CM योगी के लिए इस वक्त क्या है सबसे जरूरी? उपचुनाव तय कर सकते हैं, यूपी में खेला होगा या नहीं; समझें गणित

Yogi Plan for UP Politics: यूपी की राजनीति किस ओर करवट लेने वाली है, ये समझना फिलहाल थोड़ा मुश्किल हो गया है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। सीएम योगी के लिए इस वक्त उपचुनाव सबसे अहम है। माना जा रहा है कि इसी के बाद यूपी में खेला हो सकता है।

UP Politics CM Yogi Keshav Prasad Maurya

मुख्यमंत्री योगी के लिए कितना अहम है यूपी की 10 सीटों पर होने वाला उपचुनाव?

BJP Internal Clash in Uttar Pradesh: क्या उत्तर प्रदेश की सियासत में कोई बड़ा खेला होने वाला है? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं, क्योंकि बीते लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने जो निराशाजनक प्रदर्शन सूबे में किया, उसके बाद यूपी बीजेपी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी में अंदरुनी उठापटक तेज होती नजर आ रही है। ऐसे में राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए इस वक्त सबसे जरूरी क्या है। आपको इस लेख में समझाते हैं कि आगामी उपचुनाव के नतीजों का सूबे की सियासत पर कितना असर पड़ सकता है।

यूपी के सीएम योगी के लिए कितना अहम उपचुनाव?

10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां एक ओर ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या यूपी बीजेपी में अंदरूनी कलह चल रही है, तो वहीं दूसरी ओर CM योगी आगामी उपचुनाव के लिए रणनीति तैयार करने में जुटे हुए हैं। जिससे ये समझा जा सकता है कि इस वक्त उनके लिए सबसे जरूरी क्या है? योगी आदित्यनाथ अपने मंत्रियों के साथ बैठक में आगामी विधानसभा उपचुनाव को लेकर लगातार रणनीतियों पर चर्चा कर रहे हैं।

सूबे की इन 10 विधानसभा सीटों पर होने है उपचुनाव

उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों... कटेहरी (अंबेडकरनगर), करहल (मैनपुरी), मिल्कीपुर (अयोध्या), मीरापुर (मुजफ्फरनगर), गाजियाबाद, मझवां (मिर्जापुर), सीसामऊ (कानपुर नगर), खैर (अलीगढ़), फूलपुर (प्रयागराज) और कुंदरकी (मुरादाबाद) पर उपचुनाव होने हैं। जिसके लिए योगी आदित्यनाथ ने अपने मंत्रियों के साथ खास प्लान तैयार किया है।

उपचुनाव को लेकर सीएम योगी ने बनाया खास प्लान

यूपी की इन 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार बैठक कर रहे हैं, उन्होंने एक दिन पहले भी अपने आवास पर कई मंत्रियों के साथ बैठक की। चुनाव में सीटवार मंत्रियों को जिम्मेदारी दी गई है। सभी मंत्रियों को प्रभार वाले क्षेत्र में हफ्ते में दो दिन रात्रि विश्राम करना होगा। सीएम योगी ने सूबे की सभी 10 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है, इसीलिए वो विधानसभा उपचुनाव पर भी चर्चा कर रहे हैं। मुख्यमंत्री की तरफ से सभी प्रभारी मंत्रियों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि हर एक ग्रुप को कार्यकर्ताओं के साथ बात करनी है और सबसे ज्यादा फोकस बूथ को मजबूत करने में करना है। हर सीट पर तीन-तीन मंत्रियों के अलावा संगठन से एक-एक पदाधिकारी की तैनाती की गई है।

किस सीट पर किस वजह से हो रहे हैं उपचुनाव?

लोकसभा चुनाव में नौ विधायकों के सांसद बनने के बाद रिक्त हुई कटेहरी, मिल्कीपुर, करहल, फूलपुर, मझवां, गाजियाबाद, मीरापुर, कुंदरकी और खैर सीटों के अलावा कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है। इनमें से करहल, कुंदरकी, कटेहरी, मिल्कीपुर और सीसामऊ सीट पर सपा काबिज रही है। जबकि, फूलपुर, खैर और गाजियाबाद सीट भाजपा के पास थी। मीरापुर की सीट पर भाजपा की सहयोगी दल रालोद तथा मझवां की सीट पर निषाद पार्टी को जीत मिली थी।

क्या उपचुनाव के बाद यूपी में होने वाला है खेला?

