बुरी तरह हारे दारा सिंह चौहान, घोसी विजय से 'INDIA' में कितने मजबूत होंगे अखिलेश यादव? समझिए सबकुछ

Ghosi Chunav Result: घोसी के चुनावी नतीजों में सिर्फ दारा सिंह चौहान की हार और समाजवादी पार्टी की जीत नहीं हुई है, बल्कि विपक्षी गठबंधन में अखिलेश यादव का कद और मजबूत हुआ है। आखिर ये कैसे हुआ आपको समझना चाहिए। ये कहना गलत नहीं होगा कि 'इंडिया' का पहला प्रयोग सफल रहा।

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घोसी उपचुनाव जीत से अखिलेश यादव का बढ़ा कद?

Akhilesh Yadav: समाजवादी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले दारा सिंह चौहान को घोसी विधानसभा उपचुनाव में बुरी तरह हार मिली है। भाजपा की इस हार से सिर्फ सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह की जीत नहीं हुई, बल्कि इसके साथ ही साथ विपक्षी गठबंधन 'INDIA' में अखिलेश यादव का कद भी मजबूत होगा। एनडीए और इंडिया के बीच इस चुनावी जंग में दोनों ही ओर से कई दिग्गज प्रचार के लिए मैदान में उतरे थे। आपको सियासी समीकरण समझाते हैं।

किसे कितने वोट मिले?

समाजवादी पार्टी के सुधाकर सिंह पर घोसी की जनता ने अपना भरोसा दिखाया है। सपा उम्मीदवार ने विधानसभा उपचुनाव में प्रचंड जीत हासिल की है। सपा के सुधाकर सिंह को कुल 1 लाख 24 हजार 427 वोट हासिल हुए। जबकि उनके प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी और घोसी से पूर्व विधायक दारा सिंह चौहान को सिर्फ 81 हजार 668 वोट मिले। दारा सिंह चौहान को चुनावी मैदान में सुधाकर सिंह ने 42 हजार 759 वोटों से पटखनी दे दी। वहीं पीस पार्टी से सनाउल्लाह 2570 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे।

घोसी में हुई प्रतिष्ठा की लड़ाई

एक सीट पर हुए इस उपचुनाव से किसी भी पार्टी को कोई असर नहीं पड़ा और ना ही किसी तरह का कोई समीकरण बदला। मगर दोनों ही पार्टियों ने अपने-अपने दिग्गजों को चुनावी मैदान पर दंभ भरने के लिए उतारा। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव खुद चुनाव प्रचार के लिए घोसी पहुंचे थे। वहीं भाजपा के कई दिग्गजों ने दारा सिंह के प्रचार में हुंकार भरी, जो काम न आ सकी।

घोसी उपचुनाव में कास्ट पॉलिटिक्स

घोसी उपचुनाव में कास्ट पॉलिटिक्स का समीकरण भी देखने को मिला। दोनों ही पार्टियों सपा और भाजपा ने ठाकुर मतदाताओं के बीच अपनी पैठ मजबूत करने और सेंध लगाने की कोशिश में दिग्गज नेताओं को जिम्मा सौंपा था। सुधाकर सिंह को मजबूत करने के लिए सपा ने अपने सबसे दिग्गज ठाकुर नेता पूर्व मंत्री और जमानिया विधायक ओमप्रकाश सिंह को जिम्मेदारी दी थी। वहीं भाजपा ने राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ और अरुण सिंह को इस काम पर लगाया था। खास बात तो ये है कि भाजपा सरकार में 15 से अधिक मंत्री इस उपचुनाव में प्रचार के लिए उतरे थे। ओमप्रकाश राजभर, आशीष पटेल और संजय निषाद का जादू नहीं चला। दारा सिंह चौहान को घोसी की जनता ने नकार दिया।

अखिलेश यादव ने लिया अपना बदला?

सबसे खास बात ये है कि दारा सिंह चौहान ने हाल ही में भाजपा का दामन थामा था, अखिलेश यादव उन्हें हराने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे थे। वो किसी भी हाल में बगावत का बदला लेने की कोशिश में थे। घोसी में सपा ने भाजपा को पटखनी देकर अपना बदला ले लिया है। यहां ये समझने की जरूरत है कि अखिलेश ने अपना बदला लेने के साथ ही साथ इंडिया गठबंधन की नजर में अपना आत्मसम्मान बढ़ाया है।

घोसी विजय से कितने मजबूत होंगे अखिलेश?

घोसी उपचुनाव को विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' की पहली अग्निपरीक्षा के तौर पर देखा जा रहा था। दावा किया जा रहा था कि अगर यहां सपा जीतती है तो इंडिया को लेकर संभावनाएं हैं। सपा की इस जीत से कहीं न कहीं अखिलेश का कद गठबंधन में बढ़ता दिख रहा है। जिस तरह भाजपा ने अपने सभी धुरंधरों को मैदान में उतारा और सपा की आंधी में दारा सिंह चौहान उड़ गए, ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि विपक्षी गठबंधन के लिए अखिलेश यादव और सपा की अहमियत में भारी इजाफा हुआ होगा।
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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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