Israel Hamas War : आयरन डोम, सर्विलांस, इंटेलिजेंस सब फेल, ऐसे गच्चा खा गया इजरायल!
Israel Hamas War : इजरायल और हमास के बीच संघर्ष नया नहीं है लेकिन वर्षों से हमास इजरायल को निशाना बनाता रहा है। उसकी तरफ से इजरायल के शहरों को निशाना बनाकर रॉकेट हमले किए जाते रहे हैं। इन रॉकेट हमलों को पूरी तरह विफल बनाने के लिए इजरायल ने 2011 में आयरन डोम नाम से अपना एयर डिफेंस सिस्टम बनाया। इसे दुनिया की बेहतरीन वायु सुरक्षा प्रणालियों में से एक माना गया।
हमास के ठिकानों पर इजरायल की बमबारी।
Israel Hamas War : इजरायल पर आतंकवादी संगठन हमास के हमलों ने दुनिया को हिलाकर रख दिया। ऐसा भीषण एवं क्रूर हमला किसी ने उम्मीद नहीं की थी। इजरायल और हमास की इस लड़ाई में अब तक मौतों का आंकड़ा 1600 पार कर गया है। फिलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्री ने दावा किया है कि इजरायल की बमबारी में 143 बच्चों, 105 महिलाओं सहित 704 फिलिस्तीनियों की जान गई है। जबकि गाजा में 4,000 लोग घायल हैं। इजरायल के स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि हमास के हमलों में 900 लोगों की मौत हो चुकी है और 2,600 लोग घायल हैं।
इजरायल और हमास के बीच संघर्ष नया नहीं है लेकिन वर्षों से हमास इजरायल को निशाना बनाता रहा है। उसकी तरफ से इजरायल के शहरों को निशाना बनाकर रॉकेट हमले किए जाते रहे हैं। इन रॉकेट हमलों को पूरी तरह विफल बनाने के लिए इजरायल ने 2011 में आयरन डोम नाम से अपना एयर डिफेंस सिस्टम बनाया। इसे दुनिया की बेहतरीन वायु सुरक्षा प्रणालियों में से एक माना गया। इस डिफेंस सिस्टम के बनने के बाद इजरायल ने कहा था कि उसे आयरन डोम के रूप में एक अभेद दीवार मिल गई है जिसे भेद पाना दुश्मनों के लिए असंभव सा है।
पूरी तरह रॉकेटों को नाकाम नहीं कर पाया
यह बात कुछ हद तक सही भी साबित हुई। बाद के वर्षों में हमास की ओर से किए जाने वाले रॉकेटों को आयरन डोम आसमान में बर्बाद करता रहा। लेकिन समय बीतने के साथ ही इसके इंटरसेप्शन में कमी देखी गई। यानी कि यह शत-प्रतिशत रॉकेट हमलों को नाकाम नहीं कर पाया। जानकार बताते हैं कि बीते मई में हमास की ओर से किए गए रॉकेट हमलों को इंटरसेप्ट करने और उन्हें मार गिराने का औसत 64 प्रतिशत के करीब था। हालांकि, कोई भी वायु रक्षा प्रणाली शत-प्रतिशत हमलों को विफल नहीं कर पाती।
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आयरन डोम के हार्ड वेयर में बदलाव नहीं हुआ?
