Hijab Controversy Explained: क्या है हिजाब से जुड़ा सारा विवाद, कैसे हुई थी शुरुआत? एक क्लिक में जानें सबकुछ
What is Hijab Vivad: क्या आप जानते हैं कि कॉलेज में हिजाब पहनने को लेकर विवाद की शुरुआत कब और कैसे हुई थी? इस मामले ने उस वक्त पहली बार तूल पकड़ा था, जब कर्नाटक के उडुपी में स्थित पीयू कॉलेज की कुछ छात्राओं ने हिजाब पहनने की मांग की थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के एक कॉलेज में हिजाब पहनने पर रोक लगाने वाले फैसले पर रोक लगाई है।
हिजाब विवाद से जुड़ा हर पहलु समझिए।
Hijab Full Controversy: कॉलेज में हिजाब, बुर्का या नकाब पहनने को लेकर विवाद एक बार फिर गरमा चुका है। मामला देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट में है, अदालत ने इसे लेकर अहम फैसला भी सुनाया है। न्यायालय ने कॉलेज में ‘हिजाब, बुर्का और नकाब' पहनने पर पाबंदी लगाने वाले परिपत्र पर रोक लगाई, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कॉलेज में हिजाब पहनने वाले विवाद ने पहली बार कब तूल पकड़ा था। आपको इस लेख में इससे जुड़ी कुछ अहम बातें बताते हैं।
जब कर्नाटक के उडुपी से हुई हिजाब विवाद की शुरुआत
साल 2021 के अक्टूबर महीने की बात है, जब कर्नाटक के उडुपी में स्थित पीयू कॉलेज की कुछ छात्राओं ने हिजाब पहनने की मांग शुरू की थी। उस वक्त इस मामले ने खूब तूल पकड़ा, साल 2022 तक इस मामले में सु्प्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। सुनवाई के बीच कई उतार चढ़ाव देखे गए। पहले एक जज ने खुद को मामले से अलग कर लिया, फिर जजों की राय अलग होने के चलते बड़ी बेंच का गठन हुआ। ये तो मामला कर्नाटक का था, लेकिन इन दिनों जिस विवाद ने सुर्खियां बंटोरी वो महाराष्ट्र के मुंबई से जुड़ा है। पहले आपको ताजा मामले के बारे में बताते हैं, उस विवाद के हर पहलु से रूबरू कराते हैं जब हिजाब विवाद की शुरुआत कर्नाटक से हुई थी।
मुंबई हिजाब बैन मामले में सुप्रीम कोर्ट की रोक।
अदालत ने कहा, छात्राओं पर अपनी पसंद नहीं थोप सकते
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मुंबई के एक कॉलेज के उस परिपत्र पर आंशिक रूप से रोक लगा दी है, जिसमें कॉलेज परिसर में ‘हिजाब, बुर्का और नकाब’ पहनने पर पाबंदी लगाई गई है। न्यायालय ने इसके साथ ही यह भी कहा कि छात्राओं को यह चयन करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए कि वह क्या पहनें। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि शैक्षिक संस्थान छात्राओं पर अपनी पसंद को नहीं थोप सकते।
अदालत ने जारी किया नोटिस, जवाब के लिए दिया समय
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने ‘एन जी आचार्य और डी के मराठे कॉलेज’ चलाने वाली ‘चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी’ को नोटिस जारी किया और 18 नवंबर तक उसे जवाब तलब किया है। पीठ ने मुस्लिम छात्रों के लिए ‘ड्रेस कोड’ को लेकर उत्पन्न नये विवाद के केंद्र में आए कॉलेज प्रशासन से कहा, 'छात्राओं को यह चयन करने की आजादी होनी चाहिए कि वे क्या पहनें और कॉलेज उन पर दबाव नहीं डाल सकता... यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपको अचानक पता चलता है कि देश में कई धर्म हैं।'
अदालत की सुनवाई। (सांकेतिक तस्वीर)
‘तिलक’ और ‘बिंदी’ पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया?
