शारदा सिन्हा ने संगीत को कैसे बना ली अपनी दुनिया? जानें वो दिलचस्प किस्सा
Sharda Sinha's Life Story: छठ पर्व के नहाय खाय वाले दिन बिहार कोकिला के रूप में प्रसिद्ध गायिका डॉक्टर शारदा सिन्हा ने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके निधन से हर कोई गमगीन है, लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि आखिर शारदा सिन्हा ने संगीत में अपनी दिलचस्पी कैसे बढ़ाई थी? आपको वो किस्सा बताते हैं।
शारदा सिन्हा की लाइफ स्टोरी।
ये बात 1970 के दशक की है, जब बिहार के सुपौल में जन्मीं शारदा सिन्हा पटना विश्वविद्यालय में साहित्य की पढ़ाई कर रही थीं। बचपन से ही उनकी आंखों में संगीत के प्रति जुनून नजर आता था। अपनी मधुर आवाज से वो हर किसी का मन मोह लेती थीं। इसी बीच यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के दौरान उनके दोस्तों ने उन्हें उनके जुनून के प्रति प्रेरित किया। मित्रों और शुभचिंतकों ने उस वक्त शारदा सिन्हा के पैशन को निखारने की सलाह दी। बार-बार उनको इस तरह की सलाह मिलती थी, खुद उनकी भी संगीत के प्रति रुचि ने उनको आखिरकार एक प्रसिद्ध गायिका बनने की राह दिखाता चला गया।
साहित्य की पढ़ाई के बाद शारदा सिन्हा ने गायन के प्रति अपने जुनून को और निखारने का फैसला किया। उन्होंने इसके लिए दरभंगा स्थित ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से संगीत में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की और साथ ही लोक गायिका के रूप में अपनी पहचान भी बनाई। फिर क्या था, रास्ते बनते चले गए और शारदा सिन्हा आगे बढ़ती चली गईं। जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, फिल्म जगत में भी शारदा सिन्हा को पहचाने जाना लगा।
शारदा सिन्हा ने कभी नहीं गाए द्विअर्थी और घटिया गाने
शारदा सिन्हा ने साल 1990 की मशूहर बॉलीवुड फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ में ‘कहे तोसे सजना’ गीत गाया था और लोगों ने इस गाने को बहुत ज्यादा पसंद किया था। इस फिल्म में सलमान खान ने मुख्य भूमिका निभायी थी। शारदा सिन्हा इसके बाद और ज्यादा लोकप्रिय हो गईं और उन्होंने अपनी आवाज के माध्यम से लोक संगीत की समृद्ध परंपरा को आगे बढ़ाना जारी रखा। हालांकि उन्होंने इस बात का ध्यान भी रखा कि वह कभी भी घटिया और द्विअर्थी गीत न गाएं।
शारदा सिन्हा।
छठ के कौन-कौन से गीत लोगों को करते हैं आकर्षित
बिहार की समृद्ध लोक परंपराओं को राज्य की सीमाओं से बाहर भी लोकप्रिय बनाने वालीं शारदा सिन्हा के कुछ प्रमुख गीतों में ‘छठी मैया आई ना दुआरिया’, ‘कार्तिक मास इजोरिया’, ‘द्वार छेकाई’, ‘पटना से’, और ‘कोयल बिन’ शामिल थे। इन गीतों में उनकी आवाज हमेशा के लिए अमर हो गई। इसके अलावा उन्होंने बॉलीवुड फिल्मों में भी गाना गया था। इनमें ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर- टू’ के ‘तार बिजली’, ‘हम आपके हैं कौन’ के ‘बाबुल’ और ‘मैंने प्यार किया’ के ‘कहे तो से सजना’ जैसे गाने शामिल हैं।
छठ पूजा गाए शारदा सिन्हा के गीत लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय
शारदा सिन्हा के छठ पूजा गाए गीत भी लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। उनका निधन चार दिवसीय छठ महापर्व के पहले दिन हुआ। किसी भी छठ घाट पर उनके गाये गीतों जरूर बजाये जाते थे। शारदा सिन्हा एक प्रशिक्षित शास्त्रीय गायिका थीं, जिन्होंने अपने कई गीतों में लोक संगीत का मिश्रण किया। उन्हें अक्सर ‘मिथिला की बेगम अख्तर’ कहा जाता था। वह हर साल छठ पर्व पर एक नया गीत जारी करती थीं। उन्होंने इस साल स्वास्थ्य खराब होने के बावजूद भी उन्होंने छठ पर्व के लिए एक गीत जारी किया था। सिन्हा एक प्रशिक्षित शास्त्रीय गायिका थीं, जिन्होंने अपने कई गीतों में लोक संगीत का मिश्रण किया था और जिन्हें अक्सर 'मिथिला की बेगम अख्तर' कहा जाता था, वे एक छठ भक्त थीं, जो हर साल इस त्यौहार को मनाने के लिए एक गीत जारी करती थीं। इस साल भी तबीयत खराब होने के बावजूद उन्होंने छठ पर्व के लिए गीत गाया था।
