History of Parliament: जानिए 96 साल पुरानी संसद का इतिहास, इन ऐतिहासिक घटनाओं का बना था साक्षी

करीब एक सदी तक भारत की नियति को दिशा देने के प्रतीक और अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हुए ऐतिहासिक पुराने संसद भवन का उद्धाटन तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने 18 जनवरी, 1927 को किया था...

जानिए संसद का इतिहास

History Of Old Parliament: संसद का पांच दिन का अमृत काल सत्र आज से शुरू हो रहा है। आज प्रधानमंत्री ‘संविधान सभा से शुरू हुई 75 वर्ष की संसदीय यात्रा-उपलब्धियां, अनुभव, यादें और सीख’ विषय पर चर्चा शुरू करेंगे। इसी के साथ विधानपालिका मंगलवार को नए संसद भवन में स्थानांतरित हो जाएगी यानी मौजूदा भवन में सोमवार को कामकाज का आखिरी दिन है। इस मौके पर आपको बता रहे हैं पुराने संसद का इतिहास और इससे जुड़ी यादें।

वास्तुकला का अप्रतिम उदाहरण

वास्तुकला के अप्रतिम उदाहरण और करीब एक सदी तक भारत की नियति को दिशा देने के प्रतीक और अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हुए ऐतिहासिक पुराने संसद भवन का उद्धाटन तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने 18 जनवरी, 1927 को किया था जिसके बाद से यह इमारत कई महत्वपूर्ण घटनाक्रम की साक्षी बनी। भारत के लोकतंत्र के मंदिर के तौर पर पूजा जाने वाला पुराना संसद भवन बीते करीब साढ़े नौ दशक में ब्रिटेन के साम्राज्यवादी शासन का साक्षी बना और इसके कक्षों ने स्वतंत्रता के लिए संघर्ष कर रहे क्रांतिकारियों भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त द्वारा फेंके गए बम के धमाकों की गूंज सुनी। इस इमारत ने देश में आजादी का सवेरा होते देखा और इसे 15 अगस्त 1974 को देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के ऐतिहासिक ट्राइस्ट विद डेस्टिनी (नियति से साक्षात्कार) भाषण की गवाह बनने का भी सौभाग्य मिला।

वास्तुकला का शानदार नमूना

पहली मंजिल पर लाल बलुआ पत्थर के 144 स्तंभ वाला गोलाकार पुराना संसद भवन वास्तुकला का शानदार नमूना है। पुरानी इमारत का उस समय बहुत धूमधाम से उद्घाटन किया गया था जब ब्रितानी राज की नयी शाही राजधानी नई दिल्ली का रायसीना हिल क्षेत्र में निर्माण किया जा रहा था। अभिलेखीय दस्तावेजों और दुर्लभ पुरानी तस्वीरों के अनुसार, इस भव्य इमारत के उद्घाटन के लिए 18 जनवरी, 1927 को एक भव्य आयोजन किया गया था। उस समय इसे काउंसिल हाउस के रूप में जाना जाता था।

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