भारत-बांग्लादेश रिश्ते में खटास बढ़ाने के रास्ते पर यूनुस सरकार, हसीना के खिलाफ केस, राजनयिकों की वापसी से मिल रहे साफ संकेत

India Bangladesh Relations : हसीना के खिलाफ साजिश के पीछे केवल जमात नहीं बल्कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई भी है। जमात में इतना दम नहीं है कि वह केवल अपने दम पर एक सरकार का तख्ता पलट दे। इसे एक पूरी समची-समझी रणनीति और चाल के बाद अंजाम दिया गया। धरने-प्रदर्शन और आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है।

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बांग्लादेश में गत पांच अगस्त को हुआ तख्तापलट।

मुख्य बातें
  • बांग्लादेश में हसीना सरकार के खिलाफ गत पांच अगस्त को हुआ तख्तापलट
  • अंतरिम सरकार के चीफ एडवाइजर हैं मोहम्मद यूनुस, बने हैं डिफैक्टो पीएम
  • बांग्लादेश में हसीना के खिलाफ ताबड़तोड़ आपराधिक केस दर्ज किए जा रहे
India Bangladesh Relations : बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का रुख भारत के साथ जो नजर आ रहा है, उससे लगता है कि वह सहयोग के रास्ते पर न बढ़कर टकराव के रास्ते पर बढ़ना चाहती है। शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए बेताब यूनुस सरकार का रवैया एक सहयोग करने वाले पड़ोसी देश की तरह नहीं बल्कि एक बदला लेने पर उतारू दुश्मन देश की तरह है। हसीना के खिलाफ दर्ज होने वाली आपराधिक मामलों की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है। बीते रविवार को बांग्लादेश में हसीना के खिलाफ हत्या के चार और नए केस दर्ज हो गए। पांच अगस्त के बाद हसीना के खिलाफ लगातार केस दर्ज हो रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो अब तक उनके खिलाफ आपराधिक मामलों की संख्या बढ़कर 53 हो गई है। खास बात यह है कि इनमें से 44 केस हत्या से जुड़े हैं।

5 अगस्त को जान बचाकर भारत आईं शेख हसीना

हसीना सरकार के खिलाफ छात्रों का जो कथित आंदोलन हिंसक और उग्र हुआ, प्रदर्शनकारी पांच अगस्त की सुबह इतने उन्मादित और अराजक हो गए कि इन्होंने पीएम आवास पर धावा बोलने की तैयारी कर ली। इसे देखकर हसीना को ढाका से भागकर अपनी जान बचानी पड़ी। वह भारत आईं और तब से यही हैं। हसीना की छवि भारत समर्थक की रही है। प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने भारतीय हितों की सुरक्षा की है और उसे आगे बढ़ाया है। बांग्लादेश में हुए इस तख्तापलट के पीछे का मकसद और उसके खतरनाक इरादे अब धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं। इस तख्तापलट के पीछे जो भी शक्तियां हैं वे हसीना की विदाई तो चाह ही रही थीं, उनका इरादा बांग्लादेश में भारतीय प्रभाव और उसके फुट चिन्ह को मिटाने की है।

हिंसा के पीछे जमात-आईएसआई

गौर से देखने पर इस तख्तापलट के पीछे हिंदुओं और भारत के खिलाफ नफरत की भावना है, जो हसीना के रहते दबी हुई थी। या हसीना ने कट्टरपंथी तत्वों पर इतना नकेल कसा हुआ था, कि वे अपने मंसूबों में सफल नहीं पा रहे थे। अब उन्हें एक बार फिर मौका मिला है। मौका क्या मिला एक तरह से सरकार और सेना दोनों जगह उनका दबदबा हो चुका है। अब वे यूनुस सरकार से वही करवा रहे हैं जो वह चाहते थे। रिपोर्टों की मानें तो बांग्लदेश से हसीना के खिलाफ जो साजिश और कुचक्र रचा गया उसके पीछे वहां का कट्टरपंथी संगठन जमात ए इस्लामी है। जमात ए इस्लामी वही संगठन है जिसने 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान की फौज का साथ दिया। इस कट्टरपंथी संगठन ने बांग्लादेशी मुस्लिमों को मारने में पाकिस्तान फौज की पूरी मदद की। इस संगठन ने धीरे-धीरे वहां के समाज में भारत के खिलाफ नफरत का बीज बोया है। इसके प्रभाव वाले लोग बांग्लादेश की सेना सहित सरकारी प्रतिष्ठानों में अब सब जगह आ चुके हैं।

