान लगभग 2830 पाकिस्तानी नागरिकों, 912 अफगानी नागरिकों और 172 बांग्लादेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकता दी गई है।
- सीएए विदेश के किसी भी धार्मिक समुदाय को निशाना नहीं बनाता है। इसमें भारत में किसी भी समुदाय के नागरिक की नागरिकता लेने का कोई प्रावधान नहीं है।
क्यों हो रहा इसका विरोध
बता दें कि दिसंबर 2019 में संसद द्वारा सीएए पारित होने और बाद में राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद देश के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। एक विशेष वर्ग का कहना है कि इस कानून के तहत उनकी नागरिकता भी खतरे में आ जाएगी। देशभर में इसे लेकर प्रदर्शन हुए। हालांकि सरकार ने साफ कहा है कि इस कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। कांग्रेस, सपा टीएमसी सहित कई विपक्षी दलों ने इसका खुला विरोध किया है। वहीं, पिछले साल दिसंबर में अमित शाह ने प. बंगाल में कहा था कि सीएए को लागू होने से कोई नहीं रोक सकता क्योंकि यह देश का कानून है। उन्होंने इसे जल्द लागू करने की बात कही थी। ईटी नाउ ग्लोबल बिजनेस समिट में उन्होंने साफ कर दिया कि इसे चुनाव से पहले लागू कर दिया जाएगा।
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