जी कृष्णैया हत्याकांड: भीड़ ने की थी गोपालगंज डीएम की लिंचिंग, जानिए 5 दिसंबर 1994 को क्या-क्या हुआ था
1985 बैच के आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया तेलंगाना के महबूबनगर के रहने वाले थे। दलित आईएएस अधिकारी जी कृष्णय्या 1994 में गोपालगंज के जिला मजिस्ट्रेट थे।
आनंद मोहन
Anand Mohan: बिहार में नीतीश सरकार द्वारा बाहुबली आनंद मोहन को जले से रिहा करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। 1994 में मारे गए गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के आरोपी बाहुबली को रिहा करने पर सवाल उठ रहे हैं। आनंद मोहन डीएम कृष्णैया की मॉब लिंचिंग हत्या के आरोप में जेल में बंद थे। अब इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी दखल देने की मांग उठ रही है।
कौन थे जी कृष्णैया?
1985 बैच के आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया तेलंगाना के महबूबनगर के रहने वाले थे। दलित आईएएस अधिकारी जी कृष्णय्या 1994 में गोपालगंज के जिला मजिस्ट्रेट थे। वह एक गरीब दलित परिवार से ताल्लुक रखते थे और कहा जाता था कि वह अपने समय के सबसे ईमानदार नौकरशाह थे। 1994 में जब उनकी हत्या हुई थी वह गोपालगंज के जिलाधिकारी थे। जब उनका वाहन बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से गुजर रहा था तब एक गैंगस्टर छोटन शुक्ला की हत्या से गुस्साई भीड़ ने उन्हें पहले पीटा और फिर गोली मार दी थी। इस भीड़ की अगुवाई आनंद मोहन कर रहे थे।
5 दिसंबर 1994
यही वो तारीख थी जिसने बिहार ही नहीं पूरे देश को दहला दिया था। उस दिन गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया एक विशेष बैठक में भाग लेकर वापस गोपालगंज लौट रहे थे। वो अपनी लालबत्ती वाली सरकारी कार में सवार थे। उनके साथ एक सरकारी गनर और ड्राइवर भी था। उन्हें बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि आगे हाइवे पर क्या हंगामा हो रहा है। दरअसल, एक दिन पहले यानी 4 दिसंबर को उत्तरी बिहार का एक कुख्यात गैंगस्टर छोटन शुक्ला मारा गया था। उसकी हत्या की वजह से मुजफ्फरपुर इलाके में तनाव फैल गया था। छोटन शुक्ला आनंद मोहन की पार्टी से ही जुड़ा हुआ था।
लोगों में उसकी हत्या से भारी गुस्सा था और सरकार और पुलिस से खासे नाराज थे। समर्थक छोटन शुक्ला की लाश को सड़क पर रखकर प्रदर्शन कर रहे थे। हाइवे पर हजारों लोग धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। गोपालगंज जिले के डीएम जी. कृष्णैया की सरकारी कार हाइवे से गुजर रही थी। जैसे ही कार प्रदर्शनकारियों के करीब पहुंची तो वहां हंगामा शुरू हो गया। भीड़ लाल बत्ती लगी सरकारी कार देखकर भड़क गई। गुस्साए लोगों ने उनकी कार पर पथराव शुरू कर दिया। ड्राइवर और सरकारी गनर उन्हें बचाने की कोशिश की लेकि भारी भीड़ के सामने ज्यादा देर नहीं टिक सके। इसके बाद हिंसा का तांडव शुरू हो गया।
चीखते रहे कृष्णैया, लोग बने हैवान
इस दौरान कृष्णैया चीख-चीखकर भीड़ को बता रहे थे कि वो गोपालगंज के डीएम हैं, मुजफ्फरपुर के नहीं। लेकिन किसी ने उनकी एक नहीं सुनी और हिंसा पर उतर आए। भीड़ ने डीएम कृष्णैया को जबरन कार से बाहर खींचकर लिया और उन्हें पीटने लगे। हिंसक भीड़ शांत नहीं हुई और खाबरा गांव के पास इस आईएएस अधिकारी की पीट-पीटकर हत्या कर दी। बताया जाता है कि इसी दौरान भीड़ में ही किसी ने उन्हें गोली मार दी। इसका इल्जाम आनंद मोहन पर लगा जिसके लिए उसे उम्रकैद हुई थी।
आनंद मोहन की रिहाई
अब बिहार के पूर्व सांसद को 26 अन्य लोगों के साथ रिहा किया जाना है, जो 14 साल से अधिक समय से राज्य की विभिन्न जेलों में बंद हैं। हालांकि, 10 अप्रैल को बिहार सरकार ने मोहन की रिहाई को आसान बनाने के लिए नियम 481 में बदलाव करते हुए जेल नियमावली 2012 में बदलाव किया। राज्य सरकार की आधिकारिक अधिसूचना के तहत 26 अन्य कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया, जिन्होंने 14 से 20 साल जेल में बिताए हैं। पैरोल पर बाहर आए आनंद मोहन अपनी रिहाई की खबर तब मिली जब वह अपने बेटे चेतन आनंद की सगाई में शामिल हो रहे थे। चेतन राज्य में सत्तारूढ़ राजद के मौजूदा विधायक हैं।
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अमित कुमार मंडल author
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