जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में कितना अहम है अनुच्छेद 370 का मुद्दा? समझिए सारा गणित

Article 370: जम्मू कश्मीर में एक, दो नहीं.. बल्कि 10 साल बाद विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। इस राज्य में पिछला चुनाव साल 2014 में हुआ था, जब यहां अनुच्छेद 370 लागू था। अनुच्छेद 370 और 35ए का मुद्दा इस बार के विधानसभा चुनाव में कितना असरदार रहेगा? आपको सारा गणित समझाते हैं।

जम्मू-कश्मीर चुनाव में अनुच्छेद 370 का मुद्दा।

Jammu Kashmir Assembly Elections: जम्मू कश्मीर में किसकी सरकार बनेगी? इस सवाल का जवाब 4 अक्टूबर को मिल जाएगा। एक ओर फारूक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के बीच गठबंधन हो गया है। वहीं दूसरी तरफ पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती कांग्रेस को कोस रही हैं। इन सबके अलावा भारतीय जनता पार्टी किस रणनीति पर विधानसभा चुनाव लड़ेगी, ये देखना अहम होगा।

अनुच्छेद 370 के बाद पहला विधानसभा चुनाव

जम्मू कश्मीर में साल 2014 में पिछला विधानसभा चुनाव हुआ था। उस वक्त 87 विधानसभा सीटों वाले इस राज्य में मुफ्ती की पार्टी जेकेपीडीपी ने सबसे अधित 28 सीटों पर जीत हासिल की थी। हालांकि वो बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई थी। इसके अलावा 25 सीटें जीतकर भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस को 15 सीट और कांग्रेस को 12 सीट से संतोष करना पड़ा था। जबकि अन्य ने 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके बाद अगस्त 2019 में जब केंद्र की मोदी सरकार ने दोबारा जीत हासिल की तो, अनुच्छेद 370 और 35ए को समाप्त कर दिया। 370 हटने के बाद अब पहली बार सूबे में चुनाव होने जा रहे हैं।

पिछले विधानसभा चुनाव के परिणाम

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