बांग्लादेश-पाकिस्तान के बीच हथियार की डील

हसीना के खिलाफ साजिश के पीछे केवल जमात नहीं बल्कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई भी है। जमात में इतना दम नहीं है कि वह केवल अपने दम पर एक सरकार का तख्ता पलट दे। इसे एक पूरी समची-समझी रणनीति और चाल के बाद अंजाम दिया गया। धरने-प्रदर्शन और आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए पैसों की जरूरत होती है। इसके लिए जमात के पास पैसा और लॉजिस्टिक सपोर्ट जाहिर तौर पर आईएसआई से मिला। खबर यह भी है कि बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच हथियारों की डील हुई है। पाकिस्तान तीन फेज में बांग्लादेश को हथियार और गोला बारूद देगा। यह बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच नेक्सस का खुलासा करता है।

अभी इनका मकसद पूरा नहीं हुआ

हसीना को भगाए जाने के बाद जमात सहित भारत विरोधी शक्तियों का मकसद अभी पूरा नहीं हुआ है। वे हसीना के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं, इससे तो यही लगता है कि वे उन्हें वापस बुलाकर और फर्जी मुकदमा चलाकर उन्हें फांसी पर लटकाना चाहते हैं। हसीना और भारत के खिलाफ उनका नफरती एजेंडा साथ-साथ चल रहा है। पांच अगस्त के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का तांडव हुआ, मंदिरों एवं संपत्तियों में आग लगाई गई, 1971 युद्ध में भारतीय सेना का योगदान बताने वाले स्मारकों को तोड़ा गया, आईसीएसआर द्वारा बनाए गए सांस्कृतिक केंद्र में लूटपाट और आगजनी हुई, इन सभी घटनाओं को आपस में जोड़कर देखने पर यही संकेत मिलता है कि भारत के खिलाफ बांग्लादेश में एक बड़ा कुचक्र रचा गया है। साजिश और बदला लेने के टूलकिट के हिसाब से वहां पर चीजें हो रही हैं।

फैसलों के पीछे किसी और का दिमाग

मोहम्मद यूनुस जो कि अंतरिम सरकार के मुखिया हैं, लगता है वह भी दबाव में हैं। यूनुस के फैसलों के पीछे कोई और दिमाग काम कर रहा है। यूनुस उतना ही, और वही कह और कर रहे हैं जितना कि उनसे कहने और करने के लिए कहा जा रहा है। अंतरिम सरकार चलाने के लिए सेना ने उन्हें चुना है, जाहिर है कि यूनुस का चुनाव कुछ शर्तों पर हुआ होगा। इनमें से एक शर्त यह भी होगी कि भारत-बांग्लादेश के रिश्ते को सामान्य नहीं होने देना है। नफरत, संदेह का माहौल और चिंगारी हमेशा भड़का कर रखना है। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि यूनुस ने अंतरिम सरकार के मुखिया के तौर पर आठ अगस्त को शपथ ली लेकिन भारत के प्रधानमंत्री के साथ फोन पर बात करने में उन्हें आठ दिन का समय लग गया। वह भी तब जब प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से हिंदुओं की सुरक्षा और बांग्लादेश की समृद्धि में भारत के सहयोग पर बयान दिया। पीएम के इस बयान के बाद मोहम्मद यूनुस ने मोदी को फोन किया।

बांग्लादेश ने दो राजनयिक वापस बुलाए

ताजा घटनाक्रम में यूनुस सरकार ने भारत में बांग्लादेश के उच्चायोग में काम कर रहे दो बांग्लादेशी राजनयिकों को पद से हटा दिया है। इन्हें कार्यकाल खत्म होने से कर्तव्य मुक्त किया गया है। दोनों को उनका अनुबंधित कार्यकाल समाप्त होने से पहले पद छोड़ने और ढाका लौटने के लिए कहा गया था। यह आदेश 17 अगस्त को लागू हुआ। इसके बाद दोनों ने पद छोड़ दिया।

हसीना के प्रत्यर्पण का मामला इतना आसान नहीं

यही नहीं शेख हसीना को प्रत्यर्पित करने के लिए बांग्लादेश में उनके खिलाफ केस मजबूत किया जा रहा है। हसीना को वापस भेजे जाने के लिए बीएनपी और जमात के नेता पहले ही मुंह पतो खोल चुके हैं। वह दिन दूर नहीं जब यूनुस वाली अंतरिम सरकार भारत से हसीना को प्रत्यर्पित करने के लिए औपचारिक अनुरोध करेगी। यह जल्द हो सकता है लेकिन प्रत्यर्पण का मामला इतना आसान नहीं होता, प्रत्यर्पण संधि में इतने कानूनी दांव-पेंच होते हैं कि अगर कोई चाहे तो उसे दशकों तक लटका सकता है। बहरहाल, बांग्लादेश की हरकतों और उसके नापाक मंसूबों पर भारत को अब हमेशा सतर्क रहना होगा, क्योंकि इस पड़ोसी देश की कमान ऐसे लोगों के हाथ में चली गई है जिनका मकसद भारत को अस्थिर करना और उसे हर तरीके से नुकसान पहुंचाना है।
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आलोक कुमार राव author

करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने समाचारों की एक अंतर्दृष्टि और समझ विकसित की है। इ...और देखें

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