शारदा सिन्हा ने दुनिया को कहा अलविदा।
साल 2017 से मल्टीपल मायलोमा से जूझ रही थीं शारदा सिन्हा
शारदा सिन्हा के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर उनके द्वारा गाया गया गीत ‘दुखवा मिटाईं छठी मईयां’ एक दिन पहले ही साझा किया गया था। यह गीत शायद उनकी मनःस्थिति को दर्शाता है, जब वह खराब स्वास्थ्य से जूझ रही थीं। एम्स के एक अधिकारी ने बताया, ‘शारदा सिन्हा का सेप्टीसीमिया के कारण ‘रिफ्रैक्टरी शॉक’ के चलते रात नौ बजकर 20 मिनट पर निधन हो गया।’ सिन्हा को पिछले महीने एम्स के कैंसर संस्थान, इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर हॉस्पिटल (आईआरसीएच) की गहन देखभाल इकाई में भर्ती कराया गया था। शारदा सिन्हा साल 2017 से मल्टीपल मायलोमा से जूझ रही थीं और कुछ महीने पहले ही उनके पति का निधन हो गया था। उनके परिवार में एक बेटा और एक बेटी हैं। शारदा सिन्हा ने भोजपुरी, मैथिली और मगही भाषाओं में लोकगीत गाए थे और उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था।
पीएम मोदी, राष्ट्रपति मुर्मू समेत कई दिग्गजों ने व्यक्त किया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रख्यात लोक गायिका शारदा सिन्हा के निधन पर शोक जताया और कहा कि उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। प्रधानमंत्री मोदी ने 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनके गाए मैथिली और भोजपुरी के लोकगीत पिछले कई दशकों से बेहद लोकप्रिय रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'आस्था के महापर्व छठ से जुड़े उनके सुमधुर गीतों की गूंज भी सदैव बनी रहेगी। उनका जाना संगीत जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति!'
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शारदा सिन्हा के निधन पर शोक जताया
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को प्रख्यात लोक गायिका शारदा सिन्हा के निधन पर शोक जताया और कहा कि उनका सुमधुर गायन अमर रहेगा। सिन्हा का मंगलवार रात यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह पिछले कुछ समय से एम्स में भर्ती थीं। मुर्मू ने ‘एक्स’ पर लिखा, 'बिहार कोकिला के रूप में प्रसिद्ध गायिका डॉक्टर शारदा सिन्हा जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। बिहारी लोक गीतों को मैथिली और भोजपुरी में अपनी मधुर आवाज़ देकर शारदा सिन्हा जी ने संगीत जगत में अपार लोकप्रियता पायी।' उन्होंने लिखा, 'आज छठ पूजा के दिन उनके मधुर गीत देश-विदेश में भक्ति का अलौकिक वातावरण बना रहे होंगे। उन्हें वर्ष 2018 में कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था। उनका सुमधुर गायन अमर रहेगा। मैं उनके परिवारजन एवं प्रशंसकों के प्रति गहन शोक-संवेदना व्यक्त करती हूं।'
पद्म भूषण शारदा सिन्हा।
‘बिहार कोकिला’ के नाम से मशहूर एवं सुपौल में जन्मीं सिन्हा छठ पूजा एवं विवाह जैसे अवसरों पर गाए जाने वाले लोकगीतों के कारण अपने गृह राज्य बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में मशहूर थीं। सिन्हा का एम्स अस्पताल में मल्टीपल मायलोमा (एक प्रकार का रक्त कैंसर) का उपचार किया जा रहा था और स्वास्थ्य जटिलताएं उत्पन्न होने के बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।
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