पीठ ने कहा कि अगर कॉलेज का इरादा छात्राओं की धार्मिक आस्था के प्रदर्शन पर रोक लगाना था, तो उसने ‘तिलक’ और ‘बिंदी’ पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया। न्यायालय ने एजुकेशनल सोसायटी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील माधवी दीवान से पूछा कि क्या छात्रों के नाम से उनकी धार्मिक पहचान उजागर नहीं होती? हालांकि, पीठ ने कहा कि छात्राओं को कक्षा के अंदर बुर्का पहनने की अनुमति नहीं दी जा सकती और न ही परिसर में किसी भी धार्मिक गतिविधि की अनुमति दी जा सकती है। पीठ ने कहा कि उसके अंतरिम आदेश का किसी के द्वारा दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए और किसी भी दुरुपयोग के मामले में ‘एजुकेशनल सोसायटी’ और कॉलेज को अदालत का दरवाजा खटखटाने की स्वतंत्रता दी।
सुप्रीम कोर्ट।
शीर्ष न्यायालय परिसर के अंदर हिजाब, बुर्का और नकाब पर प्रतिबंध लगाने के कॉलेज के फैसले को बरकरार रखने वाले बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था। जैनब अब्दुल कयूम सहित अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्वेस और वकील अबिहा जैदी ने कहा कि प्रतिबंध के कारण छात्राएं कक्षाओं में शामिल नहीं हो पा रही हैं। अब आपको कर्नाटक के उडुपी के उस विवाद से रूबरू करवाते हैं।
जब हिजाब पहनकर आई छात्राओं को रोका गया
उडुपी के सरकारी पीयू कॉलेज से जुड़े इस विवाद ने पहली बार सुर्खियां बंटोरी थी, जब 31 दिसंबर 2021 को छह छात्राओं को क्लास में आने से रोक दिया गया था। इसी के बाद कॉलेज के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया था, देखते ही देखते ये विवाद अदालत की चौखट पर पहुंच गया था। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई और आखिरकार शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के कर्नाटक सरकार के उस आदेश को जारी रखा गया था। उस मामले की टाइमलाइन नीचे देखिए।
- 19 जनवरी 2022 को छात्राओं, उनके माता-पिता और अधिकारियों के साथ कॉलेज प्रशासन ने बैठक की, हालांकि इसमें कोई नतीजा नहीं निकला।
- 26 जनवरी 2022 को दोबारा बैठक आयोजित हुई। उडुपी के तत्कालीन विधायक रघुपति भट ने उस वक्त ये कहा था कि बिना हिजाब पहने जो छात्राएं नहीं आ सकती हैं, वे ऑनलाइन पढ़ाई करें।
- 27 जनवरी 2022 को यानी विधायक के बयान के अगले ही दिन छात्राओं ने ऑनलाइन क्लास अटेंड करने से मना कर दिया और प्रदर्शन हुए।
- 2 फरवरी 2022 को उडुपी के कुंडापुर इलाके में स्थित सरकारी कॉलेज में भी इस हिजाब विवाद ने तूल पकड़ लिया। हिजाब के जवाब में हिंदू छात्र और छात्राएं भगवा रंग का गमछा पहनकर आए।
- 3 फरवरी 2022 को कुंडापुर के सरकारी पीयू कॉलेज में भी हिजाब पहनकर आई छात्राओं को रोका गया। कर्नाटक का ये दूसरा सरकारी कॉलेज था, जहां हिजाब पर बैन लगाया गया।
- 5 फरवरी 2022 को राहुल गांधी हिजाब पहनकर आ रहीं छात्राओं के समर्थन में उतरे। उन्होंने इस मामले में ट्वीट किया।
- 11 फरवरी 2022 को एक अंतरिम आदेश जारी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि किसी भी तरह के धार्मिक लिबास शैक्षणिक संस्थानों में नहीं पहने जाएंगे।
- 12 फरवरी 2022 को तीन दिन के लिए पीयू कॉलेजों को बंद करने का आदेश जारी हुआ।
- 24 फरवरी 2022 को हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कर्नाटक के शिक्षा मंत्री की तरफ से ये स्पष्ट किया गया कि किसी भी संस्थान में सिख धर्म की पगड़ी प्रतिबंधित नहीं है।
- 25 फरवरी 2022 को हिजाब मामले पर 11 दिनों तक सुनवाई करने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
- 15 मार्च 2022 को हिजाब विवाद पर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि धार्मिक लिहाज से हिजाब अनिवार्य नहीं है। इसीलिए शैक्षणिक संस्थानों में इसे नहीं पहना जा सकता।
- हाईकोर्ट ने अपना आदेश सुनाते हुए याचिकाकर्ताओं की उस अपील को खारिज किया, जिसमें हिजाब को महिलाओं का मौलिक अधिकार बताया गया था।
- 22 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई शुरू हुई। सर्वोच्च अदालत में 10 दिन तक इस मामले पर सुनवाई चली। फिर अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
- 13 अक्टूबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट को हिजाब विवाद मामले में फैसला सुनाना था, लेकिन सुनवाई में शामिल दोनों जजों की राय अलग होने के चलते फैसला नहीं सुनाया गया। इसके बाद सीजेआई से बड़ी बेंच के गठन की अपील की गई।
आखिरकार हिजाब बैन के सरकार के आदेश का अदालत ने भी समर्थन किया था। अदालत ने कहा था कि शिक्षण संस्थानों के छात्र-छात्राओं को पहले से निर्धारित यूनिफॉर्म ही पहनना होगा। जिसके सरकार के फैसला लागू रहा। कुछ ही महीने बाद वर्ष 2023 में एक अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में ये दावा किया कि शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के कर्नाटक सरकार के आदेश के बाद बड़ी संख्या में मुस्लिम छात्रों ने सरकारी की जगह अब प्राइवेट कॉलेजों का रुख कर रहे हैं। फिलहाल एक बार फिर देश में हिजाब विवाद ने तूल पकड़ लिया है, इस बार सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेज के आदेश पर रोक लगा दी है। हालांकि इसी साल नवंबर में मामले पर सुनवाई होगी।
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