हाल ही में हुई यूपी भाजपा कार्यकारिणी की बैठक के बाद पार्टी में हलचलें बढ़ गई हैं। बैठक में पार्टी के कमजोर प्रदर्शन की समीक्षा हुई थी और सीएम योगी ने इसमें खरी-खरी बात सामने रखी थी। इस बीच यूपी के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बीते दिनों को भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाकात कर कयासों को बढ़ा दिया था। कार्यकारिणी की बैठक में नड्डा भी मौजूद थे, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में चुनावी हार के लिए अति आत्मविश्वास को जिम्मेदार ठहराया था और कहा था कि पार्टी विपक्षी गठबंधन इंडिया के प्रचार अभियान का प्रभावी ढंग से मुकाबला नहीं कर सकी। इसी के बाद विवाद गरमाया हुआ है, माना जा रहा है कि यदि उपचुनाव में भी भाजपा को हार झेलनी पड़ी तो सूबे में बड़ा उलटफेर हो सकते हैं।

समझिए 10 सीटों का सारा समीकरण, कहां क्यों चुनाव?

1) समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के कन्नौज से लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद करहल (मैनपुरी) विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया।
2) कटेहरी (अंबेडकरनगर) सीट सपा के लालजी वर्मा के अंबेडकर नगर लोकसभा सीट से चुने जाने के बाद खाली हुई है।
3) सपा नेता अवधेश प्रसाद के अयोध्या से लोकसभा के लिए चुने जाने के कारण उन्हें मिल्कीपुर (अयोध्या) सीट से इस्तीफा देना पड़ा।
4) सपा नेता जिया उर रहमान बर्क की मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा सीट उनके संभल से लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद खाली हुई है।
5) राष्ट्रीय लोक दल के चंदन चौहान ने बिजनौर से लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद मुजफ्फरनगर की मीरापुर विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया।
6) भाजपा के अतुल गर्ग ने गाजियाबाद से लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद गाजियाबाद विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया।
7) भाजपा के विनोद कुमार बिंद ने भदोही से लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद मिर्जापुर की मझवां विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया।
8) भाजपा के अनूप सिंह उर्फ अनूप प्रधान बाल्मीकि ने हाथरस लोकसभा सीट से चुने जाने के बाद अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया है।
9) भाजपा के प्रवीण पटेल ने फूलपुर लोकसभा सीट से लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद प्रयागराज की फूलपुर विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया है।
10) समाजवादी पार्टी के इरफान सोलंकी की कानपुर नगर की सीसामऊ विधानसभा सीट, एमपी/एमएलए अदालत द्वारा सात साल की कैद के मद्देनजर उन्हें अयोग्य ठहराए जाने के बाद रिक्त घोषित कर दी गई है।

किस पार्टी के खाते में कितनी विधानसभा सीटें थीं?

गणित से समझा जा सकता है कि अब तक इन 10 में से 5 विधानसभा सीटें समाजवादी पार्टी के पास थी, तीन सीट भाजपा के खाते में थी, एक-एक पर निषाद पार्टी और आरएलडी का कब्जा था। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा ने यूपी में उम्मीद से बहुत खराब प्रदर्शन किया था। पार्टी ने सूबे की 80 में से सिर्फ 33 सीटों पर ही जीत हासिल कर पाई, जो 2019 के मुकाबले 29 सीटों की गिरावट है। विपक्षी गठबंधन ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (‘इंडिया’) ने बढ़त हासिल की और सपा ने 37 सीटें जीतीं, जो 2019 के मुकाबले 32 सीटों की बढ़त है। कांग्रेस पार्टी ने छह लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की। यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी की टेंशन बढ़ी हुई है।
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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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