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ग्रीनलैंड पर बढ़ेगा तनाव, फ्रांस ने की फौज भेजने की पेशकश, क्या ट्रंप से टकराएंगे मैक्रों?

Greenland Row : ट्रंप ने मेटे से ग्रीनलैंड की कीमत पूछ ली...इस पर वह भड़क गईं...डेनमार्क की पीएम ने ग्रीनलैंड बेचने से साफ इंकार कर दिया...उन्होंने साफ कह दिया कि ग्रीनलैंड सेल के लिए नहीं है...चूंकि इस तरह का जवाब सुनने के ट्रंप आदी नहीं हैं...ऐसे में मेटे की इंकार की बात सुनने के बाद वह भड़क गए

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ग्रीनलैंड पर अमेरिका का नियंत्रण चाहते हैं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप।

Greenland Row : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनिया के सबसे बड़े द्वीप ग्रीनलैंड को हासिल करने के लिए बार-बार बयान दे रहे हैं। इससे ग्रीनलैंड और यूरोपीय देशों की नींद उड़ गई है। हड़कंप मच गया है। बीते शनिवार को तो ट्रंप ने जिस विश्वास और भरोसे से कहा कि ग्रीनलैंड के 57 हजार लोग अमेरिका के साथ आना चाहते हैं और यह द्वीप हमारे पास आ रहा है। उससे तो यही लगा कि ग्रीनलैंड हासिल करने के लिए उनकी डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडेरिक्सन के साथ कोई डील हो गई है, लेकिन रिपोर्टों की मानें तो पिछले सप्ताह मेटे के साथ ट्रंप की, जो बातचीत हुई वह शिष्टाचार के दायरे वाली नहीं थी।

मेटे और ट्रंप के बीच गर्मागरम बहस

आमतौर पर दो देशों के राष्ट्राध्यक्ष जब एक दूसरे से बातचीत करते हैं तो उसमें बहुत ही नजाकत, नफासत, एक-दूसरे का सम्मान और प्रोटोकॉल होता है। एक दूसरे के लिए हिज या हर एक्सीलेंसी जैसे शब्द इस्तेमाल में लाए जाते हैं, लेकिन ग्रीनलैंड खरीदने को लेकर ट्रंप और मेटे के बीच हुई बातचीत को फायरी यानी गर्मागरम और तीखी बहस वाला बताया जा रहा है। रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि ट्रंप ने मेटे से ग्रीनलैंड की कीमत पूछ ली। इस पर वह भड़क गईं। डेनमार्क की पीएम ने ग्रीनलैंड बेचने से साफ इंकार कर दिया। उन्होंने साफ कह दिया कि ग्रीनलैंड सेल के लिए नहीं है। चूंकि इस तरह का जवाब सुनने के ट्रंप आदी नहीं हैं। ऐसे में मेटे की इंकार की बात सुनने के बाद वह भड़क गए। आपको बता दें कि ग्रीनलैंड एक स्वायत्त क्षेत्र है जिसकी विदेश नीति, सुरक्षा डेनमार्क देखता है। एक समय ग्रीनलैंड, डेनमार्क का ही उपनिवेश था, लेकिन अभी ग्रीनलैंड की अपनी एक संसद और स्थानीय नागरिक प्रशासन है।

तो यह बहुत ही अनफ्रेंडली एक्ट होगा- ट्रंप

दरअसल, ग्रीनलैंड पर ट्रंप की नजर अपने पहले कार्यकाल से ही है। 2019 में भी उन्होंने इसे अमेरिका में मिलाने का इरादा जताया था, लेकिन उस समय यह बात आई-गई हो गई। लेकिन दूसरी बार राष्ट्रपति बनने के बाद ऐसा लगता है कि ट्रंप ने इस द्वीप को हासिल करने की बात मन में ठान ली है। वह कह रहे हैं कि अमेरिका की सुरक्षा के लिए इस आर्कटिक द्वीप पर अमेरिका का नियंत्रण जरूरी है। एयरफोर्स वन में मीडिया से बातचीत में ट्रंप ने कहा कि मुझे लगता है कि ग्रीनलैंड के लोग हमारे साथ होना चाहते हैं। मुझे वास्तव में नहीं पता कि इस द्वीप पर डेनमार्क का कौन सा दावा बनता है, लेकिन ग्रीनलैंड पर यदि वे अमेरिका का नियंत्रण नहीं होने देते तो यह बहुत ही अनफ्रेंडली एक्ट होगा, क्योंकि एक स्वतंत्र दुनिया के लिए ग्रीनलैंड की सुरक्षा जरूरी है। मुझे लगता है कि ग्रीनलैंड हमें मिल जाएगा।क्योंकि इससे विश्व की सुरक्षा जुड़ी हुई है। इस द्वीप को हासिल करने के लिए ट्रंप ने सेना भेजने और आर्थिक नाकेबंदी की संभावना से इंकार नहीं किया है। यानी बातचीत और डील से रास्ता नहीं निकलने पर वह ग्रीनलैंड में अमेरिकी फौज उतार सकते हैं। ग्रीनलैंड को अपने अधीन लेने के लिए ट्रंप यदि फौज भेजते हैं तो यह मामला बहुत पेचीदा और टकराव की एक बहुत बड़ी वजह बन सकता है।

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