एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी के आने से केरल में BJP को कितना फायदा? 5 प्वाइंट में समझिए सियासी गणित

गुरुवार को कांग्रेस से नाराज चल रहे अनिल एंटनी, बीजेपी में शामिल हो गए। अनिल एंटनी का राजनीति में तो कद बड़ा नहीं है, लेकिन उनके पिता एके एंटनी कांग्रेस के बड़े नेता है, केरल में उनका अपना जनाधार है। हालांकि पिता साफ कर चुके हैं कि वो अंतिम दम तक कांग्रेस में ही रहेंगे।

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एके एंटनी के बेटे अनिल एटंनी के साथ भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और अन्य

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ डिजिटल
केरल में बीजेपी काफी समय से अपने आप को मजबूत करने की कोशिश में जुटी है, लेकिन सफलता नहीं मिली है। वहां आज भी कम्युनिस्ट और कांग्रेस का वर्चस्व है।दोनों ही पार्टियों के पास अपना-अपना कोर वोट बैंक है। हालांकि अब बीजेपी इसमें जरूर सेंध लगाती दिख रहा है। कम से कम कांग्रेस के वोट बैंक में तो बीजेपी सेंध लगाती दिख रही है। बीजेपी में कांग्रेस नेता अनिल एंटनी शामिल हो चुके है, जिससे बीजेपी को काफी सियासी फायदा मिल सकता है। आइए समझते हैं कि कैसे अनिल एंटनी के कांग्रेस छोड़ने से बीजेपी को फायदा होगा।
  • पलट रहा पासा
गुरुवार यानि 6 अप्रैल को कांग्रेस के दिग्गज नेता और मनमोहन सरकार में रक्षा मंत्री रहे एके एंटनी के बेटे अनिल एंटनी कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए। कहा जा रहा था कि वो बीबीसी की पीएम मोदी पर बनी डॉक्यूमेंट्री को लेकर पार्टी के स्टैंड से खफा थे, इसलिए कुछ दिनों पहले उन्होंने कांग्रेस द्वारा दिए गए पदों से इस्तीफा दे दिया था। जिसके कुछ दिनों बाद अनिल एंटनी पीएम मोदी की तारीफ करते हुए बीजेपी में शामिल हो गए।
  • मिशन केरल में BJP को मदद
अनिल एंटनी के आने से बीजेपी को तो फायदा ही फायदा है। नुकसान अगर किसी को हुआ है तो वो कांग्रेस का। हालांकि राज्य में अभी भी उसके पास शशि थरूर जैसे चेहरे हैं। लेकिन ईसाई समुदाय से संबंध रखने वाले अनिल एंटनी के बीजेपी में आने से भाजपा को उस मुहिम को सपोर्ट मिलेगा, जिसे वो पिछले कुछ महीनों से चला रही है। ईसाई समुदाय के बीच पैठ बनाने की मुहीं। केरल में बीजेपी ईसाई समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए लगातार कोशिश कर रही है, इसके लिए बकायदा प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं।
  • कांग्रेस के वोट बैंक में सेंध
अनिल एंटनी का राजनीति में भले ही कद बड़ा न हो, लेकिन उनके पिता एके एंटनी का राजनीति में काफी बड़ा कद है। बेटे होने के तौर पर एके एंटनी के वो राजनीतिक उत्तराधिकारी भी स्वभाविक रूप से हो जाते हैं। एके एंटनी कांग्रेस के केरल में कोर वोट बैंक ईसाई समुदाय के नेता रहे हैं। ईसाई समुदाय के बीच उनकी काफी पैठ है, ऐसे में अनिल अपने पिता के सपोर्टरों को अपने पक्ष में कर लेते हैं तो बीजेपी को काफी फायदा हो सकता है और कांग्रेस को बड़ा झटका लग सकता है।
  • कांग्रेस के रणनीतिकार
अनिल एंटनी केरल में कांग्रेस के युवा फेस थे, काफी पढ़े लिखे हैं और कांग्रेस को राज्य डिजिटल मीडिया सेल के प्रभारी भी थे। आज की तारीख में किसी भी पार्टी का डिजिटल मीडिया का प्रभारी होने का मतलब है कि वो पार्टी के रणनीतिकार भी होते हैं, प्रचार की रणनीति की जिम्मेदारी संभालते हैं, ऐसे में अब जब वो बीजेपी के पास हैं तो कांग्रेस वाली रणनीति का फायदा भी बीजेपी को मिल सकता है।
  • इस बात का है डर
अनिल एंटनी बीजेपी में आ चुके हैं, लेकिन उनके पिता नहीं। पिता एके एंटनी बेटे के इस कदम से खासे नाराज दिखे हैं और उन्होंने बेटे के इस फैसले को गलत ठहराते हुए कहा कि वो अनिल के इस फैसले से आहत हैं। अब एक पिता से विद्रोह करके विपक्षी पार्टी में जाना, उनके सपोर्टरों को नाराज भी कर सकता है। साथ ही केरल में खुद राहुल गांधी काफी एक्टिव रहे हैं और आगे भी एक्टिव रहने की संभावना है। जिससे कांग्रेस को पिछले लोकसभा चुनाव में फायदा भी पहुंचा था। अगर अनिल एंटनी इन दोनों का काट खोजकर इसे बेअसर कर देते हैं तब तो वो बीजेपी के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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