PM Modi क्यों गए हैं जापान? G7 का मेंबर नहीं फिर भी इस समिट में भारत को क्यों बुलाते हैं ये ताकतवर देश
G-7 Summit: भारतीय प्रधानमंत्री जापान क्यों गए हैं? क्या उन्हें जी-7 समिट के लिए आमंत्रित किया गया था? अगर हां, तो उन्हें इस समिट के लिए आमंत्रित क्यों किया गया? भारत के और कौन-कौन से प्रधानमंत्रियों ने इस समिट में हिस्सा लिया है? आइए जानते हैं सबकुछ...
जी-7 समिट में पीएम मोदी
G-7 Summit: जापान के हिरोशिमा में जी-7 देशों का सम्मेलन शुरू हो गया है। इस समिट में प्रतिभाग करने के लिए जी-7 देशों के प्रमुख पहुंचे हैं। इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सुनक भी शामिल हो रहे हैं। खास बात है कि भारत इस शक्तिशाली समूह का हिस्सा नहीं है, इसके बावजूद भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-7 समिट में भाग लेने के लिए हिरोशिमा पहुंचे हैं। पीएम मोदी का यह दौरा काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि 1974 के पोखरण परमाणु परीक्षण के बाद यह पहली बार है जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री हिरोशिमा का दौरा कर रहा है। इससे पहले 1957 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने हिरोशिमा का दौरा किया था।
पीएम मोदी के इस दौरे को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। ट्विटर पर कई लोग पूछ रहे हैं कि जब भारत जी-7 का हिस्सा नहीं है तो भारतीय प्रधानमंत्री जापान क्यों गए हैं? क्या उन्हें जी-7 समिट के लिए आमंत्रित किया गया था? अगर हां, तो उन्हें इस समिट के लिए आमंत्रित क्यों किया गया? भारत के और कौन-कौन से प्रधानमंत्रियों ने इस समिट में हिस्सा लिया है? आइए जानते हैं सबकुछ...
पहले जी-7 के बारे में जानिएजी-7 दुनिया की सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का समूह है। एक प्रकार से यह विश्व के प्रमुख औद्योगिक राष्ट्रों का एक मंच है। इसमें संयुक्त राज्ल्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान जैसे देश शामिल हैं। दुनिया की लगभग 10 प्रतिशत आबादी इन देशाों में बसतती है और वैश्विक जीडीपी में जी-7 देशों की हिस्सेदारी लगभग 31% के करीब है।
अब जानिए भारत क्यों हो रहा इसमें शामिल?
भारत जी-7 देशों का स्थायी सदस्य नहीं है। इसके बावजूद भारत इस समिट में शामिल हो रहा है। इसके पीछे की वजह यह है कि जी-7 देशों की ओर से भारत को गेस्ट कंट्री के तौर पर इस समिट में बुलाया गया है। हर समिट में इस तरह से गेस्ट कंट्रियों को आमंत्रण भेजा जाता है। भातर के अलावा ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कोमोरोस, कुक आइसलैंड, इंडोनेशिया, साउथ कोरिया, वियतनाम को भी आमंत्रण भेजा गया है।
क्या इससे पहले भी जी-7 का हिस्सा बना है भारत?
हां, जी-7 की यह पहली समिट नहीं है, जिसमें भारत गेस्ट कंट्री के तौर पर शामिल हो रहा है। सबसे पहले भारत को 2003 में जी-7 समिट के लिए आमंत्रित किया गया था। तब यह सम्मेलन फ्रांस में हुआ था। इसके बाद 2005 से 2009 तक लगातार भारत को जी-7 में प्रतिभाग करने के लिए आमंत्रण मिला। हर समिट में तत्कालिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शामिल हुए। इसके बाद 2019 से लगातार भारत को समिट में बुलाया जा रहा है।
भारत को क्यों मिल रही जी-7 में इतनी अहमियत?
इसका पहला कारण यूरोप और एशिया में भारत की बदली भूमिका है। दअरसल, भारत तेजी से आर्थिक रूप से मजबूत राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है। दूसरी तरफ जी-7 देशों की वैश्विक जीडीपी में हिस्सेदारी लगातार घट रही है। जानकारी के मुताबिक, 1980 में यह लगभग 60 प्रतिशत थी, जो अब घटकर 30 प्रतिशत के करीब आ गई है। ऐसे में तेजी से उभरती आर्थिक शक्ति से रूप में इन देशों को भारत के समर्थन की जरूरत है। वहीं दूसरा बड़ा कारण प्रशांत हिंद क्षेत्र में चीन का बढ़ता दखल है। पश्चिम देश यह जानते हैं कि एशिया में भारत यह चीन को रोकने का दमखम रखता है। ऐसे में चीन पर लगाम लगाने के लिए जी-7 देश भारत को अपने साथ लाना चाहते हैं।
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मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें
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