कैसे एक विधवा से हुई प्रेमचंद की शादी? खुद आगे बढ़कर भेजा था प्रस्ताव; जानें वो किस्सा
Munshi Premchand: मुंशी प्रेमचंद की रचनाओं के बारे में तो खूब चर्चा होती रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी शादी एक विधवा के साथ हुई थी? प्रेमचंद (Premchand Jayanti In Hindi) का जन्म 31 जुलाई 1880 को बनारस के लमही में हुआ था। आपको उनकी शादी के किस्से से रूबरू कराते हैं।
कैसे हुई थी मुंशी प्रेमचंद की शादी?
Premchand Marriage Story: हिंदी कथा सम्राट नाम से मशहूर मुंशी प्रेमचंद की तमाम रचनाओं का जिक्र अक्सर किया जाता है। उनकी कहानियों और पुस्तकों को पढ़कर कोई भी उनकी लेखनी ले प्रभावित हो जाता है। आज के युग में भी प्रेमचंद की रचनाएं काफी (Munshi Premchand Jayanti Essay) प्रासंगिक हैं। उन्होंने जनसाधारण की भावनाओं, परिस्थितियों व समस्याओं का मार्मिक चित्रण अपनी रचनाओं में किया है। उन्हें आधुनिक हिंदी का पितामह कहकर भी पुकारा जाता है। लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि प्रेमचंद की शादी एक विधवा के साथ हुई थी। इतना ही नहीं, उन्होंने खुद आगे बढ़कर शादी का प्रस्ताव पेश किया था। आपको इस लेख के जरिए उनकी शादी के उस रोचक किस्से से रूबरू करवाते हैं।
किस उम्र में हुई थी प्रेमचंद की शादी?
बनारस शहर से चार मील दूर लमही गांव में प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को हुआ था। उनके पिता का नाम आजायब राय था, जो डाकखाने में नौकर के तौर पर सेवा दे रहे थे। महज 15 साल की आयु में मुंशी प्रेमचंद के पिता ने शादी उनकी करा दी थी। उनकी शादी का किस्सा भी बड़ा मशहूर है। उन्होंने खुद विवाह के बाद अपने दिल की बात शब्दों में बयां की थी।
इश्तेहार देखकर प्रेमचंद ने भेजा शादी का प्रस्ताव
मदन गोपाल की किताब 'मुंशी प्रेमचंद' में उनकी शादी से जुड़े कुछ किस्से साझा किए गए हैं। जिसके अनुसार एक शादी के विज्ञापन वाले कॉलम में प्रेमचंद ने एक इश्तेहार देखा था। फतेहपुर जिले के सलीमपुर गांव के मुंशी देवीप्रसाद ने इसमें विज्ञापन दिया था। विज्ञापन में लिखा था कि उनकी बेटी की शादी 11 साल की उम्र में हुई थी, जो शादी के 3 महीने बाद ही विधवा हो गई। प्रेमचंद ने इसी विज्ञापन को देखने के बाद अपनी शिक्षा और तनख्वाह की जानकारी बाल विधवा के पिता को भेजी और 11 वर्षी शिवरानी देवी से विवाह का प्रस्ताव भेजा।
जब शिवरानी के पिता से मिले मुंशी प्रेमचंद
आर्य समाज को मानने वाले शिवरानी के पिता देवीप्रसाद विधवा विवाह के समर्थक थे। यही वजह है कि प्रेमचंद को उन्होंने एक पर्चा भेजा और फतेहपुर बुलाया। किताब में ये भी बताया गया है कि शिवरानी के पिता को प्रेमचंद पसंद आ गए। इतना ही नहीं प्रेमचंद को शिवरानी देवी के पिता ने फतेहपुर आने का किराया दिया और साथ ही कुछ उपहार भी दिए।
अपनी शादी के बारे में प्रेमचंद ने क्या लिखा?
प्रेमचंद की पत्नी शिवरानी देवी ने अपनी शादी को लेकर ये बताया था कि प्रेमचंद के परिवार से उनकी शादी की सहमति नहीं मिल पाई थी। हालांकि प्रेमचंद ने इसके बारे में परिवार के किसी भी सदस्य को नहीं बताया। शिवरानी ने कहा कि उन्होंने मुझसे शादी ही, यह उस दौर में बहुत बड़ा फैसला था। हालांकि कई रिपोर्ट में ये बताया गया है कि प्रेमचंद शायद अपनी शादी से शुरुआती दिनों में खुश नहीं थे। उन्होंने लिखा था कि 'उम्र में वह मुझसे ज्यादा थी। जब मैंने उसकी सूरत देखी तो मेरा खून सूख गया।' उन्होंने एक और बात लिखी थी कि 'पिताजी ने जीवन के अंतिम सालों में एक ठोकर खाई और स्वयं तो गिरे ही, साथ में मुझे भी डुबो दिया: मेरी शादी बिना सोंचे समझे कर डाली।'
प्रेमचंद की जिससे शादी हुई थी, वो साहित्य में तो निपुण थीं, लेकिन शिवरानी देवी की अंग्रेजी पर कुछ खास पकड़ नहीं थी। वो ब्रिटिश राज का दौर था, जब प्रेमचंद उस वक्त के सबसे प्रतिष्ठित अखबार 'लीडर' में छपी खबरों का हिंदी में अनुवाद किया करते थे।
Munshi Premchand Books: प्रेमचंद की प्रमुख कहानियां
- कफन
- पूस की रात
- पंच परमेश्वर
- दो बैलों की कथा
- बड़े घर की बेटी
आज प्रेमचंद को हर कोई बड़े प्रेम से याद करता है। उनकी जन्म जयंती को सभी स्कूल, कॉलेज, शैक्षणिक संस्थानों व सामाजिक स्थलों पर बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। साथ ही उनकी रचनाओं का उल्लेख करने व लोगों को इससे रूबरू करवाने के लिए निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है।
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