पहली बार एक साल में 5 भारत रत्न..., मोदी सरकार ने कैसे साधी यूपी-बिहार से लेकर पंजाब और हरियाणा की राजनीति? समझें

Politics: मोदी सरकार ने 5 हस्तियों को भारत रत्न के ऐलान के साथ ही कई राज्यों में चुनावी समीकरणों को भी साध लिया है, जिसका सीधा फायदा पार्टी को आगामी लोकसभा चुनाव में हो सकता है। आइए समझते हैं इसके सियासी मायने...

PM Modi Bharat Ratna

प्रधानमंत्री मोदी

Politics: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिम्हा राव और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने का ऐलान किया है। इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को भी भारत रत्न देने का ऐलान किया गया था। ऐसा पहली बार है कि एक साल में 5 हस्तियों को इस प्रतिष्ठित सम्मान से नवाजा गया है। कहा जा रहा है कि 2023 में एक भी भारत रत्न नहीं दिया गया था। ऐसे में मोदी सरकार ने 5 हस्तियों को भारत रत्न के ऐलान के साथ ही पिछले बैगलॉक को भी पूरा कर लिया है।
हालांकि, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भारत रत्न की घोषणा के चुनावी मायने भी हैं। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि मोदी सरकार ने 5 हस्तियों को भारत रत्न के ऐलान के साथ ही कई राज्यों में चुनावी समीकरणों को भी साध लिया है, जिसका सीधा फायदा पार्टी को आगामी लोकसभा चुनाव में हो सकता है। आइए जानते हैं किसान नेता चौधरी चरण सिंह, नरसिम्हा राव, एमएस स्वामीनाथन, लाल कृष्ण आडवाणी और कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के मायने क्या हैं?

चौधरी चरण सिंह...

चौधरी चरण सिंह को किसानों को मसीहा कहा जाता है। वे देश के पूर्व प्रधानमंत्री भी रहे हैं और उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनका खास प्रभाव रहा है। विशेष रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ ही पंजाब, हरियाणा और दिल्ली की जाट बहुल सीटों पर मतदाता चौधरी चरण सिंह से भावात्मक रूप से जुड़े हुए हैं। इन क्षेत्रों की करीब 40 लोकसभा सीटों पर जाट मतदाताओं को खास असर है। समाजवादी पार्टी चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी के साथ गठबंधन करके उनके वोट बैंक को भुनाने की कोशिश में है। ऐसे में भाजपा ने भारत रत्न के ऐलान के साथ ही बड़ा दांव चल दिया है। साथ ही यह भी अटकलें हैं कि रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी भाजपा के साथ गठबंधन कर सकते हैं। अगर भाजपा के सभी समीकरण सही रहते हैं तो इन 40 लोकसभा सीटों पर पार्टी बड़ी जीत हासिल कर सकती है।

पीवी नरसिम्हा राव...

मोदी सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव को भारत रत्न के ऐलान के साथ ही इस इमेज को तोड़ने की भी कोशिश की है कि पार्टी कांग्रेस के सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ अलोचनात्मक रवैया ही अपनाती है। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले ही सदन में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तारीफ की थी। इसके ठीक एक दिन बाद भारत रत्न के लिए नरसिम्हा राव के नाम का ऐलान विपक्ष को करारा जवाब माना जा रहा है। बता दें, भाजपा लगातार आरोप लगाती रही है कि कांग्रेस ने नरसिम्हा राव के योगदान को नजरअंदाज किया।

एमएस स्वामीनाथन...

एमएस स्वामीनाथन दक्षिण भारत से आते हैं और बतौर वैज्ञानिक उनकी उपलब्धियां बेमिसाल रही हैं। उन्हें भारत में हरित क्रांति का जनक भी कहा जाता है। ऐसे में मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न देने की घोषणा को दक्षिण भारत के लिए भाजपा का मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि इसके जरिए भाजपा ने दक्षिण भारत में किसान वर्ग को साधने की कोशिश की है, जिसका लाभ आगामी चुनावों में मिल सकता है।

लालकृष्ण आडवाणी...

भारत के दिग्गज नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता रहे हैं। पिछले दिनों 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में लालकृष्ण आडवाणी के शामिल न होने पर भाजपा पर आरोप लगने लगे थे कि पार्टी ने अपने दिग्गज नेता की उपेक्षा की। विपक्ष भी इस मुद्दे को उठा रहा था। ऐसे में पार्टी ने विपक्ष को जवाब देने के साथ ही साथ भाजपा के परंपरागत वोटर्स को यह संदेश देने का प्रयास किया है कि पार्टी अपने पूर्व नेताओं का सम्मान करती है।

कर्पूरी ठाकुर...

बिहार के बड़े नेता और सामाजिक जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा मोदी सरकार का मास्टरस्ट्रोक साबित हुई है। इस ऐलान के साथ ही भाजपा ने बिहार की सियासत को हिलाकर रख दिया था। ऐलान के कुछ दिन बाद ही जदयू-राजद में टूट की खबर सामने आई और नीतीश कुमार भाजपा के साथ आ गए। इस तरह लोकसभा चुनाव में पार्टी ने खुद का बड़ा नुकसान होने से भी रोक दिया। इसके साथ ही जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न के ऐलान के साथ पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग को भी साधा है। बिहार में 27 प्रतिशत पिछड़ा और 36 प्रतिशत अति पिछड़ा वर्ग की हिस्सेदारी है।
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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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