कश्मीर में हो रही G20 मीटिंग के विरोध में क्यों उतरे पाक-चीन, किस बात का सता रहा डर?
पाकिस्तान श्रीनगर में होने वाली बैठक के विरोध में उतर आया है और तिकड़में चलनी शुरू कर दी हैं। उसका साथ दे रहा है उसका सदाबहार पड़ोसी चीन।
पाकिस्तान और चीन कश्मीर में जी-20 के खिलाफ
कश्मीर के श्रीनगर में आज से G20 मीटिंग का आयोजन होने जा रहा है। इसे लेकर चीन और पाकिस्तान ने हमेशा की तरह विरोध वाला रवैया अपनाया है। खासकर पाकिस्तान ने इसे श्रीनगर में आयोजित करने पर आपत्ति जताई है। इसे लेकर पाक ने प्रोपगैंडा फैलाना भी शुरू कर दिया है। लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि पाकिस्तान और चीन के विरोध के बावजूद पर्यटन पर G20 कार्य समूह की बैठक 22-24 मई को जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर में आयोजित की जाएगी। आइए जानने की कोशिश करते हैं कि चीन-पाक इसका विरोध क्यों कर रहे हैं।
पाकिस्तान की तिकड़में
पूर्वोत्तर राज्य में 11 जगहों का नाम बदलकर चीन ने अरुणाचल प्रदेश में G20 बैठक के विरोध की मंशा साफ कर दी। चीन के इस बैठक को नजरअंदाज करने की संभावना है। वहीं, पाकिस्तान श्रीनगर में होने वाली बैठक के विरोध में उतर आया है और तिकड़में चलनी शुरू कर दी हैं। पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र में अपने सहयोगियों सऊदी अरब, तुर्की और चीन से G20 बैठक रोकने की गुहार लगाई थी। पाकिस्तान ने अपना विरोध जून 2022 में दर्ज किया था जब भारत ने घोषणा की थी कि श्रीनगर में एक G20 कार्य समूह की बैठक आयोजित की जाएगी।
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के खत्म होने के बाद से श्रीनगर में होने वाली बैठक शहर में होने वाली अपनी तरह की पहली अंतर्राष्ट्रीय बैठक होगी। भारत इस मौके का इस्तेमाल यह दिखाने के लिए कर सकता है कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू और कश्मीर में स्थिति सामान्य है। जुलाई में एससीओ समिट की बैठकें भी होने वाली हैं। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी भारत का दौरा कर सकते हैं, जो अप्रैल 2020 में लद्दाख गतिरोध के बाद शायद पहली बार होगा।
पाकिस्तान और चीन कश्मीर में जी-20 के खिलाफ क्यों?
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता आसिम इफ्तिखार अहमद ने कश्मीर में इस कार्यक्रम के आयोजन पर भारत की यह कहकर आलोचना की है कि वह वैश्विक स्तर पर मान्य विवाद की सच्चाई बदलना चाहता है। उनका कहना था कि भारत इस कार्यक्रम से वैश्विक स्तर पर कश्मीर में अपनी सभी कार्रवाइयों को जायज ठहराने की कोशिश कर रहा है।
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक प्रेस रिलीज में जी-20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक 22-24 मई को श्रीनगर में आयोजित करने के भारत के फैसले पर कड़ी नाराजगी जाहिर की गई थी। बयान में कहा गया था- भारत का गैर-जिम्मेदाराना कदम जम्मू-कश्मीर पर उसके कब्जे को स्थायी बनाने की उसकी लगातार जारी कोशिशों का हिस्सा है। ये संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिष्द के प्रस्तावों का घोर उल्लंघन है और यूएन चार्टर के सिद्धांतों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय कानूनों का भी उल्लंघन है।
चूंकि कश्मीर के अलावा अरुणाचल प्रदेश में इन कार्यक्रमों का आयोजन होने वाला है इसलिए चीन भी विरोध में उतर आया है। चीन के सरकारी समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स में चीन के 'स्ट्रेटजी इंस्टिट्यूट' के प्रमुख केवान फेंग ने लिखा कि भारत की मोदी सरकार कश्मीर में जी-20 के कार्यक्रमों का आयोजन कर कश्मीर से संबंधित अपनी कूटनीतिक जीत का ऐलान करना चाहती है ताकि वह हिंदू बहुल आबादी में अपनी पकड़ और मजबूत कर सके। चीन के विदेश मंत्रालय ने भी इस कदम को एकतरफा बताकर विवाद को और जटिल बनाने का आरोप लगाया।
भारत फैसले पर कायम
चीन और पाकिस्तान के विरोध के बावजूद भारत सरकार कश्मीर में जी-20 देशों के प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी की बड़े पैमाने पर तैयारियां कर रही है। इसी सिलसिले में श्रीनगर को स्मार्ट सिटी बनाने की घोषणा की गई। स्मार्ट सिटी योजना के तहत घाटी की राजधानी श्रीनगर के व्यापारिक केंद्र लाल चौक की साज-सज्जा की गई है। सुरक्षा के जबरदस्त इंतजाम किए गए हैं कि यहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता। बता दें कि भारत इस साल जी-20 देशों का नेतृत्व कर रहा है और फिलहाल चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी समेत दुनिया के 20 देशों के प्रतिनिधि इस कॉन्फ्रेंस को लेकर भारत पहुंच रहे हैं।
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