रिपोर्टों में आयरन डोम की असफलता के बारे में कहा जा रहा है कि 2011 में इसके बनने के बाद इसके सॉफ्टवेयर को कई बार उन्नत तो किया गया लेकिन हार्डवेयर में कोई बदलाव नहीं हुआ। इसकी वजह से आयरन डोम की सटीकता एवं क्षमता प्रभावित हुई। दूसरा, हमास की ओर से 20 मिनट करीब 3000 से लेकर 5000 रॉकेट दागने की बात कही जा रही है। इतने कम समय में इतने सारे रॉकेट हमलों को पूरी तरह से नाकाम करना किसी भी वायु रक्षा प्रणाली के लिए एक बड़ी चुनौती है। रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि इजरायल के साथ इतने वर्षों के संघर्ष एवं लड़ाई का अनुभव का इस्तेमाल हमास ने इस हमले में किया।
इस तरह आयरन डोम गच्चा खा गया
अपने रॉकेटों को आयरन डोम की पकड़ से बचाने के लिए उसने कम दूरी से हमले किए। कम दूरी से हमला करने का मकसद आयरन डोम के इंटरसेप्शन से अपने रॉकेटों को बचाना था। कहा जाता है कि एक निश्चित दूरी से हुए आसमानी हमलों को आयरन डोम पकड़ लेता है लेकिन हमास ने इस बार रॉकेटों की दूरी का फासला कम कर दिया। उसने इजरायल सीमा के बेहद करीब से रॉकेट लॉन्च किए। इससे आयरन डोम गच्चा खा गया।
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इजरायल की सर्विलांस में सुस्ती नजर आई
हमास ने इजरायल पर हमले का जो समय चुना वह भी खास है। ठीक पचास साल पहले छह अक्टूबर 1973 को अरब देशों ने इजरायल पर हमला किया था। इस युद्ध को योम किपुर युद्ध के नाम से जाना जाता है। इस युद्ध में इजरायल ने अकेले अरब देशों को मात दे दी। इसकी कसक अरब देशों को आज भी है। इजरायल में इस युद्ध की जीत के जश्न का माहौल था। ऐसा लगता है कि सामान्य नागरिक से लेकर पुलिस, प्रशासन, सेना, सुरक्षा सभी छुट्टी की मानसिकता में थे। खासकर जिन लोगों पर देश की सुरक्षा का दारोमदार है उनकी तरफ से सुस्ती एवं लापरवाही दिखती है।
मोसाद का लोहा दुनिया मानती है
इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसी CIA के बाद दूसरी सबसे बड़ी खुफिया एवं सीक्रेट एजेंसी माना जाता है। अपने गठन के बाद से मोसाद ने जिन मुश्किल अभियानों को अंजाम दिया है और जितनी चतुराई से अपने दुश्मनों को ठिकाने लगाया है, उसका लोहा पूरा दुनिया मानती है। इंटेलिजेंस जुटाने एवं आतंकवादी संगठनों की गतिविधियों को ट्रैक करने का उसका रिकॉर्ड शानदार रहा है। यहां तक कि सीआईए सहित विश्व की टॉप खुफिया एजेंसियां उसके इनपुट पर अपनी रणनीति बनाती रही हैं लेकिन दुनिया की इंटेलिजेंस एजेंसियों को राह दिखाने वाला मोसाद खुद अपने घर में गच्चा खा गया। इतना बड़ा 'धोखा' कि उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा है। लोग उस पर सवाल कर रहे हैं।
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हमास ने गाजा पट्टी में नकली इजरायली बस्ती बनाई
हमले की अपनी तैयारी को छिपाने के लिए हमास ने इस बार सुनियोजित तरीके से बड़ी प्लानिंग की। मोसाद से अपनी गतिविधियों को छिपाए रखना आसान काम नहीं था लेकिन इस बार उसने हमले की अपनी एक दीर्घकालिक रणनीति बनाई और उस पर आगे बढ़ा। रिपोर्टों की मानें तो इस बार उसने गाजा पट्टी में एक नकली इजरायली बस्ती बनाई। वहां उसने अपने लड़ाकों को सैन्य लैंडिंग और हमला करने की ट्रेनिंग दी। हमास अपने लड़ाकों को प्रशिक्षित करने के साथ ही गाजा पट्टी की अर्थव्यवस्था को सुधारने पर ध्यान केंद्रित करने का दिखावा करता रहा।
आसन एवं योगाभ्यास समझकर अनदेखी हुई
कहा जा रहा है कि इससे इजरायल की खुफिया एजेंसियां धोखा खा गईं। हमास अपने लड़ाकों को सादे कपड़ों में ट्रेनिंग देता रहा। जबकि इजरायल की सुरक्षा एजेंसियां और सेना उसे आसन एवं योगाभ्यास समझकर अनदेखी करती रहीं। कुल मिलाकर हमास के हमले को इजरायल की सुरक्षा नाकामी माना जाएगा। क्योंकि सरकार, पुलिस, प्रशासन एवं खुफिया एजेंसियों को इस हमले की भनक तक नहीं लग पाई।
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आलोक कुमार राव author
करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने...और देखें
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