Israel Hostage Crisis: इजरायल के लिए नया नहीं है बंधक संकट, अपने लोगों की रिहाई के लिए छोड़े हैं फिलीस्तीनी कैदी

Israel Hostage Crisis : बंधक बनाना युद्ध अपराध माना जाता है लेकिन हमास पहले भी इजरायल सैनिकों को बंधक बना चुका है। हमास के कैद से छुड़ाने के लिए इजरायल पहले भी उसके आतंकियों को अपनी जेल से रिहा करता रहा है। तो क्या इस बार भी इसी रास्ते पर आगे बढ़ेगा या उनकी रिहाई को लिए कोई अन्य रास्ता अपनाएगा? बंधकों की रिहाई के लिए इजरायल क्या करने जा रहा है फिलहाल इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है।

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हमास ने करीब 200 लोगों को बंधक बनाया है।

Israel Hostage Crisis : गत सात अक्टूबर को इजरायल पर आतंकवादी संगठन हमास के हमलों के बाद जारी लड़ाई में अब तक करीब 4000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और बड़ी संख्या में लोग घायल हैं। इजरायल की जवाबी कार्रवाई में फिलीस्तीन में लोगों की मौतों का सिलसिला जारी है। हमास को जड़ से खत्म करने के लिए अभियान चला रहा इजरायल की मुश्किलें एवं चुनौतियां अभी कम नहीं हुई हैं। इसकी एक बड़ी वजह बंधक संकट है। इजरायल पर हमलों के बाद हमास के आतंकवादी अपने साथ इजरायली लोगों को बंधक बनाकर अपने साथ ले गए। इन बंधकों में कुछ विदेशी नागरिक सहित बच्चे, महिलाएं, पुरुष एवं बुजुर्ग शामिल हैं।

करीब 200 लोगों को हमास ने बनाया बंधक

अपने इन बंधक नागरिकों को छुड़ाने के लिए इजरायल क्या करने जा रहा है, इस बारे में इजरायल की तरफ से साफ-साफ कुछ नहीं कहा गया है। गाजा सिटी पर हमले बढ़ने एवं शहर की नाकेबंदी होने के बाद कतर एवं तुर्की ने यह जरूर कहा कि इजरायल अगर गाजा सिटी पर हमले रोक देता है तो बंधकों की रिहाई होगी। हालांकि, उनकी इस पेशकश पर इजरायल की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। बंधकों की संख्या करीब 200 बताई जा रही है। सवाल है कि इन बंधकों जिनमें अमेरिकी नागरिक भी शामिल हैं, इनकी रिहाई के लिए क्या इजरायल अपने पहले के फॉर्मूले को अपनाएगा?

युद्ध अपराध की श्रेणी में है बंधक बनाना

बंधक बनाना युद्ध अपराध माना जाता है लेकिन हमास पहले भी इजरायल सैनिकों को बंधक बना चुका है। हमास के कैद से छुड़ाने के लिए इजरायल पहले भी उसके आतंकियों को अपनी जेल से रिहा करता रहा है। तो क्या इस बार भी इसी रास्ते पर आगे बढ़ेगा या उनकी रिहाई को लिए कोई अन्य रास्ता अपनाएगा? बंधकों की रिहाई के लिए इजरायल क्या करने जा रहा है फिलहाल इस बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है। लेकिन हम यहां बीते वर्षों में इजरायल के बंधक संकट के बारे में बात करेंगे कि इस यहूदी देश को कब-कब बंधक संकट का सामना करना पड़ा और इस हालात से कैसे वह निपटा-

बंधक संकट का सामना करता आया है इजरायल

1960 के बाद और 1970 के दशक में हमास और फिलीस्तीन के आतंकवादी संगठनों एवं पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ फिलीस्तीन ने विमान एवं लोगों को अगवा करने की घटनाओं को अंजाम दिया। अगवा लोगों के बदले में इन्होंने अपने सदस्यों को आजाद कराया।

एक सैनिक के बदले 2011 में छोड़े 1027 कैदी

साल 2006 में हमास हमास ने इजरायल के एक 19 साल के सैनिक गिलाद शालित को अगवा किया। अपने इस एक सैनिक को छुड़ाने के लिए इजरायल ने 1027 कैदियों को रिहा किया। रिहा होने वालों में ज्यादातर फिलीस्तीनी थे।

म्यूनिक में इजरायली खिलाड़ियों को बंधक बनाया

1972 के म्यूनिख के समर ओलंपिक गेम्स के दौरान फिलीस्तीन मिलिटेंट ग्रुप ब्लैक सेप्टेंबर ओलंपिक गांव में घुस गया। यहां मिलिटेंटों ने दो इजरायली लोगों की हत्या कर दी और नौ खिलाड़ियों को बंधक बना लिया। इनके बदले उन्होंने 236 कैदियों की रिहाई की मांग की। हालांकि, खिलाड़ियों की रिहाई के लिए चलाए गए ऑपरेशन में सभी की मौत हो गई। इसके बाद इजरायल ने 'ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड' चलाया और अगवा करने वाले बचे हुए आतंकियों को ढूंढ-ढूढकर मारा।

अगवा विमान के यात्रियों को छुड़ाने के लिए ऑपरेशन

27 जून 1976 को पीएफएलपी के आतंकियों ने तेल अवीव से पेरिस जाने वाली एयर फ्रांस के एक यात्री विमान को अगवा कर लिया। आतंकी इस विमान को लेकर यूगांडा गए और यहां एंटेबे पोर्ट पर लैंड किया। एंटेबे में आतंकियों ने 148 गैर-इजरायली कैदियों को छोड़ दिया और इजरायल के 94 यात्रियों एवं एयर फ्रांस के चालक दल के 12 सदस्यों के लिए इजरायल की जेलों में बंद 40 फिलीस्तीनी और अन्य देशों में कैद 13 कैदियों की रिहाई की मांग की। इस बार इजरायल की सरकार ने अपना खुद का रेस्क्यू मिशन लॉन्च किया। इस स्पेशल ऑपरेशन को इजरायल के स्पेशल फोर्स सेरेट मतकाल ने अंजाम दिया। स्पेशल फोर्स ने सभी सात आतंकवादियों को मारते हुए 105 में से 102 बंधकों को रिहा कराया। इस अभियान के कमांडर योनातन नेतन्याहू जो कि मौजूदा प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के भाई थे, उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी।

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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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