वायनाड पर कैसे भारी पड़ी 'विरासत'? वो 5 कारण जिनके लिए राहुल गांधी ने रायबरेली को ही चुना

Reasons why Rahul Gandhi chose Raebareli: जिस वायनाड सीट के लिए राहुल गांधी पार्टी के फैसले के खिलाफ जाने को तैयार थे, परिवार की विरासत(रायबरेली) संभालने से पीछे हट रहे थे, यहां तक कह दिया था कि कुछ भी हो जाए वायनाड को नहीं छोडूंगा, उसी वायनाड को उन्होंने अंतिम समय में क्यों छोड़ दिया? आइए जानते हैं...

Reasons why Rahul Gandhi chose Raebareli: कांग्रेस नेता राहुल गांधी वायनाड चुनेंगे या रायबरेली? इस सवाल से सारे किन्तु-परंतु हट गए हैं। राहुल गांधी ने साफ कर दिया है कि वह वायनाड की जगह परिवार की विरासत को तरजीह देंगे, यानी रायबरेली से सांसद बने रहेंगे। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया है कि वायनाड से प्रियंका गांधी का पॉलिटिकल डेब्यू होगा और यहां होने वाले उपचुनाव में से पार्टी की कैंडिडेट होंगी।

यहां एक सवाल उठता है कि जिस वायनाड सीट के लिए राहुल गांधी पार्टी के फैसले के खिलाफ जाने को तैयार थे, परिवार की विरासत(रायबरेली) संभालने से पीछे हट रहे थे, यहां तक कह दिया था कि कुछ भी हो जाए वायनाड को नहीं छोडूंगा, उसी वायनाड को उन्होंने अंतिम समय में क्यों छोड़ दिया? यहां हम उन 5 कारणों को जानेंगे जिसके लिए राहुल गांधी वायनाड छोड़कर रायबरेली चुनने के लिए मजबूर हो गए, आइए समझते हैं...

पहले वायनाड और राहुल गांधी...

2019 का लोकसभा चुनाव था, जब भाजपा ने कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली अमेठी लोसकभा सीट से स्मृति ईरानी को उतार दिया। यहां से कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी मैदान में थे। स्मृति ईरानी के मैदान में उतरने से मुकाबला कड़ा हो चुका था और कांग्रेस को हार का डर सताने लगा था। यही कारण था कि राहुल गांधी ने कांग्रेस की सेफ सीट केरल की वायनाड से भी नामांकन दाखिल कर दिया। जब चुनाव के परिणाम आए तो हुआ भी वही, जिसका अंदाजा कांग्रेस पहले ही लगा चुकी थी। राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार चुके थे, लेकिन वह वायनाड ने उन्हें अपना प्रतिनिधि चुनकर संसद भेजा।

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