किस सरकार में कितने रेल हादसे? देखिए 2001 से लेकर 2024 तक का डाटा, जानिए दुर्घटना रोकने के लिए रेलवे ने क्या-क्या उपाय किए

Train Accident During Modi Govt: सोशल मीडिया से लेकर तमाम प्लेटफॉर्म पर इस बात का विपक्ष की ओर से दावा किया जा रहा है कि मौजूदा सरकार में रेल दुर्घटनाएं बढ़ी हैं। वहीं अगर सामने आए आंकड़ों पर नजर डाले तो यह दावा गलत दिखता है।

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किस सरकार में कितने ट्रेन हादसे हुए

Train Accident During Modi Govt: सोमवार को पश्चिम बंगाल में हुए कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे के बाद से विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर है। रेलमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहा है। मोदी सरकार पर रेलवे की सुरक्षा से खिलवाड़ करने का आरोप लगा रहा है। विपक्ष का दावा है कि मोदी सरकार में ज्यादा ट्रेन एक्सीडेंट हो रहे हैं। ऐसे में रेलवे की ओर आंकड़े भी जारी किए गए हैं कि 2014 से अबतक कितने रेल हादसे हुए हैं, साथ ही उससे पहले का भी आंकड़ा सामने आया है।

2004-14 UPA सरकार में कितने रेल हादसे

सोशल मीडिया से लेकर तमाम प्लेटफॉर्म पर इस बात का विपक्ष की ओर से दावा किया जा रहा है कि मौजूदा सरकार में रेल दुर्घटनाएं बढ़ी हैं। वहीं अगर सामने आए आंकड़ों पर नजर डाले तो यह दावा गलत दिखता है। रेलवे की सूत्रों के मुताबिक विपक्ष का दावा गलत है। आंकड़ों के अनुसार 2004-14 की अवधि के दौरान ट्रेन दुर्घटनाओं की औसत संख्या 171 प्रति वर्ष थी। जबकि 2014-23 की अवधि के दौरान ट्रेन दुर्घटनाओं की औसत संख्या घटकर 71 प्रति वर्ष हो गई है।
  • 2000-01 में 473 रेल दुर्घटनाएं हुईं
  • 2001-02 में 415 रेल दुर्घटनाएं हुईं
  • 2002-03 में 351 रेल दुर्घटनाएं हुईं
  • 2003-04 में 325 रेल दुर्घटनाएं हुईं
  • 2004-05 में 234 रेल दुर्घटनाएं हुईं।

