कभी हेमंत सोरेन ने झारखंड में बनवाई थी BJP की सरकार, खुद बने थे डिप्टी सीएम; भाई की मौत के बाद राजनीति में रखा था कदम
Hemant Soren Political Journey: हेमंत सोरेन की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत 2009 से ही हुई। तब वो राज्यसभा सांसद बने। यहीं से वो बीजेपी के संपर्क में आए और अगले साल 2010 में जब झारखंड में अर्जुन मुंडा की सरकार बनी तो ये बीजेपी के साथ हो लिए। खुद डिप्टी सीएम बन गए।
अपने पिता शिबू सोरेने के साथ हेमंत सोरेन
Hemant Soren Political Journey: झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन कभी अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत में भाजपा के ही साथ थे। हालांकि उनकी पार्टी झामुमो आम तौर पर कांग्रेस के साथ रही है, लेकिन 2009 में जब हेमंत सोरेन के बड़े भाई दुर्गा सोरेन की मौत हुई तो शिबू सोरेन ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में हेमंत सोरेन को पसंद किया। कहा जाता है कि शिबू सोरेन को उत्तराधिकारी के रूप में हेमंत पहली पसंद नहीं थे, लेकिन दुर्गा की मौत के बाद उन्होंने हेमंत के नाम पर मुहर लगा दी।
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हेमंत सोरेन की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत
हेमंत सोरेन की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत 2009 से ही हुई। तब वो राज्यसभा सांसद बने। यहीं से वो बीजेपी के संपर्क में आए और अगले साल 2010 में जब झारखंड में अर्जुन मुंडा की सरकार बनी तो ये बीजेपी के साथ हो लिए। खुद डिप्टी सीएम बन गए। हालांकि ये सरकार दो साल बाद गिर गई और हेमंत सोरेन वापस कांग्रेस के साथ लौट आए।
कांग्रेस के सहयोग से सीएम
साल 2013 में हेमंत सोरेन कांग्रेस और राजद के सहयोग से झारखंड के मुख्यमंत्री बन गए। हेमंत तब एक साल और 168 दिन तक सीएम रहे। इसके बाद बीजेपी की सरकार आ गई और हेमंत सोरेन विपक्ष के नेता बन गए। इस दौरान उन्होंने आदिवासी समुदाय को लेकर लगातार भाजपा पर हमला बोलते रहे। वर्ष 2016 में जब भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार ने गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए आदिवासी भूमि को पट्टे पर देने की अनुमति को लेकर छोटानागपुर किरायेदारी अधिनियम और संथाल परगना किरायेदारी अधिनियम में संशोधन करने की कोशिश की तो सोरेन ने एक बड़े आंदोलन का नेतृत्व किया जिसका राजनीतिक लाभ उन्हें तीन साल बाद मिला।
बने दूसरी बार सीएम
2019 के चुनाव में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो ने अच्छा प्रदर्शन किया। कांग्रेस और राजद के समर्थन से हेमंत 2019 में दोबारा सत्ता में आए और उनकी पार्टी झामुमो ने 81 सदस्यीय विधानसभा में अकेले 30 सीटें जीतीं जो झामुमो का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन रहा। 2019 में हेमंत सोरेन दूसरी बार सीएम बने।
सीएम से जेल तक का सफर
मुख्यमंत्री कार्यालय में सोरेन का कार्यकाल आसान नहीं रहा। राज्य का मुख्यमंत्री बनने के बाद खनन पट्टे के कथित नवीनीकरण के मामले में 2022 में उन पर एक विधायक के रूप में अयोग्य घोषित किए जाने का खतरा मंडरा रहा था जिसके कारण उन्हें मुख्यमंत्री का पद खोना पड़ सकता था। उसी वर्ष राज्य के तीन कांग्रेस विधायकों को पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल में लगभग 49 लाख रुपये नकदी के साथ पकड़ा गया था। सोरेन के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन ने आरोप लगाया था कि यह सब सरकार को गिराने के भाजपा की साजिश का हिस्सा था। कई आरोपों के बाद अब सोरेन को ईडी गिरफ्तार कर चुकी है। हेमंत सोरेन जेल में हैं।
हेमंत सोरेन की शिक्षा और निजी जीवन
हजारीबाग के पास नेमरा गांव में 10 अगस्त, 1975 को जन्मे हेमंत ने पटना माध्यमिक स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की है। बाद में रांची में बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मेसरा में दाखिला लिया, लेकिन पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। हेमंत को बैडमिंटन खेलने, साइकिल चलाने और किताबें पढ़ने का शौक हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी कल्पना और दो बच्चे हैं।
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