बाराबंकी से गए खामेनेई परिवार ने किस तरह बदल दिया ईरान का इतिहास, हैरतअंगेज है कहानी

अगर खामेनेई के दादा अहमद हिंदी ईरान नहीं गए होते तो आज शायद ईरान की तस्वीर ही कुछ और होती। यह अजीब लेकिन दिलचस्प है कि कैसे उत्तर प्रदेश का एक शहर ईरानी इतिहास से जुड़ गया।

खामेनेई ने बदला ईरान का इतिहास

How Khamenei Changed History of Iran: 1979 में ईरान एक उदार मुस्लिम देश था। उस समय इस्लामी क्रांति के जनक रुहोल्लाह खामेनेई (Ruhollah Khamenei) ईरान में बड़े हो रहे थे। बचपन के दिनों में खामेनेई आध्यात्मिकता के संपर्क में थे और उनका शिया धर्म से गहरा संबंध था जो उन्हें अपने दादा सैयद अहमद मुसावी हिंदी (Syed Ahmad Musavi Hindi) से विरासत में मिला था। खामेनेई के दादा अहमद हिंदी का जन्म उत्तर प्रदेश में बाराबंकी के पास हुआ था और 18वीं सदी के दौरान वह ईरान चले गए थे।

बाराबंकी के शख्स ने ईरान का इतिहास बदल दिया

बाराबंकी के अहमद हिंदी की ईरान वापसी और उनकी शिक्षाएं ईरान के इतिहास को पूरी तरह बदलकर रख दिया। खामेनेई ईरान के पहले सर्वोच्च नेता बने और इसे हमेशा के लिए एक धार्मिक राज्य में बदल दिया। हेलीकॉप्टर दुर्घटना में राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी के मारे जाने के बाद वर्तमान सर्वोच्च नेता और खामेनेई के उत्तराधिकारी अयातुल्ला अली खामेनेई का उत्तराधिकारी कौन होगा ये बड़ा सवाल है। खामेनेई के उत्तराधिकारी की दौड़ में रायसी दो दावेदारों में से एक थे। दूसरा दावेदार है खामेनेई का दूसरा बेटा, मोज्तबा।

बाराबंकी से ईरान की ओर वापसी

अगर खामेनेई के दादा अहमद हिंदी ईरान नहीं गए होते तो आज शायद ईरान की तस्वीर ही कुछ और होती। यह अजीब लेकिन दिलचस्प है कि कैसे उत्तर प्रदेश का एक शहर ईरानी इतिहास से जुड़ गया। खामेनेई के दादा का जन्म भारत में हुआ था। शिया धर्मगुरु सैयद अहमद मुसावी का जन्म उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के पास किंटूर नामक एक छोटे से कस्बे में हुआ था। बताया जाता है कि मुसावी ने भारत के साथ अपना जुड़ाव दिखाने के लिए उपनाम के रूप में 'हिंदी' का इस्तेमाल किया था। उनके पोते रुहोल्लाह खामेनेई, वे शख्स बने जिन्हें बाद में 1979 की ईरानी क्रांति का जनक कहा गया। उन्होंने अयातुल्ला के उच्च पद की स्थापना की और उदार ईरान को हमेशा के लिए एक धार्मिक देश में बदल दिया।

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