2001 से लेकर अबतक कितने रेल हादसे हुए

रेलवे ने किए हैं कई सुधार

रेलवे का कहना है कि दुर्घटनाओं के कम होने के पीछे रेलवे का कुशल प्रबंधन और कई तरह के ऐसे उपाय किए गये हैं। जिससे कि इस तरह के हादसों में कमी आयी है। रेलवे का दावा है कि 45,000 करोड़ मानवीय विफलता के कारण होने वाली दुर्घटना को खत्म करने के लिए खर्च किए गए हैं।
  • 31.10.2023 तक 6498 स्टेशनों पर पॉइंट और सिग्नल के केंद्रीकृत संचालन के साथ इलेक्ट्रिकल/इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम प्रदान किए गए हैं।
  • एलसी गेटों पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए 31.10.2023 तक 11137 लेवल क्रॉसिंग गेटों पर लेवल क्रॉसिंग (एलसी) गेटों की इंटरलॉकिंग प्रदान की गई है।
  • 31.10.2023 तक 6548 स्टेशनों पर विद्युत साधनों द्वारा ट्रैक अधिभोग के सत्यापन के लिए सुरक्षा बढ़ाने के लिए स्टेशनों की पूर्ण ट्रैक सर्किटिंग प्रदान की गई है।
  • सिग्नलिंग की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर विस्तृत निर्देश।
  • अनिवार्य पत्राचार जांच, परिवर्तन कार्य प्रोटोकॉल, समापन ड्राइंग की तैयारी आदि जारी किए गए हैं।
  • प्रोटोकॉल के अनुसार एसएंडटी उपकरणों के लिए कनेक्शन काटने और दोबारा जोड़ने की प्रणाली पर फिर से जोर दिया गया है।
  • लोको पायलटों की सतर्कता सुनिश्चित करने के लिए सभी लोकोमोटिव सतर्कता नियंत्रण उपकरणों (वीसीडी) से सुसज्जित हैं।
  • रेट्रो-रिफ्लेक्टिव सिग्मा बोर्ड लगाए गए हैं जो विद्युतीकृत क्षेत्रों में सिग्नल से दो ओएचई मस्तूल पर स्थित होते हैं ताकि कोहरे के मौसम के कारण दृश्यता कम होने पर चालक दल को आगे के सिग्नल के बारे में चेतावनी दी जा सके।
  • कोहरे से प्रभावित क्षेत्रों में लोको पायलटों को जीपीएस आधारित फॉग सेफ्टी डिवाइस (एफएसडी) प्रदान किया जाता है, जो लोको पायलटों को सिग्नल, लेवल क्रॉसिंग गेट आदि जैसे निकटवर्ती स्थलों की दूरी जानने में सक्षम बनाता है।
  • आधुनिक ट्रैक संरचना में 60 किग्रा, 90 अल्टीमेट टेन्साइल स्ट्रेंथ (यूटीएस) रेल, प्रीस्ट्रेस्ड कंक्रीट स्लीपर (पीएससी) इलास्टिक फास्टनिंग के साथ सामान्य/चौड़े बेस स्लीपर, पीएससी स्लीपर पर पंखे के आकार का लेआउट टर्नआउट, गर्डर पुलों पर स्टील चैनल/एच-बीम स्लीपर का उपयोग किया जाता है।
  • प्राथमिक ट्रैक नवीनीकरण करते समय, मानवीय त्रुटियों को कम करने के लिए पीक्यूआरएस, टीआरटी, टी-28 आदि जैसी ट्रैक मशीनों के उपयोग के माध्यम से ट्रैक बिछाने की गतिविधि का मशीनीकरण।
  • रेल नवीनीकरण की प्रगति बढ़ाने और जोड़ों की वेल्डिंग से बचने के लिए 130 मीटर/260 मीटर लंबे रेल पैनलों की अधिकतम आपूर्ति करना, जिससे सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
  • लंबी पटरियां बिछाना, एलुमिनो थर्मिक वेल्डिंग का उपयोग कम करना और रेल के लिए बेहतर वेल्डिंग तकनीक यानी फ्लैश बट वेल्डिंग को अपनाना।
  • ओएमएस (ऑसिलेशन मॉनिटरिंग सिस्टम) और टीआरसी (ट्रैक रिकॉर्डिंग कार) द्वारा ट्रैक ज्यामिति की निगरानी।
  • वेल्ड/रेल फ्रैक्चर पर नजर रखने के लिए रेलवे पटरियों की गश्त करना।
  • टर्नआउट नवीनीकरण कार्यों में थिक वेब स्विच और वेल्डेबल सीएमएस क्रॉसिंग का उपयोग।
  • ट्रैक संपत्तियों की वेब आधारित ऑनलाइन निगरानी प्रणाली।
  • तर्कसंगत रखरखाव आवश्यकता तय करने और इनपुट को अनुकूलित करने के लिए ट्रैक डेटाबेस और निर्णय समर्थन प्रणाली को अपनाया गया है।
  • ट्रैक की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर विस्तृत निर्देश।
  • एकीकृत ब्लॉक, कॉरिडोर ब्लॉक, कार्यस्थल सुरक्षा, मानसून सावधानियां आदि जारी किए गए हैं।
  • सुरक्षित ट्रेन संचालन सुनिश्चित करने और देश भर में रेल दुर्घटनाओं पर नज़र रखने के लिए रेलवे परिसंपत्तियों (कोच और वैगन) का निवारक रखरखाव किया जाता है।

UPA सरकार से मोदी सरकार में रेलवे के विकास पर ज्यादा खर्च हुआ

कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसा

पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में सोमवार सुबह एक मालगाड़ी के पीछे से टक्कर मारने के कारण सियालदह जाने वाली कंचनजंघा एक्सप्रेस के चार डिब्बे पटरी से उतर गए, जिससे कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई और 41 अन्य घायल हो गए। मृतकों में मालगाड़ी का चालक और एक्सप्रेस ट्रेन का गार्ड शामिल है। यह टक्कर न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन से 30 किमी दूर रंगापानी स्टेशन के पास हुई। उन्होंने कहा कि सुबह 8.55 बजे मालगाड़ी के इंजन के टक्कर मारने पर कंचनजंघा एक्सप्रेस के पीछे के चार डिब्बे पटरी से उतर गए। दुर्घटना के तुरंत बाद, रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष जया वर्मा सिन्हा ने कहा कि टक्कर इसलिए हुई क्योंकि मालगाड़ी ने सिग्नल की अनदेखी की। रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने दुर्घटना के कारणों की जांच शुरू कर दी है।
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भावना किशोर author

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मूल की भावना ने देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIMC से 2014 में पत्रकारिता की पढ़ाई की. 10 सालों से मीडिया में काम कर रही हैं. न्यू...और देखें

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