जिस बसपा की UP में रहती थी धाक, PM की रेस में रहती थी मायवाती, वो BSP आखिर क्यों है खत्म होने की कगार पर

कभी बसपा की उत्तर प्रदेश में सत्ता में थी, महत्वपूर्ण विपक्ष थी। इसके अलावा पंजाब, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान समेत कई राज्यों में इसका अपना जनाधार था, जो अब खोता दिख रहा है। मायावती का करिश्मा अब खत्म होते दिख रहा है।

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बसपा प्रमुख मायावती (फोटो- BSP)

जिस बहुजन समाजवादी पार्टी की उत्तर प्रदेश में धाक थी, पंजाब, दिल्ली, बिहार, मध्य प्रदेश, समेत लगभग सभी राज्यों में एक कोर वोटर था, जिस मायावती के समय पर यह पार्टी अपनी लोकप्रियता के चरम पर पहुंची थी, उसी मायावती के रहते यह पार्टी अब खत्म होती दिख रही है। कभी मायावती का नाम पीएम पद के लिए उछला करता था, आज उनकी पार्टी का एक भी सांसद लोकसभा में नहीं है। पिछले कई चुनावों में बसपा का प्रदर्शन लगातार नीचे गिरते रहा है। जिस यूपी में बसपा कई बार सत्ता में रही, वहां 2022 के विधानसभा चुनाव में एक सीट जीती थी, 2024 के उपचुनाव में एक भी नहीं। कई जगहों पर तो लड़ाई से ही बाहर रही। इन सालों में ऐसा क्या हुआ जो बसपा को लेकर अब खत्म होने की भविष्यवाणी का जा रही है।

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यूपी उपचुनाव में हालत खराब

उत्तर प्रदेश में नौ सीटों पर हुए उपचुनाव के परिणाम सबसे ज्यादा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को दर्द दे गए। लोकसभा चुनाव में जीरो पर आउट हुई पार्टी को उपचुनाव में भी एक भी सीट नसीब नहीं हो सकी। बल्कि उनका बचा कॉडर वोट छिटक कर दूसरे पाले में चला गया। नतीजे बता रहे हैं कि चंद्रशेखर की आजाद समाज पार्टी बसपा के समक्ष बड़ी मुसीबत खड़ी कर रही है। इस चुनाव में बसपा छोटे दलों से मात खाती दिखाई दी है। ऐसे में उसके भविष्य पर सियासी संकट छाया हुआ है। उपचुनाव में चंद्रशेखर आजाद की पार्टी ने आठ सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतारे थे। मुजफ्फरनगर की मीरापुर में आजाद समाज पार्टी को 12.21 प्रतिशत (22,661) से कुछ अधिक वोट मिले। जबकि इस सीट पर बसपा महज 1.75 फीसद (3248) मत पाकर पांचवें नंबर थी। इनसे ज्यादा 10.17 फीसद (18869) वोट ओवैसी की पार्टी को मिले।

उत्तर प्रदेश विधानसभा में बसपा की साल दर साल स्थिति

विधानसभा चुनावकितनी सीटों पर लड़ीकितनी सीटों पर जीती
199316467
199629667
200240198
2007403206
201240380
201740319
20224031

BSP आखिर क्यों है खत्म होने की कगार पर

  • बसपा सही मायने में किसी भी चुनाव को सीरियस लेती नहीं दिख रही है।
  • बसपा प्रमुख मायावती का जनता के बीच अब संपर्क न के बराबर दिखता है।
  • बीजेपी के हिन्दुत्व ने बसपा के कोर वोटर दलित को तोड़ लिया है, जो बचे हैं वो अब चंद्रशेखर आजाद में भविष्य देख रहे हैं।
  • बसपा पर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप भी लगता है, जिससे उसे काफी नुकसान हुआ है।
  • बसपा प्रमुख मायावती अपने उत्तराधिकारी के फैसले पर डगमगाते रही हैं, कभी भतीजे आकाश को आगे करती हैं तो कभी उसे पीछे खींच लेती हैं।
  • मायावती के कई खास और प्रभावशाली नेता पार्टी छोड़कर जा चुके हैं, उसका यूपी में काफी असर पड़ा है।

मायावती ने इवीएम पर फोड़ा ठिकरा

बसपा मुखिया मायावती ने नतीजे आने के बाद अपनी प्रतिक्रिया में चुनाव में धांधली का आरोप लगाया है। साथ ही उन्होंने कहा कि जब तक चुनाव आयोग इसे रोकने के लिए सख्त कदम नहीं उठाता है तब तक बसपा देश में कोई भी उपचुनाव नहीं लड़ेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि लोकसभा और राज्यों में विधानसभा चुनाव पूरी दमदारी से पार्टी लड़ेगी।

क्यों खराब रहा प्रदर्शन

बसपा का चुनाव दर चुनाव परफॉर्मेंस खराब होता जा रहा है। लोकसभा के बाद हुए उपचुनाव में बसपा का सबसे खराब प्रदर्शन रहा है। उसे कई सीट पर छोटे दलों से भी कम वोट मिले हैं। उन्होंने बताया कि बसपा के किसी बड़े नेता ने नौ सीटों के उपचुनाव को गंभीरता से नहीं लिया। किसी ने यहां पर प्रचार करने की जहमत भी नहीं उठाई। महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव प्रचार देखने के चक्कर में यूपी की जमीन चली गई। उन्होंने कहा कि लोकसभा के बाद उपचुनाव में भी बसपा अपना खाता नहीं खोल सकी। इतना ही नहीं उपचुनाव में बसपा पश्चिमी यूपी सहित छह सीटों पर सीट पर जमानत तक नहीं बचा सकी। ऐसे में उसके सियासी भविष्य पर खतरा है।

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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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