बिहार में बाढ़ के लिए नेपाल कैसे है जिम्मेदार? अचानक से आता है पानी और मच जाती है 28 जिलों में तबाही
उत्तरी बिहार में नेपाल से आने वाली नदियां हर साल तबाही मचाती है। नेपाल में जैसे ही पानी ज्यादा होता है वो सीधा बिहार में चला आता है, जिससे बिहार में बाढ़ आ जाता है।
बिहार में हर साल आता है तबाही मचाने वाला बाढ़
- नेपाल से ही आती है बिहार का शोक कोसी
- कोसी नदी के कारण हर साल बिहार में बाढ़
- उत्तरी बिहार के 28 जिले बाढ़ प्रभावित
बिहार में उत्तरी हिस्से में हर साल बाढ़ आता है। ये बाढ़ ऐसी तबाही मचाता है कि दर्जनभर से ज्यादा जिले बर्बाद हो जाते हैं। हजारों लोग बेघर हो जाते हैं और उनके आशियाने उजड़ जाते हैं। सवाल ये है कि बिहार में हर साल बाढ़ क्यों आता है, क्यों बिहार में बाढ़ आते ही नेपाल का जिक्र होने लगता है, बिहार में बाढ़ के लिए नेपाल कितना जिम्मेदार है? जवाब है- उत्तरी बिहार में बाढ़ आने के लिए नेपाल ही जिम्मेदार है। सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि बंगाल और झारखंड के कुछ हिस्से में भी बाढ़, नेपाल की वजह से ही आता है।
उत्तरी बिहार के 28 जिलों में आता है बाढ़
उत्तरी बिहार में कुल आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा बाढ़ संभावित क्षेत्र में निवास करता है। बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, उत्तरी बिहार के कुल क्षेत्रफल का 73.63 प्रतिशत बाढ़ संभावित है। कुल 38 में से 28 जिलों में हर साल मानसून के सीजन में बाढ़ आती है जिनमें 15 जिले गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं।
कोसी लाती है सबसे ज्यादा पानी
दरअसल बिहार की बाढ़ में सबसे बड़ा योगदान कोसी नदी का है। कोसी नदी नेपाल में हिमालय से निकलती है। इसके बाद यह नदी नेपाल का बहुत बड़े हिस्से में बहती हुई बिहार से भारत में प्रवेश करती है। नेपाल के हिस्से में कोसी में पानी बढ़ने पर पहाड़ी देश भारत की ओर पानी छोड़ देता है।बिहार में कोसी नदी में सात और सहायक नदियां मिलकर इसमें पानी के स्तर को कई गुना बढ़ा देती हैं। इसी वजह से राज्य में हर साल बाढ़ की वजह से भीषण तबाही मचती है।
नेपाल से निकलती है कई नदियां
इसके अलावा नेपाल से उद्गम वाली कमला बलान, बागमती, गंडक, बूढ़ी गंडक समेत कई और नदियां बिहार में आती हैं। ये नदियां भी हर साल बारिश के दिनों में काफी मात्रा में पानी लेकर बिहार आती है। जिसका पानी बिहार के कई जिलों में तबाही मचाती है। बिहार के कई जिले नेपाल से सटे हुए हैं। इनमें सीतामढ़ी, सुपौल, अररिया, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, मधुबनी और किशनगंज शामिल हैं। इन जिलों में हर साल बाढ़ आता और लोग बेघर होते हैं।
बाढ़ को कैसे रोक सकता है नेपाल
चूंकि पहाड़ी देश होने की वजह से नेपाल भारतीय राज्यों से अधिक ऊंचाई पर स्थित है। इसकी वजह से यह सारा पानी भारत की ओर आकर तबाही मचाता है। जानकारों की मानें तो इस पानी को रोकने के लिए नेपाल में कोसी नदी पर डैम बनना चाहिए। इसको लेकर भारत नेपाल से कई बार मांग कर चुका है, लेकिन नेपाल सरकार की तरफ से सकारात्मक उत्तर न मिलने की वजह से यह नहीं हो सका है। नेपाल सरकार कोसी नदी पर बनने वाले इस डैम को लेकर पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को लेकर चिंतित है।
बंगाल और झारखंड में भी बाढ़
नेपाल से आने वाला पानी, गंगा की सहायक नदियों के सहारे गंगा में मिल जाता है। गंगा बिहार से निकल झारखंड होते हुए, पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है। जहां हर साल मानसून के बाद फरक्का बैराज पर गंगा और उसकी अन्य सहायक नदियों के साथ बहकर आई गाद इकट्ठा हो जाती है। इसकी वजह से इन इलाकों में बाढ़ आ जाता है।
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