मनीष सिसोदिया जेल से कब छूटेंगे? जानिए जमानत मिलने के तुरंत बाद क्यों नहीं हुए रिहा; समझिए नियम-कानून
Bail Procedure: क्या आप जानते हैं कि अदालत से जमानत मिलने के तुरंत बाद कोई कैदी जेल से क्यों नहीं रिहा हो पाते हैं? आपको बताते हैं कि आखिर इसकी प्रक्रिया क्या होती है इसमें कितना वक्त लगता है। मनीष सिसोदिया को भी अदालत से जमानत मिल गई है। आपको इस रिपोर्ट में सबकुछ बताते हैं।
कब सिसोदिया को मिलेगी जेल से रिहाई।
Bail Procedure for Prisoners: मनीष सिसोदिया जेल से कब बाहर आएंगे, उन्हें जमानत तो मिल चुकी है, लेकिन सवाल ये है कि उनकी रिहाई में अभी और कितना वक्त लग सकता है? दिल्ली की आबकारी नीति में कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धनशोधन के मामलों में आरोपी और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी और कहा कि वह 17 माह से हिरासत में हैं। क्या आपने कभी ये सोचा है कि अदालत से जमानत मिलने के बाद किसी भी कैदी को जेल से बाहर आने में इतना वक्त क्यों लगता है?
सुप्रीम कोर्ट ने इसे जारी कर रखी है गाइडलाइंस
देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने इसे लेकर बाकायदा गाइडलाइंस जारी कर रखी है। मनीष सिसोदिया को भी उन्हीं गाइडलाइंस से गुजरना पड़ेगा, तभी वो जेल से रिहा होंगे। दिशा-निर्देश के अनुसार, स्थिति को देखते हुए अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं। कोर्ट का जमानती आदेश पहले ट्रायल कोर्ट के पास जाता है।
क्या है जमानत से रिहाई तक की पूरी प्रक्रिया?
सबसे पहले कोर्ट का लिखित आदेश आता है, जिसे ट्रायल कोर्ट में भेजा जाता है। इसके बाद जमानत की शर्तें या लगाई जाती हैं, ट्रायल कोर्ट को करने के लिए कहा जाता है। आदेश आता है तो कोर्ट औपचारिक प्रक्रियाएं पूरी करता है, इसके तहत मुचलका भरना और मुचलकों को प्रमाणित किया जाता है। इसी के बाद ट्रायल कोर्ट आरोपी या कैदी की रिहाई का आदेश जारी करता है।
इन प्रक्रियाओं के बाद रिहा होंगे मनीष सिसोदिया
इसके बाद 'रिलीज बेल' आदेश जेल भेजा जाता है। जेल में रिहाई की प्रक्रिया पूरी की जाती है, कैदी की पूरी जांच होती है, कागजों का मिलान किया जाता है। सभी प्रक्रिया पूरी होने के बाद कैदी को रिहा किया जाता है और वो जेल से बाहर आता है। मनीष सिसोदिया को भी जेल से रिहा करने से पहले ये सभी जरूरी प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी।
किसी भी आरोपी की रिहाई में कितना वक्त लगता?
जब अदालत की ओर से किसी आरोपी, अंडर ट्रायल या दोषी को जमानत दी जाती है तो जेल प्रशासन आगे की कार्यवाही को शुरू करता है। यदि जमानत मिलने के 7 दिनों के बाद कैदी को रिहा नहीं किया जा रहा है, तो इसकी जानकारी जेल अधीक्षक को डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी को देनी होती है। दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे लेकर कहा है कि जिन कैदियों को जमानत दी गई है, उन्हें 48 घंटे के भीतर जेल से रिहा किया जाना चाहिए।
वकील ने बताई क्या होती है रिहाई प्रक्रिया
टाइम्स नाउ नवभारत से खास बातचीत के दौरान वाराणसी के एक अधिवक्ता विकास सिंह ने बताया कि आखिर जमानत के बाद जेल से रिहाई प्रक्रिया की क्या प्रक्रिया होती है। उन्होंने कहा कि 'जब कोई अदालत किसी कैदी को जमानत देती है तो इसके बाद सबसे पहले जमानत की शर्तों को तय किया जाता है। इसके बाद सत्र न्यायालय या ट्रायल कोर्ट के बाद आदेश जाता है। उस आदेश का पालन करते हुए, कानूनी प्रक्रियाएं होती हैं। 50 हजार तक के मुचलके का वेरिफिकेशन नहीं होता है, इससे अधिक के मुचलके की जांच की जाती है। जांच में स्थानीय थाना से वेरिफिकेशन होता है, बॉन्ड भरे जाते हैं, जमानत देने वाले की जांच होती है। इसके बाद जमानत का आदेश जेल को भेजा जाता है और फिर वहां सभी प्रक्रियाओं के पूरे होने के बाद कैदी को रिहा कर दिया जाता है।'
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