जेपी-इंदिरा को PM बनाने की चाहत रखने वाले लाल बहादुर शास्त्री ऐसे बने थे प्रधानमंत्री, एक 'खबर' और मोरारजी देसाई हो गए थे OUT

How Lal Bahadur Shastri Became PM: इस खबर से ऐसा लगा कि मोरारजी देसाई बड़े महत्वाकांक्षी हैं। मोरारजी देसाई के खेमे के सांसद, लाल बहादुर शास्त्री के साथ चले गए।

how lal bahadur shastri became prime minister

लाल बहादुर शास्त्री कैसे बने पीएम

How Lal Bahadur Shastri Became PM: देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का जब निधन हुआ और उनके उत्तराधिकारी पर बात आई तो मोरारजी देसाई का नाम सबसे ऊपर था। हालांकि बाजी गुदड़ी के लाल कहे जाने वाले लाल बहादुर शास्त्री मार ले गए। जबकि लाल बहादुर शास्त्री शुरुआत में किसी और को पीएम बनाना चाहते थे, लेकिन एक 'खबर' ने ऐसा खेल खेला कि मोरारजी देसाई के पास से पीएम पद की कुर्सी खिसक कर सीधे लाल बहादुर शास्त्री के पास चली आई।

'मोरारजी देसाई खेमे के पास थी सांसदों की लिस्ट'

इस दिलचस्प वाक्ये को मशहूर पत्रकार कुलदीप नैयर ने अपनी आत्मकथा Beyond The Lines में जिक्र किया है। कुलदीप नैयर लिखते हैं कि जब नेहरू का निधन हुआ और उनके उत्तराधिकारी के चयन की बात चली तो कई दावेदार उभरे। नेहरू की अंत्येष्टि के दिन मोरारजी देसाई के बंगले पर खूब गहमागहमी थी। नैयर तब यू.एन.आई में काम करते थे। मोरारजी के दावे को लेकर नैयर ने उनसे मुलाकात करने की कोशिश की थी। नैयर लिखते हैं कि तब तो मुलाकात नहीं हुई लेकिन मोरारजी देसाई के बेटे कांति भाई और कांग्रेस नेता तारकेश्वरी सिन्हा के हाथों में सांसदों की एक लिस्ट पर उनकी नजर गई, जिसमें से कुछ पर निशान लगे थे।

शास्त्री जी की चाहत- जेपी या इंदिरा बने पीएम

मोरारजी के पास कांग्रेस के कई बड़े नेताओं और सांसदों का सपोर्ट हासिल था, उन्हें भरोसा था कि नेता दल के चुनाव में उन्हें आसानी से जीत मिल जाएगी। दूसरी ओर लाल बहादुर शास्त्री सर्वसम्मति से पीएम पद के नाम पर फैसला चाह रहे थे। कांग्रेस अध्यक्ष के कामराज की भी इच्छा कुछ ऐसी ही थी। नैयर लिखते हैं कि जब वो लाल बहादुर शास्त्री से मिले तो उन्होंने पीएम पद के लिए जयप्रकाश नारायण और इंदिरा गांधी का नाम सुझाया था। उन्होंने नैयर से कहा कि अगर चुनाव होता है तो वो मोरारजी से मुकाबला कर सकते हैं, इंदिरा से नहीं।"

नैयर से हो गई 'गलती'

लाल बहादुर शास्त्री ने यह संदेश मोरारजी देसाई को नैयर के हाथों ही भिजवाया था। जिसे मोरारजी देसाई ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि जेपी एक "भ्रमित व्यक्ति" हैं और इंदिरा "छोटी सी छोकरी"। उधर कांग्रेस अध्यक्ष के कामराज सर्वसम्मति की कोशिश में लगे थे, मोरारजी के नाम पर वो भी सहमत नहीं थे। इसी बीच कुलदीप नैयर ने वो खबर जारी कर दी, जिससे शास्त्री जी बैठे-बिठाए जीत गए। नैयर की खबर कुछ इस तरह थी- पीएम पद के लिए सबसे पहले मोरारजी देसाई ने अपनी दावेदारी कर दी है। वहीं लाल बहादुर शास्त्री को एक और उम्मीदवार माना जा रहा है, हालांकि वो खुद इसपर कुछ नहीं कह रहे हैं।

'खबर का हुआ बड़ा असर'

नैयर लिखते हैं कि तब उन्हें अंदाजा नहीं था कि इस खबर का क्या असर होगा, लेकिन इसी खबर ने मोरारजी देसाई का बड़ा नुकसान कर दिया। इस खबर से ऐसा लगा कि मोरारजी देसाई बड़े महत्वाकांक्षी हैं। मोरारजी देसाई के सांसद, लाल बहादुर शास्त्री के साथ चले गए और शास्त्री जी इस तरह से देश के पीएम बन गए। नैयर बताते हैं कि उनका मकसद देसाई को नुकसान पहुंचाना नहीं था, लेकिन जब शास्त्री जी पीएम बने तो सबके सामने के कामराज ने उन्हें गले लगा लिया था, जिससे मोराजी देसाई को लगा कि नैयर ने शास्त्री जी के सपोर्ट में खबर चलाई थी। नैयर ने इसे लेकर मोरारजी के सामने सफाई भी थी।

लाल बहादुर शास्त्री का पलड़ा क्यों था भारी

दरअसल जब पंडित नेहरू की तबीयत खराब रहने लगी थी, तब लाल बहादुर शास्त्री को सरकार की कई जिम्मेदारियां पंडित नेहरू ने दे रखी थी। लाल बहादुर शास्त्री कांग्रेस के संगठन से लेकर नेहरू सरकार में रेल, परिवहन एवं संचार, वाणिज्य एवं उद्योग, गृह जैसे विभाग संभाल चुके थे। वो अपनी विनम्रता के लिए प्रसिद्ध थे, जबकि मोरारी देसाई पर मनमानी का आरोप लगते रहता था।

लाल बहादुर शास्त्री की जीवन परिचय

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे। लाल बहादुर शास्त्री जब डेढ़ साल के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया था। उनकी मां अपने तीन बच्चों को अपने पिता के घर ले गईं और वहीं बस गईं। किसी तरह शुरुआती शिक्षा हुई, उसके बाद लाल बहादुर शास्त्री को वाराणसी में एक चाचा के साथ रहने के लिए भेजा गया ताकि वह हाई स्कूल जा सकें। जैसे-जैसे वह बड़े होते गए, उनकी रुचि ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में हो गई। वह महात्मा गांधी से प्रेरित हुए और 16 साल की उम्र में असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए। 1927 में लाल बहादुर शास्त्री की शादी ललिता देवी से हुई। इसके बाद लाल बहादुर शास्त्री कई आंदोलनों में शामिल हुए और आजादी के नाम कांग्रेस के लिए काम करते रहे।
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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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