आटे को तरस रहे पाकिस्तान को कैसे मिल जाते हैं करोड़ों डॉलर के एयरक्राफ्ट, सबमरीन और हथियार?
पाकिस्तान विनाशकारी बाढ़ और कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक उथल-पुथल से जूझ रहा है। इसके बावजूद राष्ट्रीय बजट रक्षा खर्च में 15.4% की बढ़ोतरी की गई जो 1804 अरब रुपये है।
कहां से मिलते हैं पाकिस्तान को हथियार
How Pakistan Afford Million Dollar Weapons: गंभीर आर्थिक संकट से जूझने के बावजूद पाकिस्तान बड़े पैमाने पर हथियारों, एयरक्राफ्ट का आयात कैसे कर लेता है? जिस देश में लोगों को आटे से लेकर रोजमर्रा की दूसरी चीजों के लिए जूझना पड़ा रहा है, उसी पाकिस्तान में हथियारों का जमावड़ा कैसे बढ़ता जा रहा है। 124.5 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज पाकिस्तान के सामने खतरा बनकर खड़ा है। यह उसके सकल घरेलू उत्पाद के 42% के बराबर है। देश लंबे समय से वित्तीय मुश्किलों का सामना कर रहा है। लेकिन हथियारों की होड़ में वह भारत से टक्कर लेने से नहीं चूकता। आखिरी कहां से मिलते हैं उसे इतने हथियार?
सदाबहार दोस्त चीन की मेहरबानी
इसका जवाब है उसका सदाबहार दोस्त चीन। दरअसल, पाकिस्तान आयात और चीन के साथ सहयोग के जरिए अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ा रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (एसआईपीआरआई) की कई अन्य रिपोर्टों से संकेत मिलता है कि 2019 और 2023 के बीच चीन ने पाकिस्तान के 82% हथियारों की आपूर्ति की। यह आंकड़ा दोनों देशों के बीच एक गहरे सैन्य गठबंधन को दर्शाता है।
चीन करता है लड़ाकू जेट, युद्धपोत, मिसाइल की सप्लाई
विश्लेषकों के मुताबिक, पाकिस्तान के सैन्य आधुनिकीकरण में चीन का अहम योगदान है जो उसे लड़ाकू जेट, युद्धपोत, मिसाइल प्रौद्योगिकी और ड्रोन की सप्लाई करता है। यह क्षेत्र में क्वाड गठबंधन और पश्चिमी शक्तियों के असर को संतुलित करने के लिए दोनों देशों का रणनीतिक कदम है। राष्ट्रपति शी जिनपिंग की 2015 की पाकिस्तान यात्रा के दौरान आठ हैंगर श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण करने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता किया गया था। इससे पाकिस्तान की नौसैनिक क्षमताओं में खासा इजाफा हुआ। पाकिस्तानी नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल नवीद अशरफ ने पाकिस्तान-चीन दोस्ती को मजबूत करने में पनडुब्बियों की भूमिका पर जोर दिया।
बाढ़-कोरोना ने हालत बिगाड़ी, लेकिन सैन्य खर्च बढ़ा
हालांकि, दोनों देशों के बीच सैन्य समझौते के बीच पाकिस्तान विनाशकारी बाढ़ और कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक उथल-पुथल से जूझ रहा है। टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल की बाढ़ के कारण सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि का अनुमान 5% से गिरकर सीछे 0.29% पर पहुंच गया। इतनी गिरावट के बावजूद राष्ट्रीय बजट रक्षा खर्च में 15.4% की बढ़ोतरी की गई जो कुल 1804 अरब रुपये है। इसे लेकर पाकिस्तान की विभिन्न हलकों से आलोचना हो रही है।
भोजन और दवा जैसी जरूरी चीजों की गंभीर कमी और आर्थिक मुश्किलों ने जनता में असंतोष पैदा कर दिया है। कई पर्यवेक्षकों का मानना है कि पाकिस्तान की सेना देश में महत्वपूर्ण प्रभाव रखती है। राष्ट्रीय बजट का एक बड़ा हिस्सा रक्षा व्यय में आवंटित किया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने नागरिक जरूरतों की कीमत पर सेना को हथियार मुहैया कराने पर चिंता जताई है।
यूक्रेन को गुप्त रूप से बेचे हथियार
हाल की रिपोर्टें सामने आई हैं जिसमें यूक्रेन संघर्ष में आधिकारिक तौर पर तटस्थता बनाए रखने के बावजूद पाकिस्तान ने यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति की। गुप्त अभियानों में पाकिस्तान की भागीदारी की भी खबरें सामने आईं। इन रिपोर्ट्स से पता चलता है कि अमेरिकी दबाव में पाकिस्तान गुप्त हथियार सौदों में शामिल हो गया। दुनिया के सामने तटस्थता दिखाने के बावजूद उसने गुप्ता रूप से हथियारों की बिक्रीकर खूब पैसा कमाया।
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अमित कुमार मंडल author
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