पाकिस्तान-ईरान की लड़ाई में कैसे फंसा चीन? जिनपिंग के लिए 'बड़ा भाई' बनना कितना मुश्किल, समझिए

Iran Pakistan Conflict: पाकिस्तान सुन्नी बहुल देश है तो वहीं ईरान में शिया बहुल है। ऐसे में दोनों देशों के बीच चीन की मध्यथता की राह आसान नहीं होगी। ऐसे में चीन ने दोनों देशों को संयम बरतने को कहा है।

Xi Jinoing

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग

Iran Pakistan Conflict: पाकिस्तान और ईरान के बीच शुरू हुए सैन्य तनाव ने चीन के सामने असमंजस की स्थिति खड़ी कर दी है। चीन के सामने एक तरफ उसका पुराना दोस्त पाकिस्तान है तो दूसरी तरफ ईरान, जिससे चीन काफी मात्रा में तेल आयात करता है। इतना ही नहीं ईरान ने पश्चिम एशिया में चीन को अपना प्रभाव बढ़ाने में भी काफी मदद की है।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग अगर पाकिस्तान का साथ देते हैं, तो ईरान के साथ उनके संबंध बिगड़ सकते हैं। इसका सीधा असर पश्चिम एशिया में चीन के प्रभुत्व को पड़ेगा, इसके साथ ही ऊर्जा क्षेत्र में भी उनको नुकसान उठाना पड़ेगा। वहीं, अगर वह ईरान के साथ जाते हैं तो पाकिस्तान रूठ सकता है जिससे भारत के खिलाफ उसकी रणनीति को धक्का लगेगा। ऐसे में चीन ने दोनों देशों के बीच रचनात्मक भूमिका निभाने की पेशकश की है। इसके साथ ही दोनों देशों से संयम बरतने और टकराव टालने को कहा है।

बड़े भाई की भूमिका में चीन!

चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने प्रेस वार्ता में कहा, क्या आप कह रहे हैं पाकिस्तान ने ईरान पर हमले किए? मैं इससे अवगत नहीं हूं। उनसे यह पूछा गया था कि क्या चीन, ईरान के अंदर पाकिस्तान के हवाई हमलों से वाकिफ है। माओ ने कहा, लेकिन हम इस पर गौर कर रहे हैं और चीन का हमेशा से मानना रहा है कि देशों के बीच संबंधों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के उद्देश्यों एवं सिद्धांतों के आधार पर संभाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी देशों की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान और सुरक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, ईरान और पाकिस्तान करीबी पड़ोसी और प्रभाव रखने वाले देश हैं। हमें उम्मीद है कि दोनों पक्ष संयम और शांति बरतेंगे तथा तनाव बढ़ाने से दूर रहेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो हम स्थिति को सामान्य करने में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।

आसान नहीं होगी मध्यस्थता की राह

प्रेसवार्ता के दौरान चीनी अधिकारी इस सवाल पर चुप्पी साध गए जब उनसे पूछा गया कि क्या चीन, सुन्नी चरमपंथी समूह जैश-अल-अदल के एक शिविर पर ईरान के हवाई हमले को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों एवं अंतराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन मानता है। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि दोनों पक्ष अपने विवादों का हल परामर्श और वार्ता के जरिये करेंगे। बता दें, पाकिस्तान सुन्नी बहुल देश है तो वहीं ईरान में शिया बहुल है। ऐसे में दोनों देशों के बीच चीन की मध्यथता की राह आसान नहीं होगी।

कहां से शुरू हुआ तनाव

दरअसल, मंगलवार को ईरान ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में सुन्नी बलूच चरमपंथी संगठन जैश-अल-अदल के दो ठिकानों को निशाना बनाकर ड्रोन व मिसाइल हमले किए। इस हमले में दो बच्चों की मौत हो गई, जबकि तीन लड़कियां घायल हो गईं। इसके बाद पाकिस्तान ने ईरान के राजदूत को निष्कासित कर दिया, साथ ही अपने दूत को भी वापस बुला लिया। हालांकि, पाकिस्तान का गुस्सा इससे भी शांत नहीं हुआ और गुरुवार तड़के पाकिस्तान लड़ाकू विमानों ने ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में, कथित आतंकी ठिकानों पर हमले किये, जिनमें नौ लोग मारे गए।

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प्रांजुल श्रीवास्तव author